प्रत्येक व्यक्ति का जन्म किसी न किसी राशि के नक्षत्र में ही होता है। शास्त्रों ने जन्म नक्षत्र के अनुसार ही पौधा रोपण करने के बारे में उल्लेख मिलता है। अपका जन्म किस राशि के किस नक्षत्र के किस चरण में हुआ है उस अनुसार आपका नक्षत्र तय होगा।
1.अश्विनी के लिए कोचिला
2.भरणी के लिए आंवला
3.कृतिका के लिए गुलहड़
4.रोहिणी के लिए जामुन
5.मृगशिरा के लिए खैर
6.आर्द्रा के लिए शीशम
7.पुनर्वसु के लिए बांस
8.पुष्य के लिए पीपल
9.अश्लेषा के लिए नागकेसर
10.मघा के लिए बट
11.पूर्वा के लिए पलाश
12.उत्तरा के लिए पाकड़
13.हस्त के लिए रीठा
14.चित्रा के लिए बेल
15.स्वाती के लिए अर्जुन
16.विशाखा के लिए कटैया अथा बकुल
17.अनुराधा के लिए भालसरी या मौलश्री
18.ज्येष्ठा के लिए चीर
19.मूल के लिए शाल
20.पूर्वाषाढ़ के लिए अशोक
21.उत्तराषाढ़ के लिए कटहल
22.श्रवण के लिए अकौन
23.धनिष्ठा के लिए शमी
24.शतभिषा के लिए कदम्ब
25.पूर्वाभाद्रपद के लिए आम
26.उत्तराभाद्रपद के लिए नीम
27. और रेवती नक्षत्र के लिए उपयुक्त फल देने वाला महुआ पेड़ उत्तम बताया गया है।
एक राशि के भीतर लगभग 2.25 नक्षत्र आते हैं। एक नक्षत्र के 4 चरण (60 अंश या घटी होते हैं) होते हