चेम्सफोर्ड। भारतीय क्रिकेट में एक वक्त था जब ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन के बिना किसी भारतीय टीम की कल्पना नहीं की जाती थी लेकिन पिछले कुछ समय में युवा चाइनामैन गेंदबाज कुलदीप यादव अचानक ही चर्चा का सबसे बड़ा केंद्र बन गए हैं।
इंग्लैंड के खिलाफ एक अगस्त से होने वाली पांच मैचों की टेस्ट सीरीज से पहले भारत के दो अनुभवी स्पिनरों अश्विन और लेफ्ट आर्म स्पिनर रवींद्र जडेजा पर कोई चर्चा नहीं है और भारतीय खेमे से लेकर इंग्लिश खेमे तक इसी बात पर ध्यान केंद्रित है कि कुलदीप कितने मारक साबित होंगे। कुलदीप ने इंग्लैंड के खिलाफ एक ट्वंटी 20 मुकाबले में पांच विकेट और पहले वनडे में छह विकेट लेकर इंग्लिश बल्लेबाजों को दहशत में डाल दिया है।
भारतीय कप्तान विराट कोहली से लेकर क्रिकेट लीजेंड सचिन तेंदुलकर तक सभी कुलदीप की गेंदबाजी से इतने अभिभूत हैं कि उन्हें टेस्ट एकादश में उतारने की जोरदार वकालत हो रही है। इन परिस्थितियों में अश्विन और जडेजा के लिए खुद को साबित करना बहुत महत्वपूर्ण है।
इंग्लैंड में पिछले साल चैंपियंस ट्रॉफी और वेस्टइंडीज के दौरे के बाद अश्विन और जडेजा को भारत की सीमित ओवरों की टीम से पूरी तरह नजर अंदाज कर दिया गया और कुलदीप तथा लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल कप्तान विराट की पहली पसंद बन गए हैं।
पिछले लगभग एक वर्ष से अधिक समय से सीमित ओवरों की टीम से बाहर चल रहे अश्विन और जडेजा दोनों के लिए यह टेस्ट सीरीज करो या मरो का मुकाबला है। यदि दोनों इस सीरीज में शानदार प्रदर्शन करते हैं और भारत को सीरीज जीत दिलाने में योगदान देते हैं तो उनके लिए 2019 में इंग्लैंड में ही होने वाले एकदिवसीय विश्वकप के लिए भारतीय टीम में वापसी का रास्ता खुल सकता है।
अश्विन 58 टेस्टों में 316 विकेट ले चुके हैं और वह सबसे तेज 300 विकेट पूरे करने वाले गेंदबाज है। उन्होंने 26 बार एक पारी में पांच विकेट और सात बार एक टेस्ट में 10 विकेट लिए हैं। बल्ले से भी अश्विन निचले क्रम में उपयोगी रहे हैं और अब तक 2163 रन बना चुके हैं।
भारत के सबसे कामयाब लेफ्ट आर्म स्पिनर जडेजा ने भी 36 टेस्टों में 171 विकेट लिए हैं और उनके खाते में 1196 रन भी हैं। जडेजा ने एक पारी में पांच विकेट नौ बार और एक टेस्ट में 10 विकेट एक बार लिए हैं। अश्विन ने अफगानिस्तान के खिलाफ जून में खेले गए एकमात्र टेस्ट में कुल पांच विकेट और जडेजा ने छह विकेट हासिल किये हैं। फिलहाल दोनों गेंदबाज़ भारतीय स्पिन आक्रमण की धुरी हैं लेकिन जिस तरह कुलदीप को लेकर चर्चा चल रही है उससे इन दोनों गेंदबाजों को भी खुद को साबित करने की नौबत आ गई है।
भारत ने इंग्लैंड में अपनी पहली टेस्ट सीरीज 1971 में जीती थी और इस इतिहास को कपिल देव ने 1986 में तथा राहुल द्रविड़ ने 2007 में दोहराया था। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में शुमार विराट के पास 11 साल बाद यह इतिहास दोहराने का मौका है।
अजीत वाडेकर की कप्तानी में जब भारत ने 1971 में टेस्ट सीरीज जीती थी तब भागवत चंद्रशेखर, एस वेंकटराघवन और बिशन सिंह बेदी की स्पिन तिकड़ी ने सीरीज में कुल 37 विकेट लेकर भारत को जीत दिलाई थी। चंद्रशेखर ने 13, वेंकटराघवन ने 13 और बेदी ने 11 विकेट हासिल किए थे।
यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कप्तान तीनों स्पिनरों को एक साथ खिलाने का जोखिम उठा सकते हैं और यदि कुलदीप को मौका मिलता है तो फिर अश्विन और जडेजा में से किसे बाहर बैठना पड़ेगा।
इंग्लैंड की मौजूदा पिचें स्पिन गेंदबाजी के लिए अनुकूल नहीं मानी जाती हैं लेकिन जिस तरह कुलदीप ने और इंग्लैंड के लेग स्पिनर आदिल राशिद ने वनडे सीरीज में प्रदर्शन किया उससे यह संभावना बनती है कि स्पिनरों को यहां मौका मिल सकता है।
वनडे सीरीज़ में राशिद की जिस गेंद ने भारतीय कप्तान विराट को बोल्ड किया था उसकी तुलना शेन वार्न की 'बॉल ऑफ द सेंचुरी' से की जा रही है। अश्विन ने 2014 में भारत के पिछले इंग्लैंड दौरे में दो ही टेस्ट खेले थे और उन्हें 33.66 के औसत से तीन विकेट मिले थे जबकि उनका करियर औसत 25.34 का है।
अश्विन ने पिछले साल काउंटी में वारसेस्टरशायर की ओर से खेलते हुए चार मैचों में 20 विकेट हासिल किए थे और इंग्लैंड दौरे के बाद वह इस काउंटी टीम के साथ उसके अंतिम दो मैच खेलेंगे।
इंग्लिश पिचों पर जडेजा अश्विन के मुकाबले ज्यादा सफल रहे हैं और पिछले दौरे में उन्होंने चार टेस्ट खेलकर नौ विकेट हासिल किए थे। विराट, सचिन और सौरभ गांगुली सहित भारत के तमाम दिग्गज 23 वर्षीय कुलदीप को टेस्ट एकादश में देखने के लिए खासे बेताब हैं और इस युवा गेंदबाज ने अब तक इंग्लिश परिस्थितियों में खुद को साबित भी किया है। इसे देखते हुए वह अंतिम एकादश में दोनों अनुभवी भारतीय स्पिनरों के लिए खतरा बने हुए हैं।
कुलदीप ने अब तक दो टेस्ट खेले हैं और उनके दोनों ही टेस्ट भारतीय उपमहाद्वीप की स्पिन की मददगार पिचों पर रहे हैं। उन्होंने दो टेस्ट में नौ विकेट हासिल किए हैं। यह देखना दिलचस्प रहेगा कि भारतीय टीम प्रबंधन और कप्तान इस अबूझ स्पिनर और दो दिग्गज स्पिनरों में से किसे प्राथमिकता देता है। इंग्लैंड का यह दौरा भारत के मौजूदा समय के दो सर्वश्रेष्ठ स्पिनरों के लिए बड़े इम्तिहान से कम नहीं होगा। (वार्ता)