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Written By अवनीश कुमार
Last Updated : रविवार, 17 मई 2020 (13:19 IST)

झांसी-कानपुर हाईवे से Ground Report: साहब जाने दो, महामारी से नहीं भूखे मर जाएंगे हम लोग...

झांसी-कानपुर हाईवे से Ground Report: साहब जाने दो, महामारी से नहीं भूखे मर जाएंगे हम लोग... - Jhani Kanpur highway Ground report
लखनऊ। कोरोना वायरस महामारी से जहां पूरा देश लड़ रहा है तो वही प्रवासी मजदूर इस महामारी के साथ ही भूख से भी लड़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश की सड़कों पैदल नजर आ रहे प्रवासी मजदूरों की आंखों में आंसू है और पैरों में छाले।

पुलिस वाले अपने फर्ज के आगे मजबूर हैं तो वही यह मजदूर अपने घर जाने के लिए मजबूर हैं। आज ऐसा ही वाकया उत्तर प्रदेश के झांसी से कानपुर हाईवे पर देखने को मिला प्रवासी मजदूर पुलिस वालो से हाथ जोड़ कहते नजर आए साहब जाने दो महामारी से नहीं भूख से मर जाएंगे। यह बात सुन पुलिस वाले भी भावुक हो गए। लेकिन फर्ज के आगे मजबूर होकर वे इन्हें रोकते हुए नजर आए। ऐसे ही कुछ प्रवासी मजदूरों और पुलिस वालों से वेबदुनिया के संवाददाता ने बातचीत की।

झांसी हाईवे पर मौजूद प्रवासी मजदूर रामकेश परिवार के साथ व देवीदयाल परिवार के साथ सड़कों पर पुलिस वालों के आगे हाथ जोड़े खड़े थे। इनसे जब हमने पूछा तो यह सब रोने लगे और बोले साहब मदद कर दो। पुलिस वालों से कह दो हमें जाने दें, हम महामारी से तो नहीं पर भुखमरी से मर जाएंगे।

दोनों ही परिवार ने बताया कि भोपाल में रहकर एक फैक्ट्री में मजदूरी का काम करते थे। लॉक डाउन के चलते फैक्ट्री बंद हो गई और चालू होने की अब कोई उम्मीद भी नहीं दिख रही थी। हमारे पास खाने तक के पैसे नहीं बचे। हमारे पास घर जाने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा था।

हम सभी भोपाल से उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी अपने गांव के लिए निकल पड़े। हाईवे पर एक डीसीएम में बैठे और रास्ता तय करने लगे। साहब इतने भी पैसे नहीं थे कि अपने बच्चे को रास्ते में कुछ खिला पाता, पानी पीकर इन सभी को अपने घर वापस ले जा रहा था। तभी अचानक झांसी हाईवे पर लगी पुलिस ने हम सभी को डीसीएम से नीचे उतार कर खड़ा कर दिया और रुकने को बोला। साहब हमने बहुत हाथ पैर जोड़े लेकिन पुलिस वालों ने एक भी न सुनी।

साहब जेब में मात्र ₹200 पड़े हैं अब आप बताओ क्या खाएं और क्या बच्चों को खिलाएं और कैसे घर ले जाएं। बड़ी मिन्नत के बाद डीसीएम वाले ने हमें बैठाया था।

वहीं कुछ पुलिस वालों ने नाम ना छापने की बात कहते हुए बताया हम सभी का मकसद इन्हें परेशान करना नहीं है। हम लोग भी इनके आंसू देख नहीं पा रहे हैं। छोटे-छोटे बच्चों को देखकर दया आ रही है। हमने इन्हें नीचे उतारा जरूर है लेकिन वही कर रहे हैं जो दिशानिर्देश हमें मिले हुए हैं।

पुलिस वालों ने कहा कि हम अच्छे से जान रहे हैं कि यह प्रवासी मजदूर बहुत परेशान हैं लेकिन हम कुछ नहीं कर सकते। बस इतना ही है कि जब तक यहां पर हैं इनके खाने का इंतजाम हम सभी लोग करवा रहे हैं।
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