श्री गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक कुंडली में लग्न को जानकर करें पूजन
प्रथम पूज्य गौरीपुत्र गणेशजी का पूजन देव, दानव, किन्नर व मानव सभी करते हैं। प्रत्येक शुभ कार्य के पहले भगवान गणेशजी की आराधना व पूजन किया जाता है। गणेशजी की आराधना नाना प्रकार के कष्टों का हरण करती है। गणेशजी की आराधना आपके हर मनोरथ को पूर्ण करती है।
पार्वती पुत्र गणेशजी की आराधना अपने जन्म लग्नानुसार करें, तो समस्त मनोरथ पूर्ण होंगे। पहले अपनी कुंडली देखें कि उसमें प्रथम स्थान पर कौन सा अंक लिखा है। वही आपका लग्न है। जैसे 1 लिखा है तो मेष, 2 लिखा है तो वृषभ, 3 लिखा है तो मिथुन.. इस तरह 12 राशि के क्रम से अपने लग्न को जान लें, फिर दिए गए मंत्र का उच्चारण करें।
1.मेष लग्न : ॐ धूम्रवर्णाय नम:
2.वृषभ लग्न : ॐ गजकर्णाय नम:
3.मिथुन लग्न : ॐ गणाधिपाय नमः
4.कर्क लग्न : ॐ विश्वमुखाय नम:
5.सिंह लग्न : ॐ गजाननाय नम:
6.कन्या लग्न : ॐ ज्येष्ठराजाय नमः
7.तुला लग्न : ॐ कुमारगुरवे नमः
8. वृश्चिक लग्न : ॐ ईशानपुत्राय नमः
9. धनु लग्न : ॐ गणाधिराजाय नमः
10. मकर लग्न : ॐ गजकर्णकाय नमः
11.कुंभ लग्न : ॐ निधिपतये नमः
12.मीन लग्न : ॐ शुभाननाय नमः