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Written By Author वृजेन्द्रसिंह झाला
Last Modified: मंगलवार, 7 अक्टूबर 2025 (18:15 IST)

बिहार में गठबंधनों में पड़ती गांठ, अब सीटों के बंटवारे को लेकर घमासान

Bihar election 2025
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग कर दिय है, लेकिन इसके साथ ही राज्य गठबंधनों और राजनीतिक दलों के लिए नई मुसीबत शुरू हो गई है। यह स्थिति किसी एक गठबंधन की नहीं है, बल्कि एनडीए और महागठबंधन दोनों में ही सीटों को लेकर घमासान मचा हुआ है। एनडीए में जहां चिराग पासवान और जीतनराम मांझी मुश्किलें बढ़ा रहे हैं, वहीं महागठबंधन में मुकेश सहनी और वामपंथी दल परेशानी का सबब बने हुए हैं। कांग्रेस भी ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करने की फिराक में है। 
 
बिहार की 243 विधानसभा सीटों के लिए 6 और 11 नवंबर को मतदान होगा, लेकिन उम्मीदवारों की घोषणा से पहले सीटों की संख्‍या को लेकर राजनीतिक दल एक-दूसरे के सामने हो गए हैं। राज्य में सत्तारूढ़ एनडीए के लिए भी मुश्किलें कम नहीं हैं। दरअसल, छोटे-छोटे सहयोगियों की सीटों की मांगें काफी बड़ी हैं, जिन्हें पूरा करना संभव ही नहीं है। केन्द्रीय मंत्री और हम पार्टी के मुखिया जीतनराम मांझी 15 सीटों की मांग कर रहे हैं, जबकि उन्हें गठबंधन द्वारा 7-8 सीटों की पेशकश की गई है। 
 
चिराग की महत्वाकांक्षाएं : इसी तरह एनडीए के एक अन्य सहयोगी केन्द्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान की महत्वाकांक्षाएं बढ़ गई हैं। पासवान 40 सीटों पर अड़े हुए हैं, जबकि गठबंधन उन्हें 25 सीटों की पेशकश कर रहा है। चिराग का कहना है कि लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी के प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए। हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में चिराग की पार्टी को मुंह की खानी पड़ी थी।
 
चिराग पासवान को मनाने की कोशिशें जारी हैं। बिहार के चुनाव प्रभारी धर्मेन्द्र प्रधान ने भी चिराग पासवान से चर्चा की है। इस बीच, यह भी चर्चा चल पड़ी है कि चिराग जन सुराज पार्टी के मुखिया प्रशांत किशोर से भी हाथ मिला सकते हैं। हालांकि इसे  उनकी दबाव की राजनीति माना जा रहा है। सीटों में थोड़े-बहुत हेरफेर के साथ आखिरकार वे मान ही जाएंगे। भाजपा और जदयू अपने सहयोगी दलों को 38 से 40 सीटें देने के लिए तैयार हैं। ये दोनों ही दल बराबर सीटों पर चुनाव मैदान में उतरेंगे। दोनों ही 102 सीटों के आसपास चुनाव लड़ेंगे। 
 
महागठबंधन में मुश्किलें कम नहीं : महागठबंधन यानी इंडिया ब्लॉक की स्थिति एनडीए से भी ज्यादा खराब है। तेजस्वी यादव 130 सीटों से नीचे आने को तैयार नहीं हैं, वहीं कांग्रेस इस बार 70 से ज्यादा सीटें मांग रही है। पिछले चुनाव में कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और सिर्फ 19 सीटें ही जीत पाई थी। वीआईपी पार्टी के मुकेश सहनी 40 सीटें मांग रहे हैं और सरकार बनने की स्थिति में डिप्टी सीएम का पद भी चाहते हैं। 2020 में 19 में से 12 सीटें जीतने वाले वाम दल इस बार ज्यादा सीटें मांग रहे हैं। उनका मानना है कि पिछले चुनाव में बेहतर स्ट्राइक रेट के चलते उन्हें कम से कम 40 सीटें मिलनी चाहिए। झारखंड मुक्ति मोर्चा भी झारखंड की सीमा से लगते क्षेत्रों में 12 सीटों की मांग कर रहा है। 
 
कुल मिलाकर बिहार का चुनावी घमासान रोचक मोड़ पर पहुंच गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों ही गठबंधनों के प्रमुख नेता अपने सहयोगियों को किस तरह मना पाते हैं। क्योंकि सहयोगियों का असंतोष जीत की संभावनाओं को भी कमजोर करेगा। 
   
 
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