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Written By अनिरुद्ध जोशी

पर्यावरण दिवस पर जानिए पंच तत्व के पंच तथ्य

five elements
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5 June World Environment Day: 5 जून को पर्यावरण दिवस है। धरती सहित संपूर्ण ब्रह्मांड पांच तत्वों से मिलकर बना है। ये पांच तत्व है- आकाश, वायु, अग्नि, जल और धरती। धरती यानी की जड़ पदार्थ। जैसे सभी ग्रह और नक्षत्र इसी के अंतर्गत आते हैं। परंतु जीवन वहीं संभव है जहां यह पांच तत्व एक साथ मौजूद हैं।
 
 
1. क्या है आकाश (Akash tatva) : आकाश एक ऐसा तत्व है जिसमें पृथ्वी, जल, अग्नि और वायु विद्यमान है। आकाश अनंत है, जिसके कई स्तर होते हैं। हिन्दू पुराणों में आकाश देव को द्यौस पितर कहा गया है। यह 8 वसुओं में से एक है। आकाश देव ही आकाश से संदेश देकर भविष्यवाणी करते हैं जिसे आकाशवाणी कहते हैं।
आंकड़े (figures): आकाश में स्थित ओजोन परत धरती के आकाश और बाहर के आकाश को दो भागों में विभाजित करती है। ओजोन परत पृथ्वी और पर्यावरण के लिए एक सुरक्षा कवच का कार्य करती है, लेकिन प्रदूषण और गैसों के कारण ओजोन परत का छिद्र बढ़ता जा रहा है। बढ़ते छिद्र के कारण धरती शीर्ष से पतली होती जा रही है और इसीके चलते co2 की कमी भी हो रही है। आकाश पक्षियों के चहचहाने और बादलों के कारण सुंदर लगता है, लेकिन अब इसकी कमी आ गई है।
 
2. क्या है वायु (Vayu tatva) : वायु के कारण ही अग्नि की उत्पत्ति हुई है। हमारी धरती और शरीर में वायु प्राणवायु के रूप में विद्यमान है। हिन्दू पुराणों के अनुसार वायु को 49 मरुतगण और पवनदेव संचालित करते हैं। शरीर के भीत 5 तरह की वायु विद्यमान है- 1. समान, 2 प्राण, 3. उदान, 4. अपान और 5. व्यान। धरती से लेकर ध्रुव तक 7 प्रकार की वायु विद्यमान हैं- 1. प्रवह, 2. आवह, 3. उद्वह, 4. संवह, 5. विवह, 6. परिवह और 7. परावह। विज्ञान अनुसार वायु गैसों का मिश्रण होती है। जिसमें नाइट्रोजन 78%, ऑक्सीजन 21%, ऑर्गन 0.9% और अन्य गैसे 0.1 प्रतिशत होती है।
आंकड़े (figures): वृक्षों के कटने, वाहनों, विद्युत संयंत्र, फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं, गैसों के कारण, ज्वालामुखी की राख और धुएं से, खेतों में जलाई जा रही पराली और जंगलों में लगी आग से, कचरा शोधन या कचरे को जलाने से, धुआं उगलते ईंट के भट्टे, कोयला, जलावन लकड़ी और उपलों से, एसी और रेफ्रिजरेटर के कारण वायु प्रदूषित हो गई है। जिसके चलते वायु में कार्बन डाइऑक्साइड, मोनोऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरोकार्बन, सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड, हाइड्रोजन क्लोराइड, हाइड्रोजन फ्लोराइड, ग्रीन हाउस गैसों की तादाद बढ़ गई है और ऑक्सीजन लेवल घट गया है। भारत के कई शहरों का एक्यूआई 200 से ज्यादा है जबकि 0 से 50 के बीच रहना चाहिए। 2019 के आंकड़ों के अनुसार वायु प्रदूषण से दुनिया भर में 90 लाख लोगों की मौत हुई जबकि भारत में जहरीली हवा ने ली 16.7 लाख की जान। राष्ट्रीय स्वास्थ्य रिपोर्ट (एनएचपी) में उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों के आंकड़ों के आधार पर कहा गया है कि 68.47 फीसद लोग वायु प्रदूषण से जुड़े तीव्र श्वसन संक्रमण (एक्यूट रेस्पिरेटरी इंफेक्शन) से ग्रसित होते हैं। यह निमोनिया के बाद मृत्यु का सबसे बड़ा कारण होता है।
 
