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Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 15 मई 2024 (11:05 IST)

क्रांतिकारी सुखदेव का जन्मदिन आज, जानें 5 अनसुने तथ्य

Sukhdev
Highlights 
 
* सुखदेव की जीवन गाथा। 
* क्रान्तिकारी सुखदेव जन्मदिन आज।  
* सुखदेव के बारे में जानें।  
 
Sukhdev Jyanati 2024 : आज देश की आजादी में अपना नाम दर्ज करने वाले वीर सुखदेव का जन्मदिन है,  आइए जानते हैं उनके जीवन के बारे में ५ बातें :... 
 
* सुखदेव का परिचय : सुखदेव का जन्म लुधियाना में 15 मई 1907 को हुआ था। उनके पिता जी  का नाम रामलाल है और माता का नाम श्रीमती लल्ली देवी था। बचपन से ही सुखदेव ने ब्रिटिश राज के अत्याचारों को समझना शुरू कर दिया था। 
 
* आजादी की समाज : छोटी उम्र में ही वह समझ गए थे कि देश के लिए आजादी कितनी महत्वपूर्ण है। सुखदेव के भाई का नाम मथुरादास थापड़ था और भतीजे का नाम भारत भूषण थापड़ था। सुखदेव और भगत सिंह से काफी गहरी दोस्ती थी। दोनों का एक ही लक्ष्य था देश की आजादी। अंतिम क्षण तक दोनों साथ थे।  
 
* सुखदेव का क्रांतिकारी जीवन : सुखदेव हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य थे। वे पंजाब और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में क्रांतिकारी गतिविधियां संभालते थे।  देश की आजादी की महत्ता को समझते हुए सुखदेव ने लाहौर में अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर ‘नौजवां भारत सभा’ की स्थापना की थी। जिसका मुख्य उद्देश्य था देश के युवाओं को देश की आजादी के महत्व को समझाना, युवाओं को जागरूक करना, उन्हें प्रेरित करना। 
 
* स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी : इसके साथ ही स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने और सांप्रदायिकता को खत्म करने के लिए युवाओं को प्रेरित किया। सुखदेव ने कई क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लिया। लेकिन एक गतिविधि जिसके लिए उन्हें जीवनभर याद किया जाता है।1929 में ‘जेल की भूख हड़ताल में सक्रिय भूमिका निभाई थी। 
 
* निधन : लाहौर षडयंत्र 18 दिसंबर 1928 में उनके द्वारा किए गए हमले में ब्रिटिश सरकार की नींव को हिलाकर रख दिया था। 1928 में तीनों साथियों सुखदेव, भगतसिंह और राजगुरु ने मिलकर मिलकर पुलिस उप-अधीक्षक जे. पी. सॉन्डर्स की हत्या की थी। दरअसल, पुलिस उप-अधीक्षक की हत्या करने का मकसद, लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेना था। 8 अप्रैल 1929 को नई दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में बम विस्फोट करने के कारण उनके साथियों को दोषी ठहराया गया और मौत की सजा सुनाई गई। इस कारण 23, मार्च 1931 को सुखदेव को फांसी दी गई। और मात्र 23 वर्ष की उम्र में फांसी पर चढ़ गए। उन्होंने हमेशा देश के आजादी, देशभक्ति के लिए अपना जीवन त्याग दिया।
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