गुरुवार, 19 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. मनोरंजन
  2. बॉलीवुड
  3. फिल्म समीक्षा
  4. Sandeep Aur Pinki Faraar, Movie Review in Hindi, Arjun Kapoor, Samay Tamrakar, Parineeti Chopra, Dibakar Banerjee
Last Updated : शुक्रवार, 21 मई 2021 (14:57 IST)

संदीप और पिंकी फरार : फिल्म समीक्षा

संदीप और पिंकी फरार : फिल्म समीक्षा - Sandeep Aur Pinki Faraar, Movie Review in Hindi, Arjun Kapoor, Samay Tamrakar, Parineeti Chopra, Dibakar Banerjee
संदीप और पिंकी फरार फिल्म महीनों तक अटकने के बाद इस वर्ष 19 मार्च को इक्का-दुक्का सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी और दो-तीन बाद ही सिनेमाघर फिर बंद हो गए इसलिए यह फिल्म ज्यादा लोगों तक पहुंच ही नहीं पाई। अर्जुन कपूर और परिणीति चोपड़ा अभिनीत फिल्म के प्रति उत्सुकता निर्देशक दिबाकर बैनर्जी को लेकर थी क्योंकि वे कुछ उम्दा फिल्म दर्शकों को दे चुके हैं। 
 
परिणीति चोपड़ा अभिनीत किरदार का नाम संदीप है क्योंकि उत्तर भारत में कुछ नाम लड़के और लड़कियों के समान होते हैं। पिंकी लड़कियों का नाम लगता है जो फिल्म में अर्जुन कपूर द्वारा निभाए गए किरदार का नाम है। 
 
जिस तरह दोनों के नाम अनोखे और जुदा हैं उसी तरह की उनकी पृष्ठभूमि भी है। संदीप एक हॉटशॉट बैंकर है। इंग्लिश मीडियम और गोल्ड मैडलिस्ट है। उसे हम ‘इंडिया’ की प्रतिनिधि मान सकते हैं जो दो लाख रुपये का हैंड बैग लेकर चलती है। पिंकी ‘भारत’ का प्रतिनिधि है। सस्पेंड पुलिसवाला है ‍जिसके बारे में उसके सीनियर का खयाल है कि वह किसी काम का नहीं है। जड़ बुद्धि, हट्टा-कट्टा और गुस्सैल ‍पिंकी का मानना है ‍कि उसके जैसे लोग तो महज नंबर हैं और उन्हें कहीं भी फिट कर ‍दिया जाता है। 
 
संदीप और पिंकी के न चाहते हुए भी रास्ते एक हो जाते हैं। दोनों को जान बचाना है तो एक-दूसरे का साथ देना ही है। दिल्ली से भागते हुए वे पिथोरागढ़ पहुंच जाते हैं। वहां से नकली पासपोर्ट के जरिये नेपाल भाग जाने का प्लान है। 
 
इन दोनों किरदारों के जरिये भारत के लोगों की असामनता को दिबाकर बैनर्जी बारीकी से रेखांकित करते हैं। पहुंच वाले लोग पुलिस का अपने लिए इस्तेमाल करते हैं और वे लोग पुलिस के हाथ का मोहरा बन जाते हैं जिनके लिए ठीक से जीवन-यापन करना ही एक सपना है। पिंकी एक बार संदीप से पूछता भी है कि उसके पास तो डिग्री है, पैसा है, फिर भी वह अपराध क्यों कर बैठी? हमारे आगे तो मजबूरी थी। 
 
संदीप और ‍पिंकी फरार महज चेज़ फिल्म नहीं है। परत दर परत कहानी खुलती जाती है और किरदारों के बारे में पता चलता है। साथ ही दोनों को जान भी बचाना है। फिल्म कई बातों को इन किरदारों के जरिये सामने रखती है। पुलिस का भ्रष्टाचार, महिलाओं के प्रति पुरुषों की दकियानुसी सोच, गरीबों का पैसा डकार जाने की स्किम जैसे विभिन्न मुद्दों को भी छूआ गया है।
 
