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Written By BBC Hindi
Last Updated : शनिवार, 10 फ़रवरी 2024 (09:49 IST)

भारत रत्न देकर क्या पीएम मोदी चुनावी समीकरण साध रहे हैं?

भारत रत्न देकर क्या पीएम मोदी चुनावी समीकरण साध रहे हैं? - Is PM Modi trying to solve the electoral equation by giving Bharat Ratna?
-दीपक मंडल (बीबीसी संवाददाता)
 
कर्पूरी ठाकुर और लालकृष्ण आडवाणी के बाद मोदी सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्रियों पीवी नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और भारत में हरित क्रांति के अगुआ कहे जाने वाले कृषि वैज्ञानिक डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन को भी भारत रत्न देने का ऐलान किया है। भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।
 
चौधरी चरण सिंह देश के 6ठे प्रधानमंत्री थे। हालांकि उनका कार्यकाल काफी छोटा रहा था। 28 जुलाई 1979 को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के 170 दिनों बाद ही उन्हें पद छोड़ना पड़ा था, क्योंकि वो सदन में अपनी सरकार का बहुमत साबित नहीं कर पाए थे। चौधरी चरण सिंह बड़े किसान नेता थे और 1977 में मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनाने में उनकी पार्टी का बड़ा योगदान रहा था।
 
पीवी नरसिम्हा राव देश के 10वें प्रधानमंत्री थे। 21 जून 1991 से 16 मई 1996 तक प्रधानमंत्री रहे नरसिम्हा राव को भारतीय अर्थव्यवस्था को खोलने का श्रेय दिया जाता है।
 
उन्होंने भारत में बड़े आर्थिक सुधारों को अंजाम दिया। वो आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। वो देश के गृह मंत्री भी थे।
 
डॉ. एमएस स्वामीनाथन को भारत में 'हरित क्रांति का अगुआ' माना जाता है। उन्होंने 1960 और 1970 के दशक में भारतीय कृषि में बेहद क्रांतिकारी तकनीकों को आज़माया और खाद्य सुरक्षा का लक्ष्य हासिल करने में अहम भूमिका निभाई।
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन तीनों के योगदान को याद करते हुए ट्वीट किया है। पीएम मोदी ने अलग-अलग क्षेत्रों में उनके योगदान को रेखांकित किया है।
 
लेकिन सिर्फ एक पखवाड़े के भीतर ही कर्पूरी ठाकुर, लालकृष्ण आडवाणी, पीवी नरसिम्हा राव और चौधरी चरण सिंह को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान के ऐलान को चुनावी राजनीति से जोड़ा जा रहा है।
 
नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने के मायने
 
कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इतनी बड़ी संख्या में ये सम्मान देकर चुनावी समीकरण साधने की कोशिश कर रहे हैं।
 
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक नीलांजन मुखोपाध्याय कहते हैं, 'प्रधानमंत्री का दांव पूरी तरह चुनावी है। चुनाव आते ही कर्पूरी ठाकुर याद आ गए। जिन आडवाणी को राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने तक नहीं दिया गया, उन्हें भारत रत्न दे दिया गया। दरअसल ऐसा करके मोदी चुनाव से पहले संघ परिवार के साथ अपने मतभेदों को खत्म करना चाहते थे।'
 
नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों 'परिवारवाद' पर बयान दिए और कांग्रेस को एक परिवार की पार्टी बताने की कोशिश की।
 
विश्लेषकों का मानना है कि शायद मोदी, नरसिम्हा राव के लिए भारत रत्न का ऐलान करके ये जताना चाहते हैं कि कांग्रेस सिर्फ परिवार को तवज्जो देती है। बीजेपी ये दिखाना चाहती है कि नरसिम्हा राव काबिल प्रधानमंत्री थे लेकिन सोनिया गांधी ने उनका अपमान किया।
 
नीलांजन मुखोपाध्याय कहते हैं, 'बीजेपी की ये पुरानी थ्योरी है। वो भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्रियों के बाद सबसे काबिल प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को मानती रही है। इसलिए बीजेपी अब उनका सम्मान कर रही है। इसके ज़रिये वो ये जताना चाहती है कि कांग्रेस सिर्फ परिवारवाद की वजह से जिन काबिल प्रधानमंत्री का अपमान कर रही थी, बीजेपी उनका सम्मान कर रही है।'
 
हालांकि नीलांजन ये भी कहते हैं कि प्रधानमंत्री इस बार 400 (सीटों) के पार की बात कर रहे हैं। लेकिन राम मंदिर, सांप्रदायिकता के उभार, कल्याणकारी योजनाओं की डिलीवरी और भारी प्रचार-प्रसार के बावजूद वो अलग-अलग समुदायों को खुश करने के लिए भारत रत्न दे रहे हैं।
 
उनका मानना है कि बीजेपी अगर छोटी-छोटी पार्टी से गठबंधन की कोशिश करती दिख रही है तो ये साफ है कि उसे कहीं न कहीं चुनाव में झटका लगने की आशंका सता रही है। शायद ये 'चुनावी गोलबंदी' इसीलिए की जा रही है।
 
'चुनावी समीकरण साधने की कोशिश'
 
विश्लेषकों का मानना कि मोदी सरकार भारत रत्न के ऐलान को 'चुनावी टूल' की तरह इस्तेमाल करने जा रही है।
 
भारत रत्न देने का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 18(1) में है। 1954 में इस पुरस्कार की स्थापना हुई और नियमों के मुताबिक़ एक साल में 3 ही पुरस्कार दिए जाते हैं।
 
लेकिन मोदी सरकार ने इस बार देश की 5 हस्तियों को भारत रत्न देने का ऐलान किया है। इससे पहले सिर्फ एक बार 1999 में 4 लोगों को ये सम्मान दिया गया था।
 
