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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : सोमवार, 18 मई 2020 (16:32 IST)

Lockdown Alert : बढ़ते लॉकडाउन के चलते भारत में आएगी मानसिक रोगियों की 'सुनामी'

डिप्रेशन दूर करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर दें ध्यान : मनोचिकित्सक

Lockdown Alert : बढ़ते लॉकडाउन के चलते भारत में आएगी मानसिक रोगियों की 'सुनामी' - Alert : Lockdown causing serious mental illness in India
देश अब लॉकडाउन के चौथे चरण में एंट्री कर गया है। कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सरकार ने लॉकडाउन का सहारा उस वक्त लिया था जब देश में कोरोना के मरीजों की संख्या महज पांच सौ से कुछ उपर थी। आज जब हम लॉकडाउन के चौथे चरण में है तब कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या एक लाख के पास पहुंच रही है। ऐसे में संकेत साफ है कि लोगों को जल्द लॉकडाउन से राहत नहीं मिलने वाली है और खुद सरकार भी अब इसके संकेत दे रही है। 
 
लॉकडाउन तीन के दौरान कई ऐसे रिपोर्टस और स्टडी सामने आई है जिसमें लोगों ने लॉकडाउन के कारण हुई समस्याओं के चलते अपनी जान दे दी। पिछले हफ्ते ही इंदौर में कोरोना के होने के डर से एक बुजुर्ग ने अस्पताल से छलांग लगाकर अपने जान दे दी तो भोपाल में एक व्यापारी ने लॉकडाउन के चलते हुए घाटे के कारण खुदकशी कर ली।

एक स्टडी के मुताबिक देश में लॉकाडउन के दौरान 19 मार्च से 2 मई तक 338 लोगों की जान गई जिसमें 168 मामले सुसाइड से जुड़े हुए थे। ऐसे में अब जब लॉकडाउन 31 मई तक चलने वाला है तब एक नई चुनौती आकर खड़ी होती दिख रही है। 
 
मनोचिकित्सक डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि लॉकडाउन के लगातार बढ़ने के कारण आने वाले समय में मानसिक रोगियों की सुनामी आने वाली है। लोगों में डिप्रेशन इतना अधिक बढ़ गया है कि लोग आत्मघाती कदम भी उठाने से हिचक नहीं रहे है। पिछले दिनों भोपाल में ऐसे कई खुदकुशी के मामले सामने आए जिसके पीछे वजह केवल लॉकडाउन ही थी। 
 
सत्यकांत कहते हैं कि कोरोना और उसके बाद हुए लॉकडाउन ने एकाएक मानसिक रोगियों की संख्या में इजाफा कर दिया है। उनके पास आने वाले मरीजों में बहुत से ऐसे है जिनके पीछे मूल वजह आर्थिक संकट और भविष्य को लेकर चिंता है। किसी को नौकरी जाने का भय है तो कोई बिजनेस में लगातार घाटे के कारण परेशान है। इसके साथ ही भविष्य की चिंता को लेकर लोगों में एक अलग तरह की एंग्जाइटी डिसऑर्ड की समस्या देखी जा रही है। 
 
डॉक्टर सत्यकांत कहते हैं कि लॉकडाउन के दौरान फोन और व्यक्तिगत रूप से उनसे ऐसे कई लोग अब तक संपर्क कर चुके है जिनको घर में रहते हुए कोरोना के संक्रमण का डर है। वह कोरना संक्रमण के डर के साथ सामाजिक भेदभाव को लेकर चिंतित नजर आते है। कई ऐसे मरीज दोबारा उनके पास पहुंचे है जो पिछले एक से दो साल तक पूरी तरह ठीक थे।
क्यों बढ़ रहे हैं मामले – मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मामलों के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण कोरोना संक्रमण के होने का डर है। ऐसे कई मामले सामने आए है जिसमें लोगों केवल इस डर से अस्पताल पहुंच रहे है कि कहीं उनको कोरोना तो नहीं हो गया। इसके साथ लॉकडाउन के चलते ऐसे बहुत से लोग है जो अलग अलग शहरों में फंसे है और उनके परिजन अलग है।

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में ऐसे कई मामले सामने आए है जिसमें ऐसे लोगों को अस्पतालों में एडमिट कराना पड़ा जो अपने परिवार से दूर थे। इनमें कई लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी। इनमें 60 साल से अधिक आयु वालों की संख्या अधिक है।  
 
लगातार लॉकडाउन बढ़ने के कारण आर्थिक अस्थिरता और भविष्य को लेकर भी लोगों में डिप्रेशन के मामले बढते जा रहे है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के पिछले दिनों आए एक स्टडी ने इस बात का इशारा किया था कि लॉकडाउन अगर एक हफ्ते बढ़ा तो भारत के परिवारों में से एक तिहाई से अधिक के पास जीवन जीने के लिए जरूरी संसाधन खत्म हो जाएंगे। इसके साथ ही लॉकडाउन में देश में बेरोजगारी का आंकड़ा अब 30 फीसदी के करीब पहुंच गया है। 
 
मनोचिकित्सक की सलाह – ऐसी स्थिति में डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि आज जरूरत इस बात की है कि हमें कोरोना के साथ जीना सीखना होगा। वह कहते हैं कि अब ‘कोरोना को हराना है’  की जगह  ‘कोरोना के साथ जीना सीखना है’ पर जोर देना चाहिए। वह कहते हैं कि कोरोना को हराना है स्लोगन कोरोना के शक्तिशाली होने को महिमामण्डित कता है जबकि दूसरा स्वीकार्यता लाकर जागरूक करता है। 
 
अब जब लॉकडाउन की चौथी किश्त आ गई है तब मनोचिकित्स ज्यादा ध्यान देने की बात कहते है कि वह कहते हैं कि ऐसे में तनाव और डिप्रेशन दूर करने के लिए हमें घर के सदस्यों के साथ अपने पुराने दोस्तों और रिश्तेदारों से निरंतर संपर्क में रहना चाहिए। इसके साथ ही तनाव को दूर करने के लिए योग, संगीन सुनने के साथ ही इस दौरान अपने पंसद की नई स्किल को सीखने के जरिए अपने को व्यस्त रख सकते है। 
 
 
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