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Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 20 नवंबर 2025 (17:02 IST)

Vinayak Chaturthi 2025: विनायक चतुर्थी कब है? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Vinayak Chaturthi 2025 Date
Krichhra Chaturthi 2025: विनायक चतुर्थी हर माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है और यह भगवान गणेश को समर्पित है। वर्ष 2025 में मार्गशीर्ष मास की विनायक चतुर्थी 24 नवंबर 2025, सोमवार को मनाई जा रही है। इस चतुर्थी को कृच्छ्र चतुर्थी कहा जाता है। वर्ष 2025 में, यह तिथि भक्तों के लिए सुख-समृद्धि और ज्ञान का नया द्वार खोलेगी। 
 
विनायक चतुर्थी का महत्व: मान्यता है कि विनायक चतुर्थी का व्रत रखने और मध्याह्न काल में गणेश जी की पूजा करने से भक्तों के विघ्न या बाधाएं दूर होते हैं। यह दिन विशेष रूप से बुद्धि, ज्ञान, समृद्धि और व्यापार में सफलता के लिए बहुत शुभ माना जाता है।

धार्मिक ग्रंथों में मार्गशीर्ष महीने की विनायक चतुर्थी का विशेष महत्व माना जाता है, क्योंकि इस दिन व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं। स्कन्दपुराण के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की इस कृच्छ्र चतुर्थी से लेकर 4 वर्षों तक निरंतर इस व्रत का पालन करके उद्यापन किया जाता है।ALSO READ: गणेश चतुर्थी: साकार से निराकार की यात्रा
 
यहां हम आपको साल 2025 में आने वाली मार्गशीर्ष (अगहन) माह की विनायक चतुर्थी की सही तिथि और पूजन विधि बता रहे हैं:
 
विनायक चतुर्थी 2025 के शुभ मुहूर्त: 
 
कृच्छ्र चतुर्थी सोमवार, 24 नवंबर 2025, सोमवार
 
मार्गशीर्ष चतुर्थी तिथि का प्रारंभ- 23 नवंबर 2025, 07:24 पी एम से, 
चतुर्थी तिथि समाप्त- 24 नवंबर 2025 को 09:22 पी एम पर।
 
चतुर्थी मध्याह्न मुहूर्त/ पूजा समय की अवधि: सुबह 11 बजकर 04 मिनट से दोपहर 01 बजकर 11 मिनट तक।
चतुर्थी : 02 घंटे 07 मिनट्स।
 
आपको बता दें कि भगवान श्री गणेश की पूजा दोपहर के मध्य यानी मध्याह्न काल में की जाती है। इसलिए, उदया तिथि और शुभ मुहूर्त को देखते हुए, 24 नवंबर 2025, सोमवार को व्रत रखना और पूजन करना सर्वाधिक शुभ रहेगा। 
 
विनायक चतुर्थी पूजा विधि: विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और बुद्धि एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है।
 
1. तैयारी और संकल्प:
 
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र या हो सके तो लाल या पीले रंग के धारण करें।
 
पूजा स्थल को साफ करें और चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
 
हाथ में जल लेकर व्रत और पूजन का संकल्प लें।
 
2. गणेश जी का अभिषेक:
 
सबसे पहले गंगाजल या पंचामृत यानी दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल का मिश्रण से गणेश जी का अभिषेक करें।
 
उन्हें रोली और चंदन का तिलक लगाएं।
 
3. सामग्री अर्पित करना:
 
गणेश जी को दूर्वा घास की 21 गांठें अर्पित करें। दूर्वा गणेश जी को अत्यंत प्रिय है।
 
उन्हें लाल फूल विशेष रूप से गुड़हल का फूल और माला चढ़ाएं।
 
धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं।
 
4. भोग और मंत्र जाप:
 
भगवान गणेश को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं। भोग में तुलसी दल का प्रयोग न करें।
 
इस दिन गणेश चालीसा का पाठ करें और 'ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र का 108 बार जाप करें।
 
पूजा का समापन करने से पहले विनायक चतुर्थी की व्रत कथा सुनें।
 
5. आरती और विसर्जन:
 
अंत में कपूर या घी के दीपक से भगवान गणेश की आरती करें।
 
पूजा और आरती के बाद प्रसाद परिवार के सदस्यों और जरूरतमंदों में बांट दें।

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