कोरोना योद्धाओं को मिलें वीरता पुरस्कार, संसद में उठी मांग
नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए अग्रणी पंक्ति के योद्धाओं की मेहनत एवं उनके समर्पण की सराहना करते हुए गुरुवार को राज्यसभा में भाजपा के एक सदस्य ने मांग की कि अपनी जान जोखिम में डालने वाले इन योद्धाओं को वीरता पदक से सम्मानित किया जाना चाहिए।
शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए भाजपा सदस्य डीपी वत्स ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया में युद्ध जैसे हालात पैदा कर दिए हैं।
उन्होंने कहा कि अग्रणी पंक्ति के कोरोना योद्धा महामारी के इस दौर में अपनी जान की परवाह किए बिना अपने दायित्वों का निर्वाह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि डॉक्टर, नर्स एवं अर्द्धचिकित्सा कर्मी जहां अस्पतालों में पूरे धैर्य के साथ अपनी ड्यूटी कर रहे हैं वहीं सफाई कर्मी साफ-सफाई के दायित्व निर्वहन में जुटे हैं।
वत्स ने कहा कि ऑपरेशन थिएटर, आईसीयू, आइसोलेशन वार्ड और प्रसूति कक्ष में काम कर रहे डॉक्टर, नर्स और अर्द्धचिकित्सा कर्मी उन सैनिकों की तरह हैं जो अपनी सुरक्षा को खतरे में डालते हैं तथा गोलाबारूद की परवाह नहीं करते।
उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में कोरोना योद्धाओं की मृत्यु दर अत्यधिक है और भारत कोई अपवाद नहीं है। दूसरे कई देशों में कोरोना योद्धाओं को प्रोत्साहन राशि तथा बीमा कवर आदि की सुविधा दी जा रही है।
वत्स ने कहा कि मेरा अनुरोध है कि सेना और पुलिस सेवाओं की तरह ही कोरोना योद्धाओं को भी सेवा या वीरता शांति पदक से सम्मानित किया जाए, ठीक उसी तरह जिस तरह एयर होस्टेस नीरजा भनोट को सम्मानित किया गया था।
गौरतलब है कि आतंकवादियों ने 1986 में पैन-एम मुंबई-न्यूयार्क उड़ान का कराची हवाईअड्डे पर अपहरण किया था और वरिष्ठ फ्लाइट लेफ्टिनेंट नीरजा भनोट उस विमान में भी थीं। अपने साहस से नीरजा ने कई यात्रियों की जान बचाई लेकिन आतंकवादियों ने नीरजा को गोली मार दी जिससे उनकी मौत हो गई थी।
नीरजा को उनकी वीरता के लिए भारत के सर्वोच्च सम्मान 'अशोक चक्र' से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था। (भाषा)