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Written By Author डॉ. रमेश रावत
Last Updated : मंगलवार, 23 जून 2020 (15:42 IST)

Ground Report : लंदन की नाइट लाइफ थमी, बाजार हो रहे हैं धीरे-धीरे गुलजार

Ground Report :  लंदन की नाइट लाइफ थमी, बाजार हो रहे हैं धीरे-धीरे गुलजार - Ground Report from london in Corona time
लंदन की नाइट लाइफ में जहां कोरोना ने जहर घोल दिया है, वहीं यहां के मंदिरों में रोज पूजा-अर्चना होने का क्रम नहीं थमा है। कोरोनावायरस (Coronavirus) के लक्षण मिलने पर घर में ही रहने की हिदायत है। लंबे लॉकडाउन (Lockdown) के बाद धीरे-धीरे बाजार गुलजार हो रहे हैं। बावजूद इसके यहां कोरोना काल में चुनौतियों भी कम नहीं हैं। राजस्थान की चौमूं तहसील के रहने वाले भारतीय प्रावासी एवं एमयूएफजी में सॉफ्टवेअर इंजीनियर नवरत्न शर्मा ने वेबदुनिया से खास बातचीत में बताया कि कोरोना कालखंड में लंदनवासियों की लाइफ कैसी रही। 
 
शर्मा बताते हैं कि ऑफिस की तरफ से तनावमुक्त रखने एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए अनेक प्रकार की गतिविधियों में शामिल होने का मौका दिया जाता है। ऑफिस की ऑनलाइन मीटिंग के जरिए सप्ताह में एक बार लंच के समय में योगा सेशन होता है। इसके साथ ही म्यूजिक के जरिए विभिन्न शारीरिक क्रियाएं करवाई जाती हैं, जो कि मानसिक एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने में काफी उपयोगी सिद्ध हो रही हैं। 
 
पंद्रह दिनों में परिवार सहित ऑनलाइन गेम, पेंटिंग आदि अनेक रचनात्मक कार्यों में सहभागिता निभाते हैं। कोरोना संकट के समय ऑफिस से थोड़ी रियायत भी है। हम अपनी सुविधानुसार घर पर रहकर काम कर सकते हैं। घर पर दोपहर को या अन्य किसी समय घर के कार्यों के लिए समय निकाल सकते हैं, उसकी कोई पाबंदी नहीं है। हालांकि हम रोज का काम रोज ही समाप्त करते हैं। 
बाजार हो रहे हैं गुलजार : लंदन में धीरे-धीरे बाजार खुल रहे हैं। पहले लिमिटेड ही ग्रोसरी आइटम मिलते थे, तीन बोतल दूध मिलता था, वहीं अब आवश्यकतानुसार अधिक भी मंगवा सकते हैं। कोरोना के मद्देनजर स्कूल एवं ऑफिस बंद रहे एवं जरूरी ऑफिस खुले रखे गए। लॉकडाउन में परिवार के साथ शारीरिक सुरक्षा के दृष्टिकोण से बाहर घूमने के साथ ही व्यायाम कर सकते हैं। सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने एवं मास्क लगाने को कहा गया है।
 
घर के सामान का दुकानदार को पहले से ऑर्डर कर फिर पैक सामान दुकान से लेकर आ सकते हैं। इस प्रक्रिया से क्लिक एंड कलेक्ट सिस्टम के तहत सोशल डिस्टेंस का पालन होता है एवं समय भी कम लगता है। यह व्यवस्था डिलेवरी नहीं होने पर उपयोग में ली जा सकती है।
 
लंदन की नाइट लाइफ पर विराम : लंदन के टेम्स रिवर फ्रंट के पास जहां लोगों की भीड़ रहती थी, वहां अब पक्षियों की चहचाहट है। ओपन गाडियों में लंदन की हवा का मजा लेने के लिए लोग खड़े होकर अठखेलियां करते नजर आते थे, वहीं अब यहां सड़कें सूनी हैं। नाइट लाइफ से फैमस लंदन की लाइफ में कोरोना ने अपना राज जमा लिया है। क्लब, बार आदि लंबे समय से सैलानियों की राह ताक रहे हैं। समर में होने वाले बहुत से कार्यक्रम नहीं हो रहे हैं। वीकेंड में होने मेले एवं हाट बाजार अब दिखाई नहीं देते। 
मंदिरों में रोजाना आरती : लंदन में बहुत से छोटे-बड़े मंदिर हैं। कोरोना संक्रमण के आरंभ से लेकर अब तक प्रतिदिन आरती होती आ रही है। लंदन में मंदिर सुबह-शाम खोलकर बंद कर देते हैं। पूजा होती है, दर्शनार्थियों का आना बंद है।
 
