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अक्षय तृतीया पर ऐसे करें ग्रहों की शांति के दान...

अक्षय तृतीया पर ऐसे करें ग्रहों की शांति के दान...। 2018 akshay tritiya - akshaya tritiya Daan
* अक्षय तृतीया के दिन क्या और कौन से ग्रह का दान करें, जानिए...
 
कष्ट हमारे कर्मफल हैं तथा जन्म कुंडली में कर्म का दर्पण है। अत: यह जानकर किसी योग्य विद्वान से सलाह लेकर क्या और कौन से ग्रह का दान करना है, वो अक्षय तृतीया के दिन करें। अक्षय तृतीया पर दान का विशेष महत्व है। ग्रहों के अनुसार दान निम्नलिखित है-
 
1. सूर्य : गेहूं, माणिक्य, लाल वस्त्र, लाल चंदन तथा तांबा यथाशक्ति दान करें। लेकिन दान का मतलब है कि दान की गई वस्तु दान ग्रहणकर्ता के किसी उपयोग में आए, न‍ कि नाममात्र का दान। दूसरा- सूर्योदय के समय तथा सूर्य मंत्र- 'ॐ ह्रीं सूर्याय नम:' मंत्र जप कर तथा संकल्प अवश्य लें।
 
2. चन्द्र- सूर्यास्त के समय सफेद वस्त्र, चावल, घी, दही, मोती, चांदी इत्यादि। मंत्र जपें- 'ॐ सोमाय नम:।' 
 
3. मंगल- संध्याकाल में लाल वस्त्र, लाल चंदन, मूंगा, गुड़, मसूर दाल, ताम्रपत्र आदि। मंत्र- 'ॐ अं अंगारकाय नम:' जपें।
 
4. बुध- हरा वस्त्र, कांसे का पात्र, घी, हरा-खड़ा मूंग, संध्या करीब 4 बजे तथा मंत्र जपें- 'ॐ बुं बुधाय नम:'।
 
5. बृहस्पति (गुरु)- संध्या के समय, पीत वस्त्र, चना दाल, स्वर्ण, शहद, ग्रंथ आदि मंत्र- 'ॐ बृं बृहस्पतये नम:' जपें।
 
6. शुक्र- सूर्योदय के समय 'ॐ शुं शुक्राय नम:' जपें तथा श्वेत वस्त्र, चावल, दही, घी, चांदी, हीरा व इत्र दान करें।
 
7. शनि- दोपहर को जपें- 'ॐ शं शनैश्चराय नम:' तथा लोहा, काला तिल, काला खड़ा उड़द, नीलम, काला वस्त्र दान करें।
 
8. राहु- रात्रि के समय 'ॐ रां राहवे नम:' जपें तथा सप्त धान्य, नीला वस्त्र, गोमेद, तिल्ली का तेल, सीसा व लोहा आदि दान करें।
 
9. केतु- रात्रि के समय तिल का तेल, लोहा, लहसुनिया आदि दान करें।
 
इसके अलावा सभी पापों के प्रा‍यश्चित के लिए गौदान, भूमि दान, ब्राह्मण को आमान्न (सीदा) दान किए जा सकते हैं। गौदान आदि के सामर्थ्य के अनुसार गौ निष्क्रय द्रव्य दिया जा सकता है। संकल्प अवश्य लें तथा यथाशक्ति दक्षिणा दें।
विशेष प्रयोग- नारियल गोले को ऊपर से काटकर उसमें शकर, मोटा सिंका हुआ आटा मिलाकर वापस उसी नारियल के टुकड़े बंद कर काले कपड़े से बांधकर पीपल के नीचे आधा हाथ खोदकर पोला-पोला मिट्टी से ढंक दें। समय सूर्यास्त के ठीक पहले हो। सभी पापों का नाश होता है तथा आत्मोन्नति होती है।