डार्लिंग्स के बाद भी खुश होने और सीख देने वाली फिल्में बनाती रहूंगी : आलिया भट्ट का Exclusive Interview
यह मेरे करियर का 10वां साल है। मैं इस इंडस्ट्री में 10 साल पूरे कर चुकी हूं और मैंने कभी नहीं सोचा था कि इतना समय होने के बाद मैं फिल्में प्रोड्यूस भी करने लग जाऊंगी। 'डार्लिंग्स' के साथ मैंने अपने प्रोडक्शन हाउस की शुरुआत की है। वैसे तो यह फिल्म मैंने 2019 में की थी। लेकिन दो साल कोविड-19 के ले लिए और उसके बाद अब यह फिल्म लोगों के सामने लेकर आ रही हूं। यह सब चीजें अपने आप होती गई। मैंने कहीं कोई सोच विचार या योजना नहीं बनाई थी।
अब मेरी इच्छा है कि मैं अपना प्रोडक्शन हाउस जो बनाया है उसमें पूरा ध्यान दूं। जरूरी नहीं है कि मैं इस प्रोडक्शन हाउस में आने वाली हर फिल्म में आपको दिखाई दूंगी। लेकिन अब मुझे ऐसा लगता है कि मैं किसी और के सपनों को भी दिखाने की कोशिश करूं। कई बार होता है कि आप फिल्में देखते हैं और आप किसी गाने से या उस फिल्म से इतना प्रभावित हो जाते हैं कि अब दिनों तक उसी के बारे में सोचते रहते हैं। मेरी इच्छा है कि मैं अपने प्रोडक्शन हाउस में ऐसी फिल्में बनाऊं, जिसे देखकर लोग मजे भी ले उससे खुश भी हों और जब वह सिनेमा हॉल से बाहर निकलें। तब वह अपने साथ कोई एक प्यारी सी सीख लेकर जाएं यह कहना है आलिया भट्ट का जो अपनी फिल्म डार्लिंग के साथ नेटफ्लिक्स पर अपने ओटीटी जीवन की शुरुआत कर रही है। पत्रकारों से खास बातचीत करते हुए आलिया ने कई बातों का खुलासा किया।
आलिया आपने जो सपना देखा वह पूरा किया। कई बार कुछ क्लिपिंग भी इंटरनेट पर दिखाई देती है जहां आपने सालों पहले कहा था कि आपको रणबीर से शादी करनी है और क्या सपने लेकर चलती हैं आप?
मैं कोई भी सोच कर विचार करके बात नहीं करती हूं। जो होना है हो जाती है। जैसे आप क्लिपिंग की भी बात कर रही है रणबीर से शादी की तो कुछ सालों पहले मैंने अपने सपनों से भरी आंखों के साथ ही कह दिया हो कि मुझे रणबीर से शादी करनी है और उस समय मैंने बिल्कुल नहीं सोचा था कि एक दिन ऐसा होगा। यह बात हकीकत में बदल जाएगी। लेकिन देखिए बदल गई।
जब मैं 4 साल की थी तब मैंने कहा था कि मुझे एक्टिंग में जाना है। मैं एक्टर ही बनना चाहती हूं और देखिए 17 साल की जब मैं थी तब एक्टिंग का कार्य शुरू हो गया था और वह भी किसके साथ, करण जौहर जैसे जाने-माने प्रोड्यूसर के साथ धर्मा प्रोडक्शन के साथ। लेकिन मैंने इसके लिए कहीं कोई सोच समझकर योजना नहीं बनाई। मुझे ऐसा लगता है जब कोई चीज आपके लिए बनी होती है तो वह अपने आप आपके सामने आकर खड़ी हो जाती है। कई बार मुझसे लोग भी पूछते हैं कि 10 साल हो गए हैं इंडस्ट्री में तो कहीं कोई चीज बदलना चाहती हैं। आप मुझे लगता है, मैं क्यों बदलूं, जैसा है वह इतना सुंदर है कि उसे बदलने की कोशिश भी नहीं करना चाहती।
निर्माता बनने के साथ ही एक बड़ी जिम्मेदारी या कहीं सिर दर्द भी आता है। कैसे निभाए यह सब।
