अशोक लोढ़ा
मुझे आज ही मीनाक्षी सिंह का प्रथम कविता संग्रह 'बस तुम्हारे लिए' मिला। आभार। मीनाक्षी सिंह को मैं करीब 5 वर्षों से सोशल मीडिया के माध्यम से जानता हूं, हालांकि मेरा उनसे मिलना कभी नहीं हुआ। इनकी हर रचना मैं पढ़ता रहा हूं और लगभग हर रचना पर हमारा वार्तालाप होता रहा है।
वे विभिन्न न्यूज पेपर, पत्रिकाओं में लिखती रही हैं। मुझे ध्यान है कि एक बार साहित्यकारों के आयोजन में मैंने कहा था कि देश में छुपी प्रतिभाओं को आगे लाना ऐसे आयोजनों का उद्देश्य होना चाहिए। यह बात कई गुमनाम साहित्यकारों के साथ-साथ मीनाक्षी सिंह को भी जेहन में रखकर कही थी। मैंने पिछले 5 वर्षों में मीनाक्षी सिंह की कविताएं, कहानी, आलेख पढ़े हैं।
मीनाक्षी सिंह की अधिकतर रचनाएं समय को लांघकर रची गईं सशक्त कृति, सरसता, रोचकता एवं सहजता से गुंथी हुई होती हैं। आज के संदर्भ में यह कविता संग्रह 'बस तुम्हारे लिए' जनमानस को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है। 'बस तुम्हारे लिए' मीनाक्षी सिंह का पहला कविता संग्रह है। मीनाक्षी सिंह अपने प्रथम कविता संग्रह की कविताओं में जिस तरह रिश्तों और मानवीय संबंधों की कड़ी पड़ताल करती हैं, वह हैरानीभरा है। इन कविताओं में मुख्यत: आधुनिक जीवन में बदलते रिश्तों और संवेदनाओं को पकड़ने की भरपूर कोशिश गई है।
मीनाक्षी सिंह का कविता संग्रह निश्चय ही पठनीय है और विचारणीय भी। प्रस्तुत कविता संग्रह में मीनाक्षी सिंह की 68 कविताएं हैं। ये सभी कविताएं मन का बहुत स्नेह से स्पर्श करती हैं और फिर पढ़ने वाले को अपना बना लेती हैं। पढ़ने वाला प्रसन्न हो जाता है। उसे प्रसन्नता इस बात की भी होती है कि उसके कीमती समय की कीमत कुछ बेशकीमती कविताओं के साथ संपन्न हुई। सबसे खास बात इस कविता संग्रह की यह है कि इसमें हर तरह की कविताएं हैं।
मीनाक्षी सिंह के कविता संग्रह में उनके मन को समझना और उसमें सकारात्मक भाव बनाए रखना ही उत्थान का मनस्वी मार्ग है। चूंकि व्यष्टि और समष्टि का दृष्टिकोण ही जीवन को परिभाषित करता है। समष्टि भाव विश्व-मैत्री की राह प्रशस्त करता है। मीनाक्षी सिंह की रचनाओं में इसकी स्पष्ट छवि दिखाई देती है। काव्य-से सरल जीवन को हमने ही कंटकाकीर्ण बना दिया है। व्यक्ति के वर्तमान जीवन में चहुंओर नाना प्रकार के मानसिक उद्वेलन दिखाई देते हैं। राग-लालच-ईर्ष्या समेत अनेक नकारात्मक भाव भी मन को शांति से नहीं रहने देते।
जीवन के हर क्षेत्र में तनाव व्याप्त है, क्योंकि तनाव देने वाले विविध आयाम जीवन के हर क्षेत्र में विद्यमान हैं। कई बार व्यक्ति स्वयं भी जाने-अनजाने अनेक तनावों के ताने-बाने बुन लेता है और उनमें उलझकर रह जाता है। ऐसे में उसके मन की वीणा के तार प्राय: मौन ही रहते हैं।
लेकिन जब मीनाक्षी सिंह की कविताएं हौले-हौले से वीणा के तारों की संगत के लिए मचल उठती हैं तो फिर मन में झंकार उत्पन्न करके ही मानती हैं। यही नहीं, जब जगतव्यापी कोलाहल भीषण गर्जन करने पर आमादा हो जाता है, तब मीनाक्षी सिंह की ये कविताएं अपनी प्रवाहमयी, लयात्मक भाषा-शैली के माध्यम से गुनगुनाते, पढ़ने वाले की आंखों के बीहड़ से होकर भावनाओं के स्नेहसिक्त सेतु-सी चलती-चलती हृदय-मार्ग से भीतर तक उतर आती हैं।
मीनाक्षी सिंह की कविताओं में चाहतों का आसमां (प्यारभरी रचनाएं), जीवन के यथार्थ धरातल पर मानव स्वभाव को झकझोरती कविताएं, इंसान की जिंदगी में यादों का अहसास सुकून ए दर्द, रीते-रीते पल एवं वर्तमान सोशल मीडिया से लेकर वर्तमान हालातों से जूझती नारी पर लिखी कविताएं हैं।
हां, एक कमी इस कविता संग्रह में मुझे महसूस हुई, वो यह कि मीनाक्षी सिंह, जो कि एक एयरफोर्स ऑफिसर की बेटी हैं, मुझे लगा था कि इनके कविता संग्रह में देशभक्ति से प्रेरक कविताएं बहुत होंगी, लेकिन मुझको 4 कविताएं ही ऐसी नजर आई हैं। मुझे आशा है मीनाक्षी सिंह के अगले कविता संग्रह में देशभक्ति से प्रेरित ज्यादा से ज्यादा कविताएं पाठकों को पढ़ने हेतु मिलेंगी।
लेखक : मीनाक्षी सिंह
प्रकाशक : अंजुमन प्रकाशन, 942, आर्य कन्या चौराहा, मुट्ठीगंज, इलाहाबाद- 211003
मूल्य : 120 रुपए
पृष्ठ : 120