मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. पुस्तक-समीक्षा
  4. Thanks Anyway Baharhal Dhanyawad
Written By

‘थैंक्स एनीवे’ बनाम ‘बहरहाल धन्यवाद’ का लोकार्पण

‘थैंक्स एनीवे’ बनाम ‘बहरहाल धन्यवाद’ का लोकार्पण - Thanks Anyway Baharhal Dhanyawad
अचला बंसल के कहानी- संग्रह 'बहरहाल धन्यवाद' का लोकार्पण ऑक्सफोर्ड बुकस्टोर में वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी द्वारा किया गया। यह अचला बंसल की अग्रेजी किताब ‘थैंक्स एनीवे’ का हिन्दी अनुवाद है जिसका अनुवाद अचला बंसल की बहन मृदुला गर्ग, रचनाकार प्रियदर्शन व स्मिता ने किया है तथा राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है। 
 
'बहरहाल धन्यवाद’ की शीर्षक कहानी अचला बंसल की एक 29 वर्षीय महिला और 78 वर्षीय बुजर्ग के रिश्ते पर है, जिसके कारण महिला के अपने रिश्ते समाज में खराब हो जाते हैं। उस महिला का बुजर्ग से यह अनोखा रिश्ता दोस्ती, प्यार या कुछ और है, महिला का पति भी समझ नहीं पाता और महिला और उसके पति में इस रिश्ते पर बहस होती रहती है।
 
अचला बंसल ने अपनी कहानियों में भारतीय समाज और मन के उन कोनों की पड़ताल की है जहां कई बार भारतीय भाषाओं के लेखक भी जाने से चूक जाते हैं। वे उन गिने-चुने अंग्रेजी लेखकों में हैं जिन्हें पढ़ने से पता चलता है कि भारतीय अंग्रेजी लेखन अपनी दुनिया को सिर्फ़ विदेशी निगाह से नहीं देखता।
 
अचला बंसल, अंग्रेजी की सम्मानित लेखिका हैं। उनकी कहानियां देश-विदेश की पत्रिकाओं में ससम्मान छपती रही हैं। अंग्रेजी में उनके चार कहानी-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। ‘वन्स ए इयर इट्स मार्च’, ‘ऐस अपोन किंग’, ‘चैकमेट’ और 2016 में प्रकाशित ‘आई कॉन्टेक्ट’। 
  
लेखिका अचला बंसल ने इस मौके पे कहा "लिखने में मश्गूल मैंने अनुवाद के बारे में मैंने कभी सोचा ही नहीं। हिन्दी से पहले, तमिल, मलयालम और तेलुगु में इसके अनुवाद बिना किसी कोशिश के हो गए। विभिन्न शहरों से पाठकों के जब फोन आने लगे, तब मुझे बड़ी खुशी हुई।"
 
लोकापर्ण के अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने कहा "हमारे यहां महिला लेखक कम हैं। इसलिए महिला लेखकों की किताब जब आती हैं तो बहुत ही सौभाग्य महसूस होता है। अनुवाद में वह चीज नहीं आना मुश्किल होता है जो मूल में है। अचला जी की किताब के अनुवादक खुद लेखक हैं इसलिए उसे सफलता से रखा है। किताब तो श्रेष्ठ है ही, अनुवाद भी इसकी एक उप्लब्धि है।"

किताब के बारे में : अचला बंसल ने अपनी कहानियों में न सिर्फ उन विडंबनाओं को बहुत स्पष्ट निगाह से देखा है जिनसे हमारा मध्य और निम्न-मध्य वर्ग गुजरता है, बल्कि उच्च मध्यवर्गीय समाज की तहों में भी वे बहुत विश्वसनीय ढंग से उतरती हैं। इसके साथ ही अपने पात्रों की मनोवैज्ञानिक पड़ताल भी उनकी कहानियों की एक विशेषता है, जिसका बहुत अच्छा उदाहरण इस संग्रह में शामिल कहानी ‘तुरुप का पत्ता’ है। इस कहानी में पुरुष समलैंगिकता में पौरुष की भूमिका को स्त्री के विरुद्ध जाते हुए बहुत महीन ढंग से दिखाया गया है। इस परिस्थिति में जटिल होते रिश्तों में स्त्री की असहायता को शायद ही कभी इतने मार्मिक ढंग से उठाया गया हो।
 
संग्रह में शामिल सभी कहानियां हिन्दी के पाठकों के लिए एक भिन्न भावभूमि पर एक भिन्न पाठ-अनुभव उपलब्ध कराती हैं जो न सिर्फ अपनी विषयवस्तु में नया है बल्कि ट्रीटमेंट में भी। बेशक सभी कहानियां अनुदित हैं लेकिन जानी-मानी कथाकार और अचला जी की बहन मृदुला गर्ग तथा हमारे समय के बहुत संवेदनशील रचनाकार प्रियदर्शन व स्मिता द्वारा किए गए इन अनुवादों में कहीं भी भाषा के स्तर पर अपरिचय जैसा महसूस नहीं होता।
 
लेखक अचला बंसल के बारे में : अचला बंसल, अंग्रेजी की सम्मानित लेखिका हैं। उनकी कहानियां देश-विदेश की पत्रिकाओं में ससम्मान छपती रही हैं। अंग्रेजी में उनके चार कहानी-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। ‘वन्स ए इयर इट्स मार्च’, ‘ऐस अपोन किंग’, ‘चैकमेट’ और 2016 में प्रकाशित ‘आई कॉन्टेक्ट’। 
  
‘चैकमेट’ अचला बंसल की लीक से हटी पांच कहानियों के संग्रह का नाम है, जो स्के्रव प्रेस, यू.के. से 2009 में प्रकाशित हुआ। उसमें प्रकाशित कहानी ‘चैकमेट’ को 2007 में यू.के. का ‘ए बुक फॉर बोर्गेस’ पुरस्कार प्राप्त हुआ। 
 
अचला बंसल की कथा-शैली में सहजता, मौलिकता और बतरस का अद्भुत समन्वय देखा जा सकता है। हिन्दी में अनूदित उनकी कई कहानियां 2009-10 में ‘आउटलुक’, ‘जनसत्ता’, ‘पाखी’, ‘हंस’ आदि पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। कुछ कहानियां तेलुगू आदि अन्य भारतीय भाषाओं में भी अनुदित हैं। 
 
2014 में अन्य दो लेखिका बहनों के साथ उनकी कहानी ‘कैरम की गोटियां’ ‘बिसात : तीन बहनें तीन आख्यान’ नामक पुस्तक में संकलित हुई है और विशेष रूप से चर्चित-प्रशंसित रही है। मनीष त्रिपाठी के शब्दों में, ‘‘इनके लेखन में ऐसी विविधता है जैसे रोशनी की एक लकीर प्रिज़्म से गुजरकर सात रंगों में बदल जाती है।’’