शुक्रवार, 15 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. गुड़ी पड़वा
  4. Hindu new year 2019
Written By

अत्यंत पवित्र तिथि है चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, इस दिन से होता है हिन्दू नववर्ष का आरंभ, जानें कैसे करें पूजन

अत्यंत पवित्र तिथि है चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, इस दिन से होता है हिन्दू नववर्ष का आरंभ, जानें कैसे करें पूजन। Hindu new year - Hindu new year 2019
* नवसंवत्सर क्या है, पढ़ें महत्व एवं पूजन विधि 
 
नवसंवत्सर का आरंभ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है, यह अत्यंत पवित्र तिथि है। इसी तिथि से पितामह ब्रह्मा ने सृष्टि निर्माण प्रारंभ किया था। वस्तुतः नवसंवत्सर भारतीय काल गणना का आधार पर्व है जिससे पता चलता है कि भारत का गणित एवं नक्षत्र विज्ञान कितना समृद्ध है।
 
'चैत्रे मासि जगद् ब्रह्मा ससर्ज प्रथमेऽहनि। शुक्ल पक्षे समग्रे तु तदा सूर्योदये सति।'
 
इस तिथि को रेवती नक्षत्र में, विष्कुंभ योग में दिन के समय भगवान के आदि अवतार मत्स्यरूप का प्रादुर्भाव भी माना जाता है-
 
'कृते च प्रभवे चैत्रे प्रतिपच्छुक्लपक्षगा, रेवत्यां योगविष्कुम्भे दिवा द्वादशनाडिकाः। मत्स्यरूपकुमार्या च अवतीर्णों हरिः स्वयम्‌।'
 
युगों में प्रथम सत्ययुग का प्रारंभ भी इस तिथि को हुआ था। यह तिथि ऐतिहासिक महत्व की भी है, इसी दिन सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने शकां पर विजय प्राप्त की थी और उसे चिरस्थायी बनाने के लिए विक्रम संवत का प्रारंभ किया था।
 
हिन्दू नववर्ष पर पूजन कैसे करें :-
 
* इस दिन प्रातः नित्य कर्म कर तेल का उबटन लगाकर स्नान आदि से शुद्ध एवं पवित्र होकर हाथ में गंध, अक्षत, पुष्प और जल लेकर देश काल के उच्चारण के साथ सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
 
* ऐसा संकल्प कर नई बनी हुई चौरस चौकी या बालू की वेदी पर स्वच्छ श्वेतवस्त्र बिछाकर उस पर हल्दी या केसर से रंगे अक्षत से अष्टदल कमल बनाकर उस पर ब्रह्माजी की सुवर्णमूर्ति स्थापित करें।
 
* गणेशाम्बिका पूजन के पश्चात्‌ 'ॐ ब्रह्मणे नमः' मंत्र से ब्रह्माजी का आवाहनादि षोडशोपचार पूजन करें।
 
* पूजन के अनंतर विघ्नों के नाश और वर्ष के कल्याण कारक तथा शुभ होने के लिए ब्रह्माजी से विनम्र प्रार्थना की जाती है-
 
'भगवंस्त्वत्प्रसादेन वर्ष क्षेममिहास्तु में। संवत्सरोपसर्गा मे विलयं यान्त्वशेषतः।'
 
* पूजन के पश्चात विविध प्रकार के उत्तम और सात्विक पदार्थों से ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद ही स्वयं भोजन करना चाहिए।
 
* इस दिन पंचांग श्रवण किया जाता है।
 
* नवीन पंचांग से उस वर्ष के राजा, मंत्री, सेनाध्यक्ष आदि का तथा वर्ष का फल श्रवण करना चाहिए।
 
* अपने सामर्थ्य के अनुसार पंचांग दान करना चाहिए तथा प्याऊ की स्थापना करनी चाहिए।
 
* इस दिन नया वस्त्र धारण करना चाहिए तथा घर को ध्वज, पताका, बंधनवार आदि से सजाना चाहिए।
 
* गुड़ी पड़वा दिन नीम के कोमल पत्तों, पुष्पों का चूर्ण बनाकर उसमें काली मिर्च, नमक, हींग, जीरा, मिस्री और अजवाइन डालकर खाना चाहिए। इससे रुधिर विकार नहीं होता और आयोग्य की प्राप्ति होती है।
 
* इस दिन नवरात्रि के लिए घटस्थापना और तिलक व्रत भी किया जाता है। इस व्रत में यथासंभव नदी, सरोवर अथवा घर पर स्नान करके संवत्सर की मूर्ति बनाकर उसका 'चैत्राय नमः', 'वसंताय नमः' आदि नाम मंत्रों से पूजन करना चाहिए।

इसके बाद पूजन-अर्चन करना चाहिए। विद्वानों तथा कलश स्थापना कर शक्ति आराधना का क्रम प्रारंभ करके नवमी को व्रत का पारायण कर शुभ कामनाओं का फल प्राप्ति हेतु मां दुर्गा से प्रार्थना करनी चाहिए।

ये भी पढ़ें
भगवान भोलेनाथ शंकर की इन 8 तरह की मूर्तियों के बारे में आपको शर्तिया नहीं पता होगा