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  4. 23 march is martyrdom day of bhagat singh, sukhdev and rajguru
Written By WD Feature Desk
Last Modified: रविवार, 23 मार्च 2025 (00:10 IST)

23 मार्च भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु का शहीदी दिवस

Rajguru Bhagat Sukhdev
भारतीय आजादी के आंदोलन में दो दल आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे। पहले गरम दल और दूसरे नरम दल। भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव गरम दल के क्रांतिकारी नेता थे। इन्होंने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था। भगतसिंह को 23 मार्च, 1931 को लाहौर की सेंट्रल जेल में फांसी दी गई थी। तीनों की समाधी पंजाब के हुसैनीवाला गांव में बनी है।
 
'आदमी को मारा जा सकता है उसके विचार को नहीं। बड़े साम्राज्यों का पतन हो जाता है लेकिन विचार हमेशा जीवित रहते हैं और बहरे हो चुके लोगों को सुनाने के लिए ऊंची आवाज जरूरी है।' बम फेंकने के बाद भगतसिंह द्वारा फेंके गए पर्चों में यह लिखा था।
 
1. भगतसिंह: भगतसिंह चाहते थे कि इसमें कोई खून-खराबा न हो तथा अंग्रेजों तक उनकी आवाज पहुंचे। निर्धारित योजना के अनुसार भगतसिंह तथा बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल 1929 को केंद्रीय असेम्बली में एक खाली स्थान पर बम फेंका था। इसके बाद उन्होंने स्वयं गिरफ्तारी देकर अपना संदेश दुनिया के सामने रखा। उनकी गिरफ्तारी के बाद उन पर एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जेपी साण्डर्स की हत्या में भी शामिल होने के कारण देशद्रोह और हत्या का मुकदमा चला।
 
यह मुकदमा भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में लाहौर षड्यंत्र के नाम से जाना जाता है। करीब 2 साल जेल प्रवास के दौरान भी भगतसिंह क्रांतिकारी गतिविधियों से भी जुड़े रहे और लेखन व अध्ययन भी जारी रखा। फांसी पर जाने से पहले तक भी वे लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे। 23 मार्च 1931 को शाम 7.23 पर भगत सिंह, सुखदेव तथा राजगुरु को फांसी दे दी गई।
 
उर्दू, अंग्रेजी, हिन्दी, पंजाबी, संस्कृत, तथा आयरिश भाषा के मर्मज्ञ भगत सिंह ने 'अकाली' और 'कीर्ति' पत्रों का  संपादन भी किया। बाद में स्व. इन्द्रविद्या वाचस्पति के 'अर्जुन' तथा गणेश शंकर विद्यार्थी के 'प्रताप' में संवाददाता का भी कार्य किया। ' चांद' का मासिक जब्तशुदा फांसी अंक भगत सिंह की संपादन योग्यता का उत्कृष्ट उदाहरण है। 
Bhagat Singh
2. शहीद सुखदेव: सुखदेव का जन्म 15 मई, 1907 को पंजाब को लायलपुर पाकिस्तान में हुआ। भगतसिंह और सुखदेव के परिवार लायलपुर में पास-पास ही रहने से इन दोनों वीरों में गहरी दोस्ती थी, साथ ही दोनों लाहौर नेशनल कॉलेज के छात्र थे। सांडर्स हत्याकांड में इन्होंने भगतसिंह तथा राजगुरु का साथ दिया था।
 
3. शहीद राजगुरु : 24 अगस्त, 1908 को पुणे जिले के खेड़ा में राजगुरु का जन्म हुआ। शिवाजी की छापामार शैली के प्रशंसक राजगुरु लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के विचारों से भी प्रभावित थे। पुलिस की बर्बर पिटाई से लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए राजगुरु ने 19 दिसंबर, 1928 को भगत सिंह के साथ मिलकर लाहौर में अंग्रेज सहायक पुलिस अधीक्षक जेपी सांडर्स को गोली मार दी थी और खुद ही गिरफ्तार हो गए थे।