राम मंदिर के रूप में पूरा होने जा रहा है रामभक्तों का अविश्वसनीय सपना
झांसी। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन का समय ज्यों-ज्यों पास आ रहा है त्यों-त्यों झांसी से मंदिर आंदोलन में कारसेवा करने वाले रामभक्तों के बीच उनके अकल्पनीय सपने के साकार होने को लेकर उत्साह बढ़ता ही जा रहा है।
कारसेवा में अग्रणी भूमिका निभाने वाले विश्व के सबसे बड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के तत्कालीन विभाग प्रमुख और झांसी विकास प्राधिकरण के सदस्य पं. सुबोध गुबरेले ने मंगलवार को कहा कि प्रभु श्रीराम के मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन उनके लिए ऐसे सपने की तरह है जिसके पूरे होने की उम्मीद उन्हें उनके जीवन में नहीं थी। वे हमेशा सोचते थे कि वे मंदिर बनते हुए भी देख पाएंगे या नहीं।
इस भागीरथ कार्य को पूरा करने का श्रेय वह संघ परिवार को देते हैं। उनका कहना है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मंदिर के लिए किए गए अथक प्रयास ही अब मूर्त रूप लेने जा रहे हैं।गुबरेले ने बताया कि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर निर्माण न केवल उनका बल्कि झांसी में मंदिर आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाली जनता, हर कारसेवक और रामभक्त का सपना था जो अब हकीकत बनने जा रहा है।
उन्होंने बताया कि अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण के लिए 1990 में शुरू हुए आंदोलन की यादें आज ताजा हो रही हैं। मंदिर निर्माण के जनजागरण के लिए उस समय ज्योति रथयात्रा निकाली गई थी। इस रथयात्रा का उन्हें जालौन जिले का प्रभारी बनाया गया था। वह पूरे जनपद के गांव-गांव में लगभग एक सप्ताह तक घूमे और ज्यादा से ज्यादा लोगों को ज्योति रथयात्रा के दर्शन कराए।
उस समय ज्योति रथयात्रा की एक झलक पाने के लिए गांवों में लोगों का हुजूम उमड़ता था। लोग आधी आधी रात तक ज्योति रथ यात्रा के इंतजार में पलक पांवडे बिछाए खड़े रहते थे। लोग श्रद्धाभाव से फल और मिठाई प्रभु श्रीराम के चरणों में अर्पित करते थे और इस तरह पूरे दिन में ज्योतिरथ प्रसाद से भर जाता था,जिसे वह रामभक्तों को वितरित करते रहते थे।
आंदोलन के दौरान लोगों में श्रीराम की भक्ति की पराकाष्ठा की चमक आज भी गुबरेले की आंखों में नजर आती है और वह भावविह्वल होकर बताते हैं कि यह ऐसा आंदोलन था जिसे बिना कुछ कहे ही जनता ने अपने हाथ में ले रखा था और हर गांव में और शहर की गली गली में बच्चा-बच्चा राममय दिखाई देता था।
जनता प्रभु श्रीराम के मंदिर निर्माण के लिए तन, मन और धन न्यौछावर करने को तैयार थी। ज्योति रथयात्रा में उमड़े जनसैलाब को देखकर तत्कालीन समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार सकते में आ गई और इसी कारण जैसे ही रथयात्रा जालौन से निकलकर झांसी पहुंची तो पहले ही दिन प्रशासन ने इसको रोक लिया।
रथयात्रा का नेतृत्व कर रहे गुबरेले को उनके अन्य रामभक्तों समेत गिरफ्तार कर लिया गया था। सभी को एहतियात के तौर पर झांसी में नहीं बल्कि जालौन के उरई स्थित जिला कारागार भेज दिया गया।
यही नहीं मामूली बातचीत के दौरान रामभक्तों के उत्साह को तोड़ने के लिए उन पर लाठियां भी भांजी गई थीं और कई रामभक्त चोटिल भी हुए। उन्होंने बताया कि उसके बाद कई रामभक्तों को झांसी से गिरफ्तार कर महोबा जेल भी भेजा गया था जिसमें कई महिला रामभक्त भी शामिल थीं।
उस समय के हालात को याद करते हुए गुबरेले ने कहा कि यह भी किसी सौभाग्य से कम नहीं कि राम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन देश के प्रधानमंत्री और कारसेवा के अगुवा रहे नरेंद्र मोदी कर रहे हैं। उन्हें और उन जैसे लाखों करोड़ों रामभक्तों के लिए यह दिन किसी त्योहार से कम नहीं है तथा 5 अगस्त 2020 की तिथि इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गई है।(वार्ता)