वह तो बहुत पहले ही शुरू हो गया था। मतलब हमारी फिल्म शुरू हो, फ्लोर पर हो, शूट हो। उसके पहले ही सब कुछ शुरू हो गया था। जब इस फिल्म का सेट खड़ा किया था तब निर्देशिका को कोविड हो गया फिर फिर मुझे हो गया तो बिना कुछ सोचे समझे हमें सीधे घर में एक कमरे में घुस कर रहना पड़ा और ऐसी हालत थी कि हम कुछ नहीं कर सकते थे। पूरा देश स्वास्थ्य संबंधी परेशानी से गुजर रहा था और अभी भी गुजर रहा है।
फिल्म जब फ्लोर पर है तब उसमें कितने परेशानी होती है उसके भी पहले से ही परेशानियों ने आकर घेर लिया था। जब मैं कोविड-19 में घर पर थी तब यही सोच रही थी कि मेरा सेट पूरा तैयार है उसमें कितना किराया देना पड़ेगा। मुझको फिर कोविड-19 से बाहर निकले और सेट पर आए तब सारे लोगों का ध्यान रखना पड़ रहा था। हम चाहते थे कि सारे लोग स्वस्थ रहे अच्छे रहें। बिना किसी परेशानी के रहे तो उसके लिए रोज टेस्टिंग होती थी। उन्हें एक बायो बबल में भी रखा गया था। तब जाकर काम शुरू हुआ और सारा समय यही मनाते रहते थे कि किसी भी तरीके से अब फिल्म पूरी हो जाए क्योंकि सब चीज का किराया देना होता है। चाहे वह लोकेशन का किराया हो, चाहे वह इक्विपमेंट्स का किराया हो। साथ ही साथ परमिशन का भी ध्यान रखना पड़ता है।
ओटीटी पर जब फिल्म रिलीज होती है तब उसके आंकड़े अलग होते हैं जबकि कोई फिल्म थिएटर पर रिलीज होती तब उसका बॉक्स ऑफिस कुछ और कहता है आपका क्या ख्याल है?
बिल्कुल थिएटर में अगर कोई फिल्म रिलीज हो रही है तो वह 2 हफ्ते चल रही है। या चार हफ्ते चल रही है। इस बात का संज्ञान लेना पड़ता है और वह बहुत महत्वपूर्ण भी होता है। लेकिन ओटीटी के भी अपने तरीके होते हैं फिल्म हिट है या नहीं या कोई कांटेक्ट या वेब सीरीज हिट है या नहीं उसे जानने के लिए। कितने घंटे उस फिल्म को देखा गया। यह बहुत बड़ी बात होती है।
मिसाल के तौर पर जब गंगूबाई सिनेमा हॉल में रिलीज हुई, फिर ओटीटी पर यानि नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई थी तब पूरी दुनिया में अंग्रेजी के अलावा किसी और भाषा में चली हुई किसी फिल्म में गंगूबाई पहले नंबर पर थी। एक बहुत बड़ी कामयाबी थी। हमारे लिए और यह फिल्म के लिए बहुत बड़ी बात थी कि इसे इतने सारे लोगों ने देखा है। लेकिन इसके साथ ही एक और बात भी कहना चाहूंगी कि आंकड़े मायने रखते हैं चाहे वह ओटीटी पर हो, चाहे वह सिनेमा हॉल में हों। लेकिन आज से 5 या 6 साल बाद जब मैं कोई फिल्म देखूंगी तब मैं उस में नहीं सोचूंगी की कितने की कमाई हुई थी, कोई भी नहीं सोचता है।
हाल ही में शमशेरा के इंटरव्यू के दौरान रणबीर ने कहा था कि वह निर्देशन करना चाहते हैं।
हां, रणबीर ने कई बार यह बात मुझसे कहीं भी है। इस बात का जिक्र होता है। क्यों नहीं निर्देशन में बहुत रुचि है उनकी। वैसे भी आरके स्टूडियो घर का ही है। उन्होंने बड़ी खूबसूरत फिल्में दी है और कहीं ना कहीं मैं जानती हूं कि रणबीर की इच्छा है कि वह आरके स्टूडियो को पुनर्जीवित करें और मुझे लगता है वह कर भी सकते हैं और उन्हें आसपास और करीबी कई लोगों ने कहा भी है। तो इस बात का विश्वास दिलाती हूं कि रणबीर ऐसे पुनर्जीवन का काम करेंगे और जब तक वो ये काम नहीं करेंगे तब तक मैं उनके पीछे पड़ी रहूंगी। जहां तक मेरी बात है उसके निर्माण में और पुनर्जीवन में मैं जितना ज्यादा योगदान दे सकती हूं, उतना देने वाली हूं।