एक फरवरी को ही पेश होगा बजट, चुनाव आयोग ने लगाई यह शर्त...
नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने सोमवार रात केंद्र सरकार को विधानसभा चुनावों से पहले एक फरवरी को केंद्रीय बजट पेश किए जाने की मंजूरी दे दी लेकिन कहा कि चुनाव वाले पांच राज्यों से जुड़ी किसी योजना का ऐलान नहीं किया जा सकता और वित्त मंत्री के भाषण में इन प्रदेशों में सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख नहीं होना चाहिए।
आयोग ने सरकार को 2009 की एक एडवाइजरी की भी याद दिलाई जिसमें कहा गया था कि परंपरा के अनुसार चुनावों से पहले पूर्ण बजट के बजाय लेखानुदान पेश किया जाता है।
चुनाव आयोग ने कैबिनेट सचिव पी के सिन्हा से कहा, 'आयोग निर्देश देता है कि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनावों के लिए और सभी के लिए स्थिति समान बनाए रखते हुए किसी राज्य-केंद्रित योजना की घोषणा नहीं की जाएगी, जिसकी चुनाव वाले पांच राज्यों के मतदाताओं पर सत्तारूढ़ दलों के पक्ष में असर पड़ने की संभावना हो।'
आयोग ने यह भी कहा कि वित्त मंत्री के भाषण में किसी भी तरह से पांचों राज्यों के संदर्भ में सरकार की उपलब्धियों का बखान नहीं होगा। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, पंजाब और गोवा में चार फरवरी से आठ मार्च के बीच विधानसभा चुनाव होने हैं।
साल 2009 की एडवाइजरी का जिक्र करते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि वह 'अपेक्षा करता है कि आयोग द्वारा उस पत्र में दिए गए परामर्श का भी सरकार वित्त वर्ष 2017-18 के लिए बजट पेश किए जाते समय ध्यान रखेगी।' चुनाव आयोग ने 2009 में कहा था कि वह चुनाव के समय बजट के संदर्भ में कोई आदेश नहीं देना चाहेगा।
तब आयोग ने कहा था, 'हालांकि वह सलाह देगा कि जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनके मामलों में लेखानुदान लिया जाना चाहिए।'
इससे पहले आज दिन में उच्चतम न्यायालय ने आगामी विधानसभा चुनावों से पहले बजट प्रस्तुत किए जाने पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया था।
सरकार का कहना है कि बजट पेश करने का समय पहले करना जरूरी था क्योंकि इससे एक अप्रैल से सभी क्षेत्रों को सभी बजटीय आवंटन किये जा सकेंगे। एक अप्रैल से नया वित्त वर्ष शुरू होता है। आमतौर पर बजट फरवरी के अंतिम सप्ताह में पेश किया जाता रहा है। (भाषा)