शनिवार, 28 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. Spying through software
Written By
Last Modified: सोमवार, 28 अक्टूबर 2019 (17:32 IST)

स्टॉकरवेयर : इस सॉफ्टवेयर से पति-पत्नी कर रहे एक-दूसरे की जासूसी

स्टॉकरवेयर : इस सॉफ्टवेयर से पति-पत्नी कर रहे एक-दूसरे की जासूसी - Spying through software
- जो टायडी

एमी ने बताया कि ये सब उस वक्त शुरू हुआ, जब उन्हें लगा कि उनके पति को उनके दोस्तों के बारे में कई निजी बातें पता हैं। एमी बताती हैं, मैं हैरान हो जाती थी कि उन्हें कई ऐसी बातें पता हैं, जो बहुत ही प्राइवेट थीं। उन्हें पता था कि सारा का एक बच्चा है, जो शायद मुझे भी पता नहीं होना चाहिए था।

वो कहती हैं, जब मैं उनसे पूछती थी कि तुम्हें ये सब कैसे पता है। तो वो कहते थे कि मैंने ही उन्हें बताया है और मुझ पर आरोप लगाते थे कि मैं भूल जाती हूं। एमी (बदला हुआ नाम) इस सोच में भी पड़ गईं कि उनके पति को हर वक्त कैसे पता होता है कि वो कहां हैं।

कई बार मेरे पति ने कहा कि उन्होंने मुझे अपने दोस्तों के साथ एक कैफे में देखा और वो वहां से गुज़र रहे थे। मैं हर चीज़ पर सवाल करने लगी और किसी पर भरोसा नहीं कर पा रही थी। मेरे दोस्तों पर भी नहीं। कुछ महीनों में ये बहुत ज़्यादा होने लगा। एमी पहले ही अपने शादीशुदा रिश्ते में मुश्किलों से गुज़र रही थीं, लेकिन इन घटनाओं के बाद उनकी ज़िंदगी एक बुरे सपने की तरह हो गई। और एक फैमिली ट्रिप के बाद उनका ये रिश्ता ख़त्म हो गया।

रोज़ाना की रिपोर्ट : एमी याद करती हैं, हमारी वो ट्रिप अच्छी चल रही थी। हमारा 6 साल का बेटा खेल रहा था और बहुत खुश था। मेरे पति ने फार्म की एक तस्वीर खींची थी, वो दिखाने के लिए उन्होंने मुझे फोन दिया। उसी बीच उनके फोन की स्क्रीन पर मैंने एक अलर्ट देखा। उस पर लिखा था, एमी के मैक की डेली रिपोर्ट तैयार है। मैं सन्न रह गई।

एक मिनट के लिए तो मेरी सांसें थम गईं। मैंने खुद को संभाला और कहा कि मैं बाथरूम जाकर आती हूं। मुझे अपने बेटे की वजह से वहां रुकना पड़ा और मैंने ऐसे नाटक किया जैसे मैंने कुछ देखा ही नहीं। एमी बताती हैं, जितनी जल्दी हो सका, मैं कंप्यूटर का इस्तेमाल करने लाइब्रेरी गई और जो स्पाइवेयर (जासूस करने वाला सॉफ्टवेयर) इस्तेमाल किया था, उसके बारे में पता किया। उसके बाद मुझे पता चला कि महीनों से जिस बात को सोच-सोचकर मैं पागल हुई जा रही थी, वो क्या था।

स्टॉकरवेयर, जिसे स्पाउसवेयर भी कहा जाता है, एक शक्तिशाली सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है, जिसके ज़रिए किसी पर निगरानी रखी जा सकती है। ये इंटरनेट पर बहुत आसानी से खरीदे जा सकते हैं। इस सॉफ्टवेयर के ज़रिए किसी डिवाइस के सारे मैसेज पढ़े जा सकते हैं, स्क्रीन एक्टिविटी रिकॉर्ड की जा सकती है। जीपीएस लोकेशन ट्रैक की जा सकती है और ये सॉफ्टवेयर जासूसी के लिए कैमरों का इस्तेमाल करता है, जिससे पता चल जाता है कि वो व्यक्ति क्या कर रहा है।

साइबर सिक्योरिटी कंपनी कैस्पर्सकी के मुताबिक, पिछले साल अपने डिवाइस में ऐसा सॉफ्टवेयर होने के बारे में 35 फ़ीसदी लोगों को पता लगा। कैस्पर्सकी रिसर्चर कहते हैं कि प्रोटेक्शन टेक्नोलॉजी ने इस साल अबतक 37,532 उपकरणों में स्टॉकरवेयर होने का पता लगाया है।