अधिक संक्रमण पर ही कोरोना टेस्ट : लंदन में यदि आरंभिक तौर पर कोरोना संक्रमण के लक्षण आते हैं तो 14 दिन के लिए क्वारंटाइन रहना है ऑनलाइन डाक्टर की सलाह पर चिकित्सा सुविधा लेनी है। इससे डाक्टर्स एवं अस्पतालों पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ा। सभी लोगों का कोविड टेस्ट नहीं किया जा रहा है, जिसे संक्रमण अधिक होता है उसका ही टेस्ट किया जा रहा है। लंदन में गत दो सालों में मेडिकल सिस्टम ओवर लोड था। इसलिए चिंता बढ़ गई थी। इसके बारे में सरकार ने गाइडलाइन जारी की कि कोई भी जब तक सीरियस न हो अस्पताल न जाए। इससे संक्रमण रोकने में भी आसानी हुई है।
यहां रेड, ग्रीन एवं ऑरेंज जोन का कोई प्रावधान नहीं है। लंदन के हर चप्पे-चप्पे पर सरकारी गाइड लाइन चस्पा है। यदि कोई घर से बाहर गाड़ी से जाता है तो हर रोड पर जहां मार्क लगे हैं या परिवहन सबंधी नियमों, चिन्हों का विवरण है, वहीं उसी स्थान के पास वाले स्थान, पार्किंग स्थल पर कोविड-19 की सरकारी गाइड लाइन चस्पा कर रखी है।
 
यहां पर मास्क का लोग कम प्रयोग करते हैं। मास्क लगाना सरकार की गाइड लाइन में तो है, लेकिन इसका पालन कम ही करते हैं। हालांकि सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखते हैं। मास्क की अनदेखी को देखते हुए लंदन में सरकार ने सार्वजनिक स्थानों, ट्रेन, बस एवं पार्क में मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया है। 
 
समाचार-पत्रों का प्रसार घटा : यहां पर समाचार-पत्र डिलेवर नहीं होते, फ्री में रेल्वे स्टेशन पर मिलते हैं। कोविड के दोरान जैसे ही लॉकडाउन की खबरें आने लगी तो लोगों ने समाचार-पत्र रेल्वे स्टेशन से उठाना बंद कर दिया, जिससे अखबार का प्रिंट भी कम हुआ है। दुकान पर जाकर समाचार-पत्र खरीद सकते हैं, हॉकर डिलेवरी नहीं देता है। यहां फेक न्यूज नहीं है। बीबीसी साइट, सरकारी एवं मेडिकल हॉस्पीटल एनएचएस (नेशनल हेल्थ सर्विसेज) की साइट को लोग फॉलो करते हैं। 
 
पीएम का बचकाना बयान : कोरोना वायरस को लेकर यहां के पीएम बोरिस जॉनसन की बिलकुल ही अलग एप्रोच थी। उनका सार्वजनिक तौर पर यह कहना था कि यूके में 70 से 80 प्रतिशत जनता तक कोरोना पहुंचेगा ही। इसलिए यहां आरंभ में लॉकडाउन किया ही नहीं गया। जब यहां पर संक्रमण फैला तब सरकार ने लॉकडाउन किया एवं तब तक मौतें भी काफी हो गई थीं।
 
अपराधों में गिरावट : लोगों के घरों में रहने के कारण कोरोना काल में लंदन में अपराध का स्तर काफी घटा है। यहां आए दिन होने वाली चेन स्नेचिंग एवं पर्स चोरी की घटनाओं में कमी आई है। सरकार एवं चैरिटी करने वाले लोग सभी गरीबों एवं जरूरत मंद लोगों की मदद कर रहे हैं। यहां पर पहले दिन दहाड़े ही डकैती की वारदातें होती थीं, जो फिलहाल बंद हैं। लंदन में आईटी कारोबारी अधिक हैं, इससे वर्क फ्रॉम होम कल्चर के कारण लोग बाहर नहीं जा रहे हैं। पुलिस एवं डाक्टर्स पर भार कम हो गया है। 
अर्थव्यवस्था हुई प्रभावित : लंदन में कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ा है। पर्यटन एवं इससे जुड़े अन्य व्यवसायों पर भी असर पड़ रहा है। आईटी सेक्टर में भी नए प्रोजेक्ट नहीं आ रहे हैं, इससे भर्तियां कम हो रही हैं। बेरोजगारी भी बढ़ी है, जो जॉब में हैं उन्हें हटाया नहीं गया है। जो डेली वर्कर, दुकानदार एवं छोटे व्यापारी हैं उन पर प्रभाव जरूर पड़ा है। 
 
दूसरी ओर, विश्व के अनेक देशों में कोराना संकट के समय राजनेता, पक्ष या विपक्ष राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं, वहीं कोरोना के संक्रमण को लेकर यहां पर कोई राजनीति नहीं है। जो यूके सरकार कर रही है उसका सभी सपोर्ट कर रहे हैं। 
 
अन्य देशों की तरह यहां भी ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण कम है। भीड़ कम होने से लोग कम मिलते हैं। शहर के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में घर बड़े होते हैं, जमीन भी होती है। इसके चलते संक्रमण कम है। हालांकि सार्वजनिक स्थान बंद हैं। 
नवरत्न शर्मा का कहना है कि लोगों को कोरोना को गंभीरता से लेकर संक्रमण रोकना होगा। लोगों को प्रशिक्षित करना होगा। फिजिकल एवं मेंटली स्ट्रांग रखने के लिए व्यायाम करना होगा। कम से कम घर से बाहर जाएं जिससे मेडिकल सिस्टम पर लोड न पड़े। स्टे होम, स्टे सेफ को अपनाएं।