3. क्या है अग्नि (Agni tatva) : अग्नि से जल की उत्पत्ति मानी गई है। हमारे शरीर में और धरती पर अग्नि ऊर्जा के रूप में विद्यमान है। अग्नि तत्व ऊर्जा, ऊष्मा, शक्ति और ताप का प्रतीक है। ये तत्व ही भोजन को पचाकर शरीर को बल और शक्ति वरदान करता है। हिन्दू पुराणों के अनुसार ब्रह्मा के पुत्र अग्निदेव ही शरीरस्‍थ और ब्रह्मांड में स्थिति अग्नि को संचालित करते हैं। यह कई प्रकार की होती है जैसे एक जठराग्नि, पांच भूताग्नियां- भौमग्नि, आप्याग्नि, आग्नेयाग्नि, वायव्याग्नि और आकाशाग्नी। सात धात्वाग्नियां- रसाग्नि, रक्ताग्नि, मान्साग्नि, मेदोग्नि, अस्थ्यग्नि, मज्जाग्नि और शुक्राग्नि।
आंकड़े (figures): अग्नि के कारण भी धरती संकट में है। मनुष्य ने सर्वप्रथम पत्‍थर और लकड़ी से अग्नि पैदा करना सीखा। अग्नि का प्रकाश स्वरूप जीवन देता है और ताप स्वरूप जीवन को भस्म कर देता है। घर में जलने वाला विद्युत, आकाश की बिजली और सूर्य की अग्नि दोनों ही मूल रूप में एक ही है। ज्वालामुखी से निकलने वाली अग्नि धरती के भीतर है और सूर्य के बढ़ते ताप से जंगलों में आग लग जाती है। आधुनिक अस्त्र-शस्त्रों से अग्नि का ही जन्म होता है, जिसके चलते धरती संकट में है। कई ज्वलनशील पदार्थ से जीवन संचालित होता है। अग्नि के जलने से जलवायु और पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। जंगल में लगी आग से जैव विविधता, वनस्पति को नुकसान पहुंचा है और कई वन्य जीव लुप्त भी हो चले हैं। जिससे चलते पारिस्थितिकी संकट उत्पन्न हो गया है।
4. क्या है जल (Jal tatva) : जल से ही जड़ जगत और जीवन की उत्पत्ति हुई है। हमारे शरीर में और धरती पर लगभग 70 प्रतिशत जल विद्यमान है। हिन्दू पुराणों के अनुसार बारिश का जल सबसे शुद्ध, उसके बाद हिमालय से निकलने वाली नदियों का, फिर कुवे और सरोवर का जल शुद्ध होता है। जल के देवता कश्यप ऋषि के पुत्र वरुण हैं। ऋग्वेद का 7वां मंडल वरुण देवता को समर्पित है। जल या पानी एक आम रासायनिक पदार्थ है जिसका अणु दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु से बना है- H2O। यह सारे प्राणियों के जीवन का आधार है। इसका ठोस रूप बर्फ, तरल रूप पानी और गैसीय रूप भाप के रूप में जाना जाता है।
 
आंकड़े (figures) : कल कारखानों का दूषित जल नदियों में मिलकर भयंकर जल प्रदूषण पैदा कर रहा है। भारत के जल शक्ति राज्य मंत्री विश्वेश्वर टुडु ने पिछले साल ही संसद में बताया था कि कई राज्यों में जल प्रदूषण बढ़ा है। पानी में लेड, आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन की अधिक मात्रा चिंताजनक है। 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 154 जिलों में पानी प्रदूषित है। अनुमानित रूप से भारत में 7.6 करोड़ की आबादी को स्वच्छ जल सहज उपलब्ध नहीं है। विश्व में 2.2 बिलियन लोगों को साफ पीने का पानी नहीं मिल पाता है। देश के कुल भूमिगत जल का 73 फीसदी दोहन किया जा चुका है। आने वाले समय में पानी पर संकट गहराने वाला है क्योंकि नदियों का जल स्तर भी घटता जा रहा है और कई नदियां तो प्रदूषण का शिकार हो चली है।
 
5. क्या है पृथ्‍वी (Prithvi tatva): मिट्टी, पत्थर, पानी, हवा, आग और आकाश मिलाकर धरती बनी है। इसे जड़ जगत का हिस्सा कहते हैं। हमारा शरीर भी धरती का ही एक हिस्सा है। धरती मनुष्य और अन्य प्राणियों के रहने का स्थान है। यहीं पर जल, वायु और अग्नि भी निवास करते हैं। पृथ्वी एक ऐसा ग्रह है जिस पर पानी तीनों अवस्थाओं में पाया जाता है। ठोस, तरल और गैस। इसी से मौसम बनता और ऋ‍तु चक्र चलता है। पुराणों में पृथ्वी को भूदेवी कहा गया है जो कि श्रीहरि विष्णु की पत्नी हैं। भगवान विष्णु ने वराह अवतार लेकर धरती को राक्षस हिरण्याक्ष से बचाया था। बाद में उन्होंने कई जन्म लिए। माता सीता और मंगलवेद उनकी संताने हैं।
आंकड़े (figures): खनन, उत्खनन या खुदाई का अर्थ है धरती के शरीर पर फावड़ा चलाना, उसके शरीर को छलनी करना। खनन 5 जगहों पर हो रहा है- 1.नदी के पास खनन, 2.पहाड़ की कटाई, 3.खनीज, धतु, हीरा क्षेत्रों में खनन, 4.समुद्री इलाकों में खनन और 5.पानी के लिए धरती के हर क्षेत्र में किए जा रहा बोरिंग। इन सभी से धरती खोखली होती जा रही है। नदी के सूखने, वायु प्रदूषण, वृक्ष और पहाड़ कटने और प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने से धरती का तापमान 1 डीग्री से ज्यादा बढ़ गया है, जिसके चलते ग्लेशियर पिघल रहे हैं और जलवायु परिवर्तन हो रहा है। रेत, गिट्टी, खनिज पदार्थों, हीरा, कोयला, तेल, पेट्रोल, धातु और पानी के लिए संपूर्ण धरती को ही खोद दिया गया है। कहीं हजार फीट तो कहीं 5 हजार फीट नीचे से पानी निकाला जा रहा है। खोखली भूमि भविष्य में जब तेजी से दरकने लगेगी तब मानव के लिए इस स्थिति को रोकना मुश्‍किल हो जाएगा।