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Written By मनीष शर्मा

यदि चलाना है दुकान तो बिखेरो मुस्कान

यदि चलाना है दुकान तो बिखेरो मुस्कान -
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अरब के सुल्तान सफर में हमेशा मुल्ला नसरुद्दीन को अपने साथ ले जाते थे। एक बार उनका कारवाँ दूरदराज के एक छोटे से गाँव से होकर गुजर रहा था। उसे देखकर सुल्तान बोले- मुल्ला, चलो गाँव में पैदल ही घूमकर देखते हैं कि यहाँ के लोग हमें पहचान पाते हैं या नहीं।

सुल्तान और मुल्ला टहलते हुए गाँव की मुख्य सड़क पर पहुँच गए। वहाँ सुल्तान को यह देखकर बहुत हैरानी हो रही थी कि गाँव के कई अनजान लोग मुल्ला की तरफ तो देखकर मुस्करा रहे थे, लेकिन सुल्तान की तरफ देखकर मुँह फेर लेते थे। इससे खीझकर सुल्तान मुल्ला से बोले- लगता है यहाँ के लोग तुम्हें पहचानते हैं लेकिन हमें नहीं।

मुल्ला बोले- नहीं हुजूर, ये मुझे भी नहीं पहचानते। सुल्तान- तो फिर ये तुम्हारी तरफ देखकर ही क्यों मुस्करा रहे हैं। मुल्ला- क्योंकि मैं उनकी तरफ देखकर मुस्करा जो रहा हूँ।

दोस्तो, बिलकुल सही बात है। यदि आप किसी अनजान की तरफ भी देखकर मुस्कराते हैं तो वह भी मुस्करा देता है। और पहचानने वाला तो मुस्कराता ही है बशर्ते उससे आपके पंगे न हुए हों। हालाँकि आपकी पटरी किसी से नहीं बैठ रही है और उसकी तरफ देखकर भी यदि आप मुस्कराते हैं तो पहली प्रतिक्रिया में उसके होंठ भी हल्की-सी मुस्कराहट तो बिखेरते ही हैं।
मुस्कराने से गजब की आंतरिक शक्ति मिलती है। इससे आप खुद को तरोताजा महसूस करते हैं। थकान आपके आसपास भी फटकने से डरती है। और मुसीबत तो आने से पहले सौ बार सोचती है, क्योंकि सदा मुस्कराने वाला व्यक्ति किसी भी मुसीबत का सामना मुस्काराते हुए करता है। ल


यह अलग बात है कि वह अगले ही पल होंठों को भींच ले। लेकिन सौ बात की एक बात यह है कि मुस्कान की प्रतिक्रिया मुस्कान ही होती है। इसलिए इसका जितना उपयोग किया जा सके, उतना करना चाहिए। इसमें कौन-से पैसे खर्च होते हैं। कहते भी हैं कि यदि आपके पास देने के लिए कुछ नहीं है तो मुस्करा दो। इससे भी सामने वाले को सुकून मिलता है। लेकिन पता नहीं क्यों, बहुत से लोगों को मुस्कराने में भी जोर आता है। ऐसा लगता है जैसे मुस्कराने से इनकी कोई बड़ी भारी दौलत चली जाएगी।

कई तो अपनी हैसियत और पदवी के गुमान में यह मान बैठते हैं कि अगर अपने से छोटे को देखकर मुस्कराएँगे तो इनका रुतबा या ओहदा घट जाएगा। सामने वाले को देखकर इनके मुस्कराने की बात तो दूर, यदि सामने वाला इनकी तरफ देखकर मुस्कराते हुए ग्रीट करे तो ये उसके साथ ऐसा ट्रीट करते हैं जैसे कि उसने कोई अपराध कर दिया हो और उसे घूरकर देखते हुए मुँह फेर लेते हैं। यदि आप भी स्माइल का बदला स्माइल से नहीं देते हैं तो धीरे-धीरे आपको भी स्माइल मिलना बंद हो जाएगी।
अनजानों की तो छोड़ो, आपके अपने ही संगी-साथी आपको भाव देना बंद कर देंगे। इसलिए अपने चेहरे के भाव बदलकर मुस्कराओ। फिर देखो, आपको कैसे भाव नहीं मिलते। वैसे भी मुस्कराता चेहरा सभी को पसंद आता है। यह दूसरों को भी ताजगी देता है।

दूसरी ओर, मुस्कराने से गजब की आंतरिक शक्ति मिलती है। इससे आप खुद को तरोताजा महसूस करते हैं। थकान आपके आसपास भी फटकने से डरती है। और मुसीबत तो आने से पहले सौ बार सोचती है, क्योंकि सदा मुस्कराने वाला व्यक्ति किसी भी मुसीबत का सामना उसी तरह मुस्काराते हुए ही कर लेता है। उसे देखकर कोई यह नहीं कह सकता कि वह तकलीफ में है। यही बात उसे रिलीफ देती है और रिलीफ में ले आती है यानी मुसीबत टल जाती है। यदि आप भी तकलीफ में ऐसा ही करेंगे तो आपको भी रिलीफ मिलने में देर नहीं लगेगी।

वैसे व्यावसायिक जीवन में तो सफलता का सबसे बड़ा अस्त्र ही मुस्कराहट है। जिस संस्था के लोग शिष्टाचार का पूरी तरह से पालन करते हैं, जिनमें व्यवहार करने का सलीका है, जिनकी वाणी शहद घोलती है और मुस्कराता चेहरा खुशबू बिखेरता है, उस संस्थान को आगे बढ़ने से न कोई रोक सकता है, न रोक पाया है।

इसीलिए किसी ने कहा है कि यदि चलाना चाहते हो दुकान तो बिखेरो मुस्कान ही मुस्कान। जो पहले से ही बिखेर रहे हैं, उनकी दुकानें मजे से चल भी रही हैं। यदि आप भी सफल होना चाहते हैं तो मुस्कान को अपने व्यक्तित्व का अभिन्न हिस्सा बना लें और फिर देखें कमाल। अरे भाई, क्या अभी भी चेहरा लटकाकर बैठे हो। मुस्कराओ भाई मुस्कराओ।