रविवार, 21 अप्रैल 2024
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मोगली के घर कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान में घूमने जरूर जाएं

Kanha Kisli Jungle | मोगली के घर कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान में घुमने जरूर जाएं
रहस्यों से भरे हैं भारत के जंगल। जंगल में रहना बहुत ही रोमांचक और खतरों से भरा है। भारत कई प्रकार के जंगली जीवों का, अनेक पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों का घर है। घने जंगल और ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के कारण यह देश धरती का सबसे सुंदरतम स्थान है। तप और ध्यान करने के लिए प्राचीनकाल में भारत सबसे उपयुक्त स्थान हुआ करता था। भारत के मध्य में स्थित 'दंडकारण्य' में हजारों ऋषियों के आश्रम थे और यहां दुनिया की सबसे प्राचीन गुफाएं और प्राचीन नगर के अवशेष आज भी मौजूद हैं।
 
 
कान्हा किसली (मध्यप्रदेश) : एशिया के सबसे सुरम्य और खूबसूरत वन्यजीव रिजर्वों में से एक है कान्हा राष्ट्रीय उद्यान। खुले घास के मैदान यहां की विशेषता हैं। बांस और टीक के वृक्ष इसकी सुंदरता को और बढ़ा देते हैं। यहां काला हिरण, बारहसिंगा, सांभर और चीतलों को एकसाथ देखा जा सकता है। इसके अलावा यहां बाघ, तेंदुआ, चीतल, नीलगाय, जंगली सूअर, गौर, भैंसे, सियार आदि हजारों पशु और पक्षियों का झुंड है। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान भारत के मध्यप्रदेश राज्य में स्थित है। यह मुख्यत: एक बाघ अभयारण्य है, जो 2051.74 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। मंडला और जबलपुर शहर से सड़क मार्ग द्वारा 'कान्हा राष्ट्रीय उद्यान' तक पहुंचा जा सकता है।
 
 
मोगली के घर की सैर : प्राकृतिक सुंदरता और वास्तुकला के लिए प्रसिद्घ कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का नाम यहां की चिकनी मिट्टी के कारण पड़ा है जिसे स्थानीय भाषा में 'कनहार' कहा जाता है। एक और मान्यता यह है कि इस वन के पास एक गांव में कान्वा नाम के सिद्घपुरुष रहते थे। उन्हीं के नाम पर इस उद्यान का नाम 'कान्हा' रखा गया है। मध्यप्रदेश के मंडला के नजदीक के इस उद्यान से ही रूडयार्ड किपलिंग को 'जंगल बुक' लिखने की प्रेरणा मिली।
 
 
यह राष्ट्रीय उद्यान 1945 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह क्षेत्र घोड़े के खुर के आकार का है। सतपुड़ा पर्वत की घाटियों से घिरा यह क्षेत्र बेहद हरा-भरा है। इन पहाड़ियों की ऊंचाई 450 से 900 मीटर तक है। यह दो हिस्सों में विभक्त है- हेलन और बंजर क्षेत्र। 1879 से 1910 ईस्वी तक यह स्थान अंग्रेजों की शिकारगाह था। 1933 में इसे अभयारण्य के तौर पर स्थापित कर दिया गया तथा 1955 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया गया।
 
 
हिदायत : ऐसे बहुत से लोग रहे हैं, जो भारत के अबूझमाड़, काजीरंगा, कान्हा या अफ्रीका के कालाहारी रेगिस्तान के जंगल या अमेजन में रास्ता भटककर घूम गए और उनमें से कुछ तो लौटे नहीं लेकिन कुछ एक माह और कुछ पूरे 1 साल बाद लौटे। जंगल में सबसे ज्यादा खतरा रहता है किसी जंगली जानवर से आपका सामना होना। यदि आप जंगल की रोमांचकारी सैर करने की सोच रहे हैं तो ध्यान रखें कि कभी भी बिना योजना और सुरक्षा के न निकलें अन्यथा आपको लेने के देने ही नहीं, बल्कि जान के लाले भी पड़ जाएंगे। जंगल में दो रात बिताना कितना मुश्किल होता, यह कोई जंगल में रहकर ही जान सकता है।
 
अगर आप कभी किसी ऐसे एरिया में ट्रेवल करने वाले हैं, जहां पर फोन, पुलिस और इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है तो आपके सामने खतरा और रोमांच है जिसके लिए आपको हमेशा तैयार रहना होगा। देखना होगा कि आपके पास पीने का पानी, खाने का भोजन और सुरक्षा से रहने का सामान कितना है? आपको यह भी समझना होगा कि आसपास नदी कितनी दूर है और पहाड़ी कितनी ऊंची? कौन-सी दिशा किधर और कितना भयानक है जंगल? सबसे जरूरी कि आपको जानवर और जंगल के बारे में कितना ज्ञान है? यदि ये सब हैं तो आप भटकने के बाद सकुशल घर लौट आएंगे।
 
 
हालांकि आपकी इस रोमांचकारी यात्रा में आपको जो अनुभव होगा उसको बयां तो आप ही कर सकते हैं। हो सकता है कि कोई भटकती आत्मा नजर आ जाए या किसी मांसाहारी जानवर से आपका सामना हो जाए। खासकर आपको रात में जंगल के जंगल होने का अहसास होगा।
 
जंगल में सबसे ज्यादा खतरा रहता है किसी जंगली जानवर से आपका सामना होना। शेर, चीते या बाघ से कहीं ज्यादा खतरनाक होते हैं जंगली कुत्ते, भेड़िये और लकड़बग्घे। दरअसल, ये बहुत तादाद में होते हैं और इनकी सूंघने की क्षमता भी अन्य जानवरों से कहीं ज्यादा होती है। ये लगभग 16 से 20 किलोमीटर दूर से ही सूंघ लेते हैं अपने शिकारी को। जंगल से बाहर निकलने, खाने-पीने या रात गुजारने से पहले जंगली जानवरों से बचने के बारे में आप सबसे पहले सोचें अन्यथा आप वक्त से पहले ही मारे जाएंगे।