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Last Modified: मंगलवार, 20 जून 2017 (11:43 IST)

रोज़ाना अंडा खाने से बच्चों की बढ़ सकती है लंबाई- एक रिसर्च

रोज़ाना अंडा खाने से बच्चों की बढ़ सकती है लंबाई- एक रिसर्च - Egg
एक्वाडोर में छह महीने के एक अध्ययन से पता चला है कि एक अंडा रोज खाने से संभव है कि अल्पपोषित बच्चे भी सामान्य लंबाई पा सकते हैं। फिर वो अंडा चाहे नरम हो या ज़्यादा उबाला हुआ, फ्रायड हो या फिर आमलेट, इससे बच्चों को शारीरिक विकास में मदद मिल सकती है। बच्चों में शारीरिक विकास के लिए यह एक सस्ता ज़रिया हो सकता है।
 
रिसर्चरों ने यह बात बाल चिकित्सा की एक जर्नल में कही है। बच्चों के लिए पहले दो साल उनके शारीरिक विकास के लिए काफ़ी अहम होता है। ख़राब आहार ही बच्चों के शारीरिक विकास में बाधा बनता है। इसके साथ ही बचपन की इन्फेक्शन और बीमारियों के कारण भी बच्चों का शारीरिक विकास अधूरा रह जाता है।
 
6-7 महीने के बच्चों का अंडा दिया
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पांच साल से नीचे की उम्र वाले 15.5 करोड़ बच्चों की जितनी लंबाई होनी चाहिए, उससे बहुत कम है। ये ज़्यादातर ग़रीब देशों के बच्चे हैं। इस मामले में स्वास्थ सेवाओं से जुड़े विशेषज्ञ कोई रास्ता निकालने की जुगत में लगे हैं। लोरा इयनारी और उनकी सहकर्मियों ने एक्वाडोर के ग्रामीण पर्वतीय इलाक़े में एक प्रयोग किया है। यहां 6 से 7 महीने के बच्चों को अंडा खाने के लिए दिया गया।
 
इस प्रयोग में 160 बच्चों को शामिल किया गया। इनमें से आधे बच्चों को छह महीने तक हर दिए एक अंडा खिलाया गया। फिर इन बच्चों के शारीरिक विकास की तुलना बाक़ी के बच्चों से की गई। शोधकर्ता बच्चों के परिवार के घर हर हफ़्ते जाते थे। ये जाकर देखते थे कि बच्चों को कोई समस्या तो नहीं है। कहीं वे अंडा से होने वाली एलर्जी की चपेट में तो नहीं आए हैं।
 
इस स्टडी में देखा गया कि इन बच्चों का शारीरिक विकास बढ़िया रहा। जिन बच्चों को अंडा नहीं दिया गया था उनके मुकाबले इनकी लंबाई में दिक्कत 47 फ़ीसदी कम रही।जब इस स्टडी को शुरू किया गया था तब इन बच्चों की लंबाई उम्र के हिसाब बहुत कम थी।
 
चार महीने से कम उम्र के बच्चों को अंडा नहीं
इस रिसर्च का नेतृत्व कर रहीं लोरा ने कहा, ''हम लोग हैरान हैं कि यह इतना कारगर साबित हुआ। यह अपने आप में कितना अच्छा है क्योंकि अंडे का खर्च वहन करना बहुत मुश्किल नहीं है। इसकी उपलब्धता भी बहुत आसान है। जहां कुपोषण की समस्या है वहां यह उपाय बहुत बेहतरीन साबित हो सकता है।''
 
लोरा ने कहा कि अंडा छोटे बच्चों के छोटे पेट के लिए बेहतरीन आहार है। उन्होंने कहा कि अंडे में पोषक तत्वों का संयोजन है और यह अपने आप में काफ़ी महत्वपूर्ण है। रॉयल कॉलेज ऑफ पीडीऐट्रिक्स एंड चाइल्ड हेल्थ में आहार मामलों के विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर मेरी फ्यूट्रेल ने इसे हैरान करने वाली स्टडी बताया।
 
उन्होंने कहा, ''यह हैरान करने वाला इसलिए है कि इस पर ज़्यादा रिसर्च नहीं हुई है। माता-पिता इस उम्र में बच्चों को अंडा नहीं देते हैं। माता-पिता अंडों से होने वाली एलर्जी से डरते हैं।''
 
उन्होंने कहा, ''अंडा पोषक तत्वों का एक संयोजन है। यह हमारे लिए अतिरिक्त आहार की तरह है। बच्चों को चार महीने से पहले कभी अंडा नहीं खिलाना चाहिए।''
 
विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी कहना है कि छह महीने के बाद मां दूध के अलावा अतिरिक्त आहार के रूप में अंडा दे सकती है। बच्चों को पहले छह महीने के बाद मां के दूघ के अलावा एक और अतिरिक्त आहार की ज़रूरत होती है। बच्चे के जन्म के बाद के दो साल उसके शारीरिक विकास के लिए काफ़ी अहम हैं।
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