बीबीसी मॉनिटरिंग
कुछ जिहादी समूहों ने भारत-प्रशासित कश्मीर की स्वायत्तता ख़त्म किए जाने के भारत के फैसले के जवाब में जिहाद की अपील की है। इन समूहों में से ज्यादातर पाकिस्तान में स्थित हैं। ग़ौरतलब है कि कश्मीर स्थित ऑनलाइन जिहादियों और चैनलों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इसकी वजह ये हो सकती है कि भारत सरकार ने घाटी में इंटरनेट सेवाएं एकदम बंद कर रखी हैं।
इस्लामिक स्टेट समूह (आईएस) और अल-कायदा का समर्थन करने वाले कई प्रो-जिहाद अकाउंट ने मैसेजिंग ऐप टेलीग्राम पर दोहराया कि भारत और पाकिस्तान दोनों ने ही कश्मीर के लोगों से धोखा किया और सिर्फ जिहाद से ही कश्मीर विवाद का हल हो सकता है।
जिहाद 'अनिवार्य' है : पाकिस्तान स्थित कई हाई-प्रोफाइल चरमपंथी समूहों ने भारत के कदम पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भारत में कई बड़े हमलों के लिए ज़िम्मेदार माने जाने वाले जैश-ए-मोहम्मद समूह ने कहा है कि कश्मीर की विशेष शक्तियों को ख़त्म करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने "हार मान ली है"।
एक संदेश में समूह के प्रमुख मसूद अज़हर ने कहा, "मुजाहिद्दीन ने जिहाद का एक अध्याय पूरा कर लिया है और कश्मीर में जिहाद का दूसरा चरण शुरू हो रहा है।" अगर मुजाहिद्दीन सक्रिय कार्रवाई करते हैं तो "दुश्मन डरेंगे और शांति और बातचीत करने की भीख मांगेंगे।"
पाकिस्तान में कई बड़े हमलों की ज़िम्मेदारी लेने वाले लश्कर-ए-झांगवी नाम के एक चैनल ने दिवंगत जिहादी धर्मगुरु समी उल-हक का एक बयान फॉरवर्ड किया है, "कश्मीर का मसला सिर्फ जिहाद से ही हल हो सकता है।" जिहाद समर्थक धर्मगुरुओं ने भी भारत सरकार के फैसले के जवाब में जिहाद करने की अपील की है।
एक उग्र भाषण में मौलाना अब्दुल अज़ीज़ ने एक फतवा जारी करते हुए कहा, "अब हर पाकिस्तानी मुस्लिम के लिए अनिवार्य है कि वो कश्मीर के लिए जिहाद करे"। उन्होंने दूसरे धर्मगुरुओं और धार्मिक संस्थाओं से भी ऐसे ही फतवे जारी करने की अपील की।
पाकिस्तान के विवादित मदरसे जामिया हफज़ा के प्रमुख अज़ीज़ ने लोगों से कश्मीर के लिए बलिदान देने की भी अपील की और "अफगानिस्तान में सोवियत संघ और अमेरिका के खिलाफ जिहादियों की जीत को दोहराया।"
जिहाद 'एकमात्र समाधान' है : भारत सरकार की आधिकारिक घोषणा से पहले ही जिहादियों ने ऑनलाइन अनुमान लगा लिया था कि कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म किया जा सकता है। उन्होंने ये भी चेतावनी दी थी कि इंटरनेट बंद कर दिए जाएंगे और एक-दूसरे से बात करने के लिए दूसरे तरीके इस्तेमाल करने की सलाह दी थी।
अल-कायदा और आईएस दोनों के समर्थकों ने भारत सरकार के फैसले का इस्तेमाल कर कश्मीर में शरीयत स्थापित करने के लिए हथियारबंद जिहाद और राज्य को भारत और पाकिस्तान दोनों से "आज़ाद" कराने का आह्वान दोहराया।
दुनियाभर के जिहादी समूहों ने पहले भी ये तर्क दिया था कि कश्मीर मसले को सुलझाने का जिहाद ही एकमात्र तरीका है और उन्होंने क्षेत्र के चरमपंथी समूहों की ये कहते हुए आलोचना की थी कि उन्हें पाकिस्तान सरकार का समर्थन मिल रहा है, जिसे जिहादी "स्वधर्म भ्रष्ट" मानते हैं।
अनफाल जैसे आईएस समर्थक टेलीग्राम चैनलों ने कई मैसेज पोस्ट कर हिंसा भड़काने और ऑफलाइन होने से पहले जिहाद अपनाने के लिए लोगों को आमंत्रित किया। अल-कायदा समूह के अंसार गजवत उल-हिंद (एजीएच) ने भी कश्मीर के लोगों से अपील की है कि वो पारंपरिक पार्टियों को छोड़कर जिहाद में शामिल हो जाएं।
टेलीग्राम पर प्रो-एजीएच चैनलों ने समूह के मारे जा चुके नेता जाकिर मूसा का एक संदेश चलाया, जिसमें वो कह रहे हैं कि कश्मीर मसले का एकमात्र हल हिंसक जिहाद है।
अल-कायदा ने अपने कई नेताओं के कश्मीरी लोगों को संबोधित करने वाले भाषण जारी किए और पिछले महीने ही समूह के नेता ओमान अल-ज़वाहिरी का एक संदेश जारी किया था, जिसमें वो कश्मीर में मुस्लिमों की दुर्दशा के लिए भारत और पाकिस्तान दोनों की निंदा कर रहे थे और उन्होंने भारत के खिलाफ हमले करने के लिए भी उकसाया।
एक प्रमुख प्रो-जिहाद चैनल "स्ट्राइव टू बी अ मोमिन" ने कश्मीरियों से कहा कि "जो भी हिंदू, कश्मीर आने के बारे में या राज्य में किसी तरह का व्यापार करने के लिए खरीददारी करने के बारे में सोचता भी है, उसे आतंकित कर दो।"
"जिहाद के कारवां में जुड़ जाओ... यही वक्त है जब मुजाहिद्दीन कश्मीर में धावा बोल सकते हैं...इस सुनहरे मौके को खोना मत, हम आपका स्वागत करते हैं।"
ज़ैद अल-अंसारी नाम के एक और चैनल ने पोस्ट किया: "जिहाद ही कश्मीर का हल है...ना संयुक्त राष्ट्र आपकी मदद करेगा और ना पाकिस्तान आपकी मदद करेगा।"