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Last Modified: नई दिल्ली , सोमवार, 8 जनवरी 2018 (10:13 IST)

हिन्दी सिनेमा जगत की पहली एक्शन स्टार फियरलेस नाडिया, गूगल ने बनाया डूडल

हिन्दी सिनेमा जगत की पहली एक्शन स्टार फियरलेस नाडिया, गूगल ने बनाया डूडल - Fearless Nadia Google Doodle
नई दिल्ली। गूगल ने हिन्दी सिनेमा की पहली एक्शन स्टार फियरलेस नाडिया के 110वें जन्मदिन पर खास डूडल बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। आज के दौर की अधिकतर फिल्मों में मार-धाड़ और एक्शन अभिनेताओं पर फिल्माए जाते हुए देखकर अगर आप सोचते हैं कि बॉलीवुड में हमेशा से ही नायक प्रधान फिल्मों का बोलबाला रहा है, तो आप गलत सोचते हैं।

हिन्दी सिने जगत में पहला एक्शन स्टार कोई अभिनेता नहीं, बल्कि एक अभिनेत्री थी जिसने लगभग 80 वर्ष पहले ऐसा स्टंट और एक्शन दिखाया जो आज भी संभव नहीं है। ऐसे शॉट्स जिन्हें करने में स्टंटमैन को भी पसीना आ जाए, उसे वे आराम से कर गुजरती थीं।

बॉलीवुड फिल्मों में व्यवस्था और समाज सुधारने के लिए 'एंग्रीयंग मैन' के पदार्पण से करीब 40 साल पहले ही एक अभिनेत्री ने सिर्फ हंटर लेकर असामाजिक तत्वों को तत्काल सजा देना शुरू कर दिया था। यह हंटरवाली अभिनेत्री थीं, मैरी एन एवांस, जिन्हें दुनिया फिरयलेस नाडिया के नाम से जानती है।

फियरलेस नाडिया 30 के दशक में ऐसी एक्शन स्टार के तौर पर उभरीं जिसके एक्शन को देखकर दर्शक दांतों तले उंगलियां दबा लिया करते थे। नाडिया अभिनीत फिल्म 'हंटरवाली' में उनकी घुड़सवारी, तलवारबाजी के स्टंट एक्शन उस दौर में ऐसे हिट हुए और नाडिया के साथ 'फियरलेस' का टैग जुड़ गया। उन्होंने ट्रेन पर फाइट सींस, एक ट्रेन से दूसरी ट्रेन पर जम्प करना और घुड़सवारी करते हुए घोड़ों को बदल लेना जैसे कई खतरनाक स्टंट कर के दिखाए। नाडिया के नाम के साथ हंटर वाली का टैग ऐसा लगा, कि हर निर्माता अपनी फिल्मों में नाडिया के हंटर से गुंडों की पिटाई का सीन जरूर रखता था।

इस फिल्म के बाद नाडिया को स्टंट फिल्मों के ऑफर मिलने लग गए और इस तरह शुरूआत हुई फिल्मों में अभिनेत्री के एक्शन क्वीन बनने की। फियरलेस नाडिया ने कई हैरतअंगेज स्टंट किए और 27 साल तक हिंदी सिनेमा पर राज किया। इस दौरान उन्होंने 50 से अधिक फिल्में की। 

8 जनवरी, 1908 को ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में जन्मीं नाडिया का पूरा नाम मैरी एन इवांस था। उनके पिता हरबर्ट इवान्स वेल्स ब्रिटिश सेना के कर्मचारी थे। उनकी मां मार्गरेट यूनानी मूल की थी और सरकस में कलाकार रह चुकी थीं। पिता का तबादला होने पर वे भी पांच साल की उम्र में भारत आ गईं। एक अमेरिकी ज्योतिषी के कहने पर उसका नाम नाडिया रख लिया गया था। 

मैरी जब बड़ी हुईं तो मां के काम में हाथ बंटाने के लिए नौसेना के एक स्टोर में सेल्स गर्ल बन गईं। इसी दौरान उनकी रूसी बैले नर्तकी अस्त्रोवा से मुलाकात हुई और वह उससे बैले सीखने लगीं। कुछ दिन तक उन्होंने एक रूसी सर्कस में भी अपनी कला का प्रदर्शन किया। बाद में बैले के प्रदर्शन भी करने लगीं।

उन्होंने देशभर में घूमकर उसने शो किए और ऐसे ही एक शो में वाडिया मूवीटोन के होमी वाडिया की नजर उन पर पड़ी। वाडिया ने अपने किसी परिचित के माध्यम से नाडिया को फिल्मों में काम करने का प्रस्ताव भेजा। सन् 1934 में नाडिया को दो फिल्मों 'देश दीपक' और 'नूर ए यमन' में काम करने का मौका मिला।

नीली आंखों वाली इस गोरी हीरोइन को लोगों ने खूब पसंद किया लेकिन स्टार का दर्जा उसे मिला फिल्म 'हंटरवाली' से। उसके बाद नाडिया ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हंटरवाली की सफलता से उत्साहित होकर सन 1943 में होमी वाडिया ने इसका सीक्वल 'हंटरवाली की बेटी' बनाया। इसके बाद तो नाडिया की हिट फिल्मों की कतार लग गई। 'स्टंट क्वीन', 'मिस फ्रंटियर मेल', 'डायमंड क्वीन', 'जंगल प्रिंसेज', 'बगदाद का जादू', 'खिलाड़ी' और 'लेडी रॉबिन हुड' जैसी फिल्मों ने उन्हें कभी न भूली जा सकने वाली अभिनेत्री बना दिया। 9 जनवरी 1996 को फियरलेस नाडिया ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। (वार्ता)
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