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Last Modified: शनिवार, 5 फ़रवरी 2022 (09:59 IST)

कुंडली के कौनसे ग्रह दिलाते हैं देवी सरस्वती का आशीर्वाद

कुंडली के कौनसे ग्रह दिलाते हैं देवी सरस्वती का आशीर्वाद - Goddess Saraswati horoscope
Vasantotsav festival 2022: 5 फरवरी 2022 को बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा और आराधना की जाती है। माता सरस्वती ज्ञान, विद्या, वाणी, गायन और वादन की देवी है। आओ जानते हैं कि कुंडली के कौनसे ग्रह दिलाते हैं देवी सरस्वती का आशीर्वाद।
 
 
राहु ग्रह : लाल किताब के ज्योतिष के अनुसार राहु ग्रह माता सरस्वती का प्रतिनिधित्व करता है। वैदिक ज्योतिष में राहु छाया ग्रह है और देवी दुर्गा को छायारूपेण कहा गया है। दुर्गा पूजा से राहु के सभी अनिष्ट समाप्त होते हैं। राहु के लिए इष्ट देवी मां सरस्वती को माना गया है। लाल किताब में दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय का पाठ राहु का अचूक उपाय बताया गया है। नवरात्रि में सप्तमी के दिन सरस्वती का आह्वान किया जाता है।
 
राहु ग्रह और बुध ग्रह को अनुकूल बनाने से माता सरस्वती का आशीर्वाद मिलता है।
 
सरस्वती योग: यदि किसी की कुंडली में 3, 6 और 8वें घर को छोड़कर किसी स्थान में गुरु, शुक्र और बुध लग्न से दशम तक एक साथ या अलग-अलग बैठे हों तो सरस्वती योग बनता है। इसका मतलब है कि गुरु, शुक्र और बुध एक साथ या कोई दो ग्रह या तीनों ग्रह अलग-अलग 1, 2, 4, 5, 7, 9 या 10 भाव में हों तो यह योग बनता है।
 
बुध ग्रह से बनने वाले योग : बुध ग्रह ज्ञान और बुद्धि देने वाला ग्रह है। गणेशजी के साथ माता सरस्वती की पूजा करने से यह ग्रह उत्तम फल देता है। बुध ग्रह के कारण ही बुध योग और बुधादित्य योग बनता है। 
 
कुंडली में गुरु लग्न में हो, चंद्रमा केंद्र में, चंद्रमा से द्वितीय भाव में राहु और राहु से तृतीय भाव में सूर्य और मंगल तो बुध योग बनता है। इस योग का जातक ज्ञानवान होता है और वह बहुआयामी शिक्षा प्राप्त करता है। इसी प्रकार सूर्य और बुध किसी भाव में एक साथ बैठे हों तो जातक बुद्धिमान होता है। अगर यह योग केन्द्र या त्रिकोण में बने और मित्र ग्रह की राशि में बने तो ज्यादा प्रभावी होता है। कुंडली में शंख योग भी शिक्षा को बढ़ावा देता है। यदि लग्न बली हो और पंचमेश व षष्ठेश एक दूसरे से केन्द्र में हों तो शंख योग बनता है।
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