म्यूचुअल फंड में कैसी हो लांग टर्म निवेश की प्लानिंग, जानिए दो बातें, तेजी से बढ़ेगा आपका धन
आम आदमी म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहता है लेकिन उसके सामने कई सवाल होते हैं। इन सवालों को लेकर वह उलझता रहता है और भ्रांतियों का शिकार हो जाता है। अकसर लोगों के मन में यह भी सवाल उठता है कि लांग टर्म निवेश किस तरह किया जाए और किस तरह प्लानिंग की जाए कि आपका पैसा तेजी से बढ़ेगा।
ग्रोथ चाहते हैं तो ग्रोथ विकल्प का चयन करें : लांग टर्म निवेश मतलब ऐसा निवेश, जिसमें आप 10 साल या उससे अधिक समय के लिए पैसा लगाते हैं। जब भी आप म्यूचुअल फंड में पैसा लगाते हैं तो आपसे यह सवाल किया जाता है कि आप ग्रोथ चाहते हैं या डिविडेंड। अगर आप ग्रोथ चाहते हैं तो फंड से होने वाली कमाई को फिर उसी में लगा दिया जाता है।
इस तरह आपका पैसा म्यूचुअल फंड के माध्यम से बाजार में 'रोटेट' होता है और इस पर आपको बेहतर 'रिटर्न' मिलता है। ग्रोथ ऑपशन चूनने पर आपका धन ज्यादा तेजी से बढ़ता है।
एक साथ प्लान करें दो SIP : अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं तो एक साथ दो एसआईपी प्लान कर सकते हैं। एक को आप इमरजेंसी फंड के रूप में इस्तेमाल करते सकते हैं और दूसरी को लांग टर्म के रूप में। दोनों में ग्रोथ का ऑपशन चुने। इस तरह जरूरत पड़ने पर इमरजेंसी फंड वाली एसआईपी से पैसा निकाल सकते हैं और दूसरी एसआईपी को नहीं छेड़ें। इस तरह इसमें आपका पैसा इकट्ठा भी होगा और बढ़ता भी रहेगा।
अगर आप चाहें तो म्यूचुअल फंड पर लोन भी ले सकते हैं। इससे आपका फंड भी नहीं टूटेगा और जल्द ही इसे चुकाने का दबाव भी बना रहेगा। इस तरह आप लोन भी जल्दी चुका देंगे और फंड भी नहीं टूटेगा। इस बात की भी संभावना है कि फंड से मिलने वाला रिटर्न लिए गए लोन के ब्याज से ज्यादा हो।
इस ऑपशन को लेने में है यह बड़ा नुकसान : दूसरी ओर अगर आप डिविडेंड का ऑपशंन लेते हैं तो यह पैसा आपके खाते में आ जाता है। आपने लांग टर्म निवेश किया है और डिविडेंड ऑपशन लिया है तो एक समय बाद यह स्थिति आ जाती है कि जितना आप लगाएंगे उससे ज्यादा तो आपको रिटर्न मिलने लगेगा। लेकिन इससे आपको निवेश पर ज्यादा फायदा नहीं होगा। हालांकि आप इसे रिइनवेस्ट भी कर सकते हैं लेकिन इस स्थिति में रिइनवेस्टमेंट पर आपको टैक्स देना होगा।
हालांकि म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है लेकिन इसमें रिस्क भी शेयर बाजार की अपेक्षा बहुत कम है। इसमें एसआईपी के माध्यम से आप टुकड़ों में निवेश करते हैं और लांग टर्म में निवेश करने से जोखिम कम होता चला जाता है और लाभ की संभावना भी ज्यादा होती चली जाती है।