और लीड सिक्योरिटी रिसर्चर डेविड एम कहते हैं कि ये बहुत ही गंभीर समस्या है और मामला इससे कहीं ज़्यादा बड़ा है। वो कहते हैं, ज़्यादातर लोग अपने लैपटॉप और डेस्कटॉप कंप्यूटर की तो सुरक्षा करते हैं, लेकिन कई लोग अपने मोबाइल डिवाइस को प्रोटेक्ट नहीं करते हैं। कैस्पर्सकी की सिसर्च के मुताबिक स्टॉकरवेयर का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल रूस में किया जाता है। इसके बाद भारत, ब्राज़ील, अमेरिका और जर्मनी जैसे देश हैं।

खुद को कैसे बचाएं? : एक दूसरी सिक्योरिटी कंपनी के मुताबिक अगर किसी को लग रहा है कि उसकी जासूसी की जा रही है तो वो कुछ प्रैक्टिकल कदम उठा सकता है। ईसेट कंपनी से जुड़े जेक मोरे कहते हैं, सलाह दी जाती है कि आप अपने फोन में मौजूद सभी एप्लिकेशन को वेरिफाई करें और ज़रूरत पड़ने पर किसी वायरस का पता लगाने के लिए वायरस एनालिसिस करें। और आपके डिवाइस में मौजूद जिस एप्लिकेशन के बारे में आपको पता नहीं है, उसके बारे में इंटरनेट पर सर्च करके पता लगाएं और ज़रूरत पड़ने पर हटा दें।

वो कहते हैं कि नियम बना लें कि जो एप्लिकेशन इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, उसे हटाना ही है। एक सिक्योरिटी ऐप डाउनलोड कर लें। एंटीवायरस से स्पाइवेयर का पता चल सकता है। एमी को जब पता चला कि उनके कंप्यूटर में ऐसा सॉफ्टवेयर डाल दिया गया तो उनके मन में तकनीक को लेकर विश्वास कम हो गया। चैरिटी संस्थाओं के मुताबिक इस तरह के झटके के बाद किसी के दिमाग में ऐसी बातें आना आम है।

जेसिका स्टॉकरवेयर की ऐसी ही पीड़िता हैं। उनके पूर्व पति उनके फोन के माइक्रोफोन के ज़रिए उनकी जासूसी करते थे। फिर वो जब जेसिका से बात करते थे तो कुछ ऐसी लाइनें दोहराते थे, जो जेसिका ने अपने दोस्तों के साथ निजी बातचीत में इस्तेमाल की होती थीं। जेसिका को उस रिश्ते से बाहर निकले कई साल हो गए हैं, लेकिन अब भी जब वो अपने दोस्तों से मिलने जाती हैं तो अपना फोन कार में छोड़कर जाती हैं।

जिंदगीभर होता है असर : घरेलू हिंसा के पीड़ितों के लिए काम करने वाली एक ब्रितानी संस्था से जुड़े गेमा टॉयटन कहते हैं कि कई मामलों में पीड़ितों पर पूरी ज़िंदगी इसका असर रहता है। वो किसी दूसरे पर भरोसा नहीं कर पाते। वो फोन या लैपटॉप को किसी हथियार की तरह देखने लगते हैं, क्योंकि उनके लिए वो डिवाइस किसी हथियार की ही तरह इस्तेमाल किया गया था।

गेमा टॉयटन कहते हैं, उन्हें लगता है कि टेक्नोलॉजी ने उन्हें घेर रखा है, कई लोग तो इंटरनेट इस्तेमाल करना बंद कर देते हैं। ये आपकी पूरी ज़िंदगी पर असर करता है। चिंता की बात है कि ये स्टॉकरवेयर बहुत ज़्यादा इस्तेमाल किया जाने लगा है। अब एमी का तलाक हो चुका है और वो अपने पूर्व पति से कई किलोमीटर दूर रहती हैं। उनके पति उनसे सीधे कोई संपर्क नहीं कर सकते हैं और बेटे की देखभाल को लेकर भी उनके बीच चिट्ठियों के ज़रिए ही बात होती है।

एमी कहती हैं कि इस तरह की तकनीक के खिलाफ कड़ा कानून बनना चाहिए। एमी कहती हैं जब कोई ये सॉफ्टवेयर डाउनलोड करता है तो उसे ये लिखा मिलता है कि हम आपको अपनी पत्नियों की जासूसी करने की अनुमति नहीं देते हैं। हालांकि उन्हें पता है कि उनके ग्राहक क्या करने के लिए ये सॉफ्टवेयर ले रहे हैं। इस सॉफ्टवेयर से बहुत नुकसान होता है।
ये भी पढ़ें
ट्रंप के बगदादी और ओबामा के लादेन ऑपरेशन में क्या फर्क