इस बार ऐन चुनाव से पहले 5 हस्तियों को भारत रत्न देने के ऐलान पर वरिष्ठ पत्रकार हेमंत अत्री कहते हैं, 'ये 'भारत रत्न' नहीं 'चुनाव रत्न' हैं। ये चनावी समीकरण साधने के लिए दिए गए हैं। कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न के ऐलान के बाद नीतीश कुमार की सरकार पलट गई। उसी तरह चौधरी चरण सिंह के लिए इसके ऐलान के बाद आरएलडी के जयंत चौधरी ने बीजेपी से गठबंधन के संकेत दे दिए।'
 
हेमंत अत्री कहते हैं कि 'जैसे ही चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का ऐलान हुआ, उनके पौत्र और आएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने कहा कि वो और क्या मांगें। साफ है कि वो अब एनडीए में चले जाएंगे। उनकी सीट शेयरिंग पर भी बात हो चुकी है। ये भी तय हो चुका है कि आरएलडी को कितनी लोकसभा, और राज्यसभा की सीट मिलेगी और उत्तर प्रदेश में उनकी पार्टी के कितने मंत्री होंगे।'
 
आखिर नरेंद्र मोदी ने ठीक चुनाव से पहले दिग्गज किसान नेता रहे चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का ऐलान क्यों किया? क्या बीजेपी को दो महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जाट बेल्ट में सीटें गंवाने का डर सता रहा है?
 
इस सवाल के जवाब में हेमंत अत्री कहते हैं, 'किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के बाहर 13 महीनों तक बैठे रहे। लेकिन उनकी मांगें पूरी नहीं कीं। लेकिन अब वे चौधरी चरण सिंह और एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का ऐलान कर उन्होंने प्रतीकवाद की राजनीति कर रहे हैं। वो कह रहे हैं जो लोग किसानों के सबसे बड़े हितैषी थे उनको हमारी सरकार ने देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दे दिया। किसानों को और क्या चाहिए? मोदी सरकार की ये गजब की पॉलिटिक्स है।'
 
कृषि नीति और इससे जुड़े मामलों के विशेषज्ञ देविंदर शर्मा भी मानते हैं कि चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का मकसद आरएलडी को एनडीए में लाने की रणनीति है।
 
वो ये भी कहते हैं कि एमएस स्वामीनाथन हरित क्रांति और वर्गीज़ कुरियन श्वेत क्रांति के लिए जाने जाते हैं। लेकिन किसानों को स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य न देना और एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न का ऐलान करना, एक तरह की प्रतीकवाद की राजनीति ही कही जाएगी।
 
यूपी में आरएलडी से गठबंधन की कोशिश क्यों?
 
कुछ विश्लेषकों का कहना है कि 2013 में मुज़फ्फ़रनगर में हुए जाट बनाम मुस्लिम दंगों के बाद बहुत बड़ी तादाद में जाट राष्ट्रीय लोकदल को छोड़ कर बीजेपी की ओर चले आए थे, जाट अपनी जातीय अस्मिता को भूल कर हिंदू बन गए।
 
पश्चिमी यूपी जाट और मुस्लिम बहुल है। यहां लोकसभा की कुल 27 सीटें हैं और 2019 के चुनाव में बीजेपी ने 19 सीटों पर जीत हासिल की थी। इतनी मज़बूत स्थिति के बावजूद बीजेपी यहां आरएलडी के साथ गठबंधन क्यों करना चाहती है?
 
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक शरद गुप्ता कहते हैं, 'आपने देखा होगा कि इस बार के बजट में मोदी सरकार की ओर से कोई लुभावना ऐलान नहीं किया गया। न मिडिल क्लास को टैक्स छूट दी गई और न किसान सम्मान निधि बढ़ाई गई। यानी मोदी सरकार को चुनाव में जीत का पूरा भरोसा है। फिर भी मोदी और शाह की जोड़ी जीत में नहीं धमाकेदार जीत में विश्वास करती है। उनकी स्टाइल ये है कि कहीं पर 4 सीटें 4-4 हज़ार की मार्जिन से जीत रहे हैं तो क्या इसे 50-50 हज़ार के मार्जिन में नहीं बदला जा सकता?'
 
शरद गुप्ता कहते हैं कि बीजेपी धमाकेदार जीत के लिए ही रालोद से लेकर जीतनराम मांझी की हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा (सेक्युलर) जैसी छोटी-छोटी पार्टियों से गठबंधन करती है। ये पार्टियां भले ही अपने दम पर चुनाव नहीं जीत सकतीं लेकिन इनका वोट बीजेपी की ताकत कई गुना बढ़ा देती है। बीजेपी और 2 और 2 मिलाकर 22 करना चाहती है।
 
बीजेपी ने आख़िर किस मतदाता वर्ग को अपनी ओर खींचने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने का ऐलान किया है। इसके पीछे उसकी मंशा क्या है?
 
शरद गुप्ता कहते हैं, 'इसके ज़रिये प्रधानमंत्री कांग्रेस के कथित परिवारवाद की ओर लोगों का ध्यान दिलाना चाहते हैं। वो ये याद दिलाना चाहते हैं कि जिस प्रधानमंत्री के शव को कांग्रेस कार्यालय के अंदर लाने नहीं दिया गया, बीजेपी उसका सम्मान कर रही है। यानी वो ये दिखाना चाहती है कि कांग्रेस में परिवारवाद किस कदर हावी है। कोई आश्चर्य नहीं कि बीजेपी मनमोहन सिंह को भी भारत रत्न देने का ऐलान कर सकती है।'
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