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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 23 जून 2025 (15:58 IST)

संजय गांधी बलिदान दिवस पर जानें उनका जीवन परिचय

death anniversary of Sanjay Gandhi
Sanjay Gandhi: आज, 23 जून, संजय गांधी का बलिदान दिवस है। संजय पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे थे और अपने समय में एक शक्तिशाली और प्रभावशाली नेता के रूप में उभरे। यह दिन भारत के एक ऐसे राजनीतिक व्यक्तित्व को याद करने का है जिन्होंने अपनी कम उम्र में ही भारतीय राजनीति पर गहरा प्रभाव डाला था।
 
संजय गांधी जीवन परिचय: संजय गांधी का जन्म 14 दिसंबर 1946 को नई दिल्ली में हुआ था। वह भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नाती और इंदिरा गांधी व फिरोज गांधी के छोटे पुत्र थे। उनका पूरा नाम संजय नेहरू गांधी था।
 
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा: संजय ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के प्रतिष्ठित दून स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग का प्रशिक्षण लेने के लिए यूनाइटेड किंगडम (UK) में रॉल्स-रॉयस में अप्रेंटिसशिप की। उन्हें कारों और इंजीनियरिंग में गहरी रुचि थी। उन्होंने कभी औपचारिक विश्वविद्यालय शिक्षा प्राप्त नहीं की, लेकिन उनकी तकनीकी समझ और नवाचार की इच्छा हमेशा बनी रही।
 
राजनीतिक जीवन में प्रवेश और प्रभाव: संजय गांधी का राजनीतिक जीवन 1970 के दशक की शुरुआत में शुरू हुआ। वह अपनी मां इंदिरा गांधी के राजनीतिक सलाहकार और एक प्रमुख सहयोगी के रूप में उभरे। जब 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया, तो बताया जाता है कि उस समय पर्दे के पीछे से देश की कमान संजय गांधी के हाथों में थी।

भारत में लगाए गए आपातकाल के दौरान संजय गांधी का प्रभाव अपने चरम पर था। इस दौरान, उन्होंने कई विवादास्पद कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया, जिसमें नसबंदी अभियान का जनता पर गहरा प्रभाव पड़ा। आपातकाल के दौरान उनकी शक्ति और कथित मनमानी के लिए उनकी कड़ी आलोचना भी हुई। संजय का छोटा-सा राजनीतिक जीवन विवादित रहा। 
 
निधन: संजय गांधी का जीवन 23 जून 1980 को एक दुखद विमान दुर्घटना में समाप्त हो गया। दिल्ली के सफदरजंग एयरपोर्ट पर एक विमान हादसे में संजय गांधी की मौत हो गई थी।  दिल्ली फ्लाइंग क्लब के सदस्य संजय गांधी एक नया एयरक्राफ्ट उड़ा रहे थे। अचानक उनका कंट्रोल खत्म हो गया और उस हादसे में उनकी मौत हो गई।

इस दौरान उनके एकमात्र यात्री कैप्टन सक्सेना की भी मौत हो गई। उनकी मौत एक राज बनकर रह गई। उनकी मृत्यु ने भारतीय राजनीति में एक बड़ा शून्य छोड़ दिया और उनकी मां, इंदिरा गांधी के लिए एक गहरा व्यक्तिगत आघात था।
 
विरासत: संजय गांधी का राजनीतिक करियर छोटा लेकिन प्रभावशाली रहा। उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में याद किया जाता है जो त्वरित और साहसिक निर्णय लेने में विश्वास रखते थे, भले ही वे विवादास्पद क्यों न हों। उनके निधन के बाद, उनके भाई राजीव गांधी ने राजनीतिक बागडोर संभाली। संजय गांधी का बलिदान दिवस हमें भारतीय राजनीति के उस दौर और एक ऐसे युवा नेता की याद दिलाता है जो अपने विचारों और कार्यों से देश पर गहरी छाप छोड़ गए।
 
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