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Last Modified: बुधवार, 1 अप्रैल 2020 (22:39 IST)

कोरोना वायरस : चिकित्सा उपकरणों और आईसीयू बेड की कमी से जूझ रहे हैं यूरोपीय देश

कोरोना वायरस : चिकित्सा उपकरणों और आईसीयू बेड की कमी से जूझ रहे हैं यूरोपीय देश - Corona virus European country
रोम। कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के इलाज के लिए अस्पतालों में आईसीयू बेड की अत्यधिक कमी का सामना कर रहे यूरोपीय देश तेजी से अस्थायी अस्पताल बना रहे हैं और हाई-स्पीड ट्रेनों तथा सैन्य विमानों से इन मरीजों को प्रभावित शहरों से बाहर ले जा रहे हैं।
 
हालांकि, बड़ा सवाल यह है कि क्या वे इन अस्थायी अस्पतालों को संचालित करने के लिये पर्याप्त संख्या में स्वास्थ्य सेवा कर्मी पा सकेंगे।
 
इटली और चीन में वायरस के फैलने की दर धीमी पड़ने के बावजूद स्पेन और फ्रांस में अस्पताल अपनी अधिकतम सीमा तक पहुंच गए हैं और अमेरिका तथा ब्रिटेन खुद को इस स्थिति के लिए तैयार कर रहे हैं।  पेरिस आपात सेवा कर्मी क्रिस्टोफ प्रुधोम ने कहा कि ऐसा लगता है कि हम तीसरी दुनिया में हैं। 
 
हमारे पास पर्याप्त मात्रा में मास्क नहीं है, पर्याप्त सुरक्षा उपकरण नहीं हैं और इस हफ्ते के अंत तक हमें कहीं अधिक दवाइयों की जरूरत पड़ेगी। धनी देश अपेक्षाकृत कम धनी देशों से मिल रही मदद का स्वागत कर रहे हैं। रूस ने बुधवार को मेडिकल उपकरण और मास्क अमेरिका भेजा। 
 
क्यूबा ने अपने चिकित्सक फ्रांस भेजे। तुर्की ने मास्क, हजमत सूट, गोगल्स और कीटाणुनाशक से भरा विमान इटली और स्पेपन भेजा है।
 
लंदन में 4,000 बेड वाले एक अस्थायी अस्पताल कोरोना वायरस संक्रमित लोगों के इलाज के लिए कुछ ही दिनों में खुलने वाला है। इसे एक बड़े कन्वेंशन सेंटर में बनाया जा रहा है, जहां गंभीर रूप से संक्रमित लोगों का इलाज होगा ताकि ब्रिटिश अस्पतालों में आने वाले नए रोगियों के लिए जगह बन सके। हालांकि इन्हें संचालित करने के लिए हजारों मेडिकल कर्मियों को तलाशने की समस्या भी है।
 
स्पेन अपने अस्पतालों में बेड की संख्या बमुश्किल 20 प्रतिशत बढ़ा पाया है। स्पेन में दर्जनों होटलों को रिकवरी रूम में तब्दील कर दिया गया है। अधिकारी स्पोर्ट्स सेंटर, पुस्तकालय और प्रदर्शनी भवनों को अस्पताल में तब्दील कर रहे हैं।

मिलान में 200 रोगियों के लिये मंगलवार को एक गहन देखभाल अस्पताल खोला गया।  इसमें 900 कर्मियों को तैनात करने की उम्मीद है।  इटली में अब तक 12,400 लोगों की मौतें हो चुकी हैं और विश्व में यह सर्वाधिक प्रभावित देश है।
 
इटली, ब्रिटेन और फ्रांस उन देशों में शामिल हैं जिन्होंने मेडिकल छात्रों, सेवानिवृत्त चिकित्सकों और यहां तक कि प्राथमिक चिकित्सा के प्रशिक्षण के साथ एयरप्लेन एटेंडेंट को महामारी से निपटने के कार्य में लगाया है। हालांकि इन सभी को प्रशिक्षण की जरूरत है।
 
मेडिकल कर्मियों की कमी के बीच इटली में करीब 10,000 मेडिकल कर्मी संक्रमित हो गए हैं और 60 चिकित्सकों की मौत हो गई है।

इटली के स्वास्थ्य संस्थान के प्रमुख डॉ. सिलवियो ब्रुसफेरो ने कहा कि तीन हफ्तों के लॉकडाउन में देश में नए संक्रमण की दर कम हो गई है। 
 
उधर फ्रांस की राजधानी पेरिस कुछ गंभीर रोगियों को कम आबादी वाले क्षेत्रों में भेज रहा है। जर्मनी अन्य यूरोपीय देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में है। 

वहां आईसीयू बेड का अनुपात प्रति एक लाख व्यक्ति पर 33.9 है जबकि यह इटली में 8.6 है। अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि मृतकों की संख्या 2,40,000 तक पहुंच सकती है। 
 
अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में 1,000 बेड वाला एक आपात चिकित्सा अस्पताल बनाया गया है। नौसेना के एक जहाज पर बनाए गए अस्पताल के शीघ्र ही शुरू होने की उम्मीद है, जिसमें 1,000 बेड बनाए गए हैं। (भाषा)
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