फिल्म का ओपनिंग सीक्वेंस कमाल का है। कार में कुछ लोग बैठे हैं। दिल्ली की सड़कों पर कार भगा रहे हैं। रईसजादे हैं। महिलाओं के बारे में अनाप-शनाप बोलते हैं। इन किरदारों के बारे में आप कुछ नहीं जानते, लेकिन चिढ़ जरूर पैदा होती है। कैमरा बिलकुल स्थिर है और क्रेडिट टाइटल चल रहे हैं। अचानक ऐसी घटना घटती है कि आप दंग रह जाते हैं। यह फिल्म का टेंपो सेट कर देती है। 
 
संदीप और पिंकी पिथोरागढ़ में एक बुजुर्ग दंपति के यहां रूकते हैं। यह रोल रघुवीर यादव और नीना गुप्ता ने निभाए हैं। छोटे शहर में रहने वालों की मानसिकता का परिचय भी इन दोनों किरदारों के जरिये मिलता है। पुरुष चाहता है कि स्त्री कितनी भी पढ़ी-लिखी क्यों न हो, खाना पकाए, परोसे और मर्द रौब न जमाए तो जोरू का गुलाम। साथ ही अंग्रेजी बोलना ही आपके इंटेलिजेंट होने का परिचायक है। कुछ और किरदार भी हैं पिथोरागढ़ के, जैसे एक युवा जो बॉलीवुड सितारों को देख प्रभावित है और वैसी ही बॉडी बनाना चाहता है। साथ ही दर्शाया गया है कि नेपाल सीमा से सटे इस कस्बे में नकली पासपोर्ट बनाने का गोरखधंधा किस तरह चल रहा है। 
 
कहानी में कुछ कमियां भी हैं। संदीप और पिंकी के किरदारों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है। जैसे पिंकी क्यों सस्पेंड है? अपने सीनियर के लिए यह काम क्यों कर रहा है? संदीप का भले ही परिवार से पंगा है, लेकिन वह किसी से भी कोई मदद क्यों नहीं ले रही है? क्यों अपनी बैंक को बचाने के लिए वह घोटाले का हिस्सा बनना मंजूर करती है? क्लाइमेक्स के ठीक पहले संदीप के रेप की कोशिश वाला प्रसंग कमजोर है। 
 
निर्देशक दिबाकर बैनर्जी का प्रस्तुतिकरण जोरदार है। किरदारों पर उन्होंने खासी मेहनत की है। लोकेशन और कलाकारों का चयन सटीक है। दर्शकों की उत्सुकता बनाए रखने में वे सफल रहे हैं कि आगे क्या होगा? फिल्म को उन्होंने अच्छे से खत्म किया है। अनिल मेहता की सिनेमाटोग्राफी उम्दा है। 
 
अर्जुन कपूर का रोल कुछ इस तरह का है कि उन्हें एक्सप्रेशनलैस रहना था और इस काम में वे अच्छे हैं। हालांकि फिल्म की शुरुआत में उन्होंने जो संवाद बोले हैं वो अस्पष्ट हैं। हरियाणवी टोन वाली हिंदी बोलने में उन्हें परेशानी भी हुई। परिणीति चोपड़ा अपनी एक्टिंग स्किल से प्रभावित करती हैं। अपने किरदार को शुरू से लेकर तो अंत तक पकड़े रखा। नीना गुप्ता और रघुवीर यादव तो अपने किरदारों में डूबे नजर आए। जयदीप अहलावत को ज्यादा अवसर नहीं मिले। 
 
संदीप और पिंकी फरार दर्शकों को बांध कर रखने में कामयाब है। 
निर्माता-निर्देशक : दिबाकर बैनर्जी
संगीत : अनु मलिक
कलाकार : परिणीति चोपड़ा, अर्जुन कपूर, नीना गुप्ता, रघुवीर यादव, जयदीप अहलावत
अमेज़न प्राइम वीडियो पर उपलब्ध * 2 घंटे 4 मिनट 
रेटिंग : 3/5 
ये भी पढ़ें
Prachi Desai को बॉलीवुड में नहीं मिला सम्मान, बोलीं- 'सेक्सिस्ट' फिल्मों के ऑफर्स देते थे डायरेक्‍टर