अस्पताल में नहीं मिला उपचार, पीपल के नीचे लगा लिए Corona मरीजों ने बिस्तर
शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश)। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में अस्पताल में उपचार नहीं मिलने पर कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 मरीजों द्वारा पीपल के पेड़ के नीचे अपना बिस्तर लगा लेने का मामला सामने आया है। हालांकि मुख्य चिकित्साधिकारी का कहना है कि जहां की बात की जा रही है वहां सिर्फ एक व्यक्ति कोरोना संक्रमित मिला जिसे अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है।
भाजपा विधायक रोशनलाल वर्मा ने शनिवार को बताया, हमें आज सूचना मिली कि तिलहर क्षेत्र में कुछ लोग ऑक्सीजन की समस्या के चलते पीपल के पेड़ के नीचे बिस्तर लगाकर रह रहे हैं जिसके बाद वह वहां गए तो देखा कि वहां आठ-नौ लोगों के बिस्तर लगे हैं।
उन्होंने बताया कि उन्हें देखते ही कई लोग भाग गए क्योंकि लोगों को भय था कि पुलिस पकड़ लेगी और जेल भेज देगी। वर्मा ने बताया, मौके पर तिलहर निवासी रामनिवास, मुस्कान एवं उर्मिला मिले और उन्होंने उन्हें बताया कि वे लोग कोविड-19 संक्रमित हैं तथा उनकी ऑक्सीजन कम हो गई है, सांस लेने में दिक्कत हो रही हैl
विधायक ने बताया, वे लोग मेडिकल कॉलेज गए परंतु उन्हें भर्ती नहीं किया गया तो वह आकर पीपल के पेड़ के नीचे ही बिस्तर लगाकर लेट गए क्योंकि कहा जाता है कि पीपल के पेड़ से ऑक्सीजन निकलती है। ये लोग पांच दिनों से पीपल के पेड़ के नीचे ही रात-दिन बिता रहे हैं।
उन्होंने बताया कि मैं शाहजहांपुर के विधायक और प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना को कई दिनों से फोन लगा रहा हूं परंतु वह फोन नहीं उठाते हैं। आज भी जब उन्हें फोन लगाया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। इसके बाद जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह को फोन पर पूरी घटना बताई और उन्होंने गंभीरता से लेते हुए घटनास्थल पर ही एंबुलेंस को भेज दिया।
वर्मा ने बताया तिलहर क्षेत्र निवासी मुस्कान तथा उर्मिला को सांस लेने में ज्यादा दिक्कत थी तो उन्हें शाहजहांपुर लाकर ओसीएफ में बने कोरोना अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उनका उपचार शुरू हो गया है। इस बारे में पूछे जाने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एसपी गौतम ने बताया, सूचना पर हमने एक टीम भेजी थी वहां पर केवल एक व्यक्ति ही मिला था जिसकी जांच कराई गई तब वह कोरोनावायरस से संक्रमित मिला। उसे अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है।
उन्होंने कहा, हमारे पास पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध है। जो लोग घरों में रहकर स्वयं अपना इलाज कर रहे हैं उन्हें ऑक्सीजन दे पाना संभव नहीं है लेकिन अस्पताल में जो भी मरीज भर्ती हो रहे हैं उन्हें ऑक्सीजन दी जा रही है।(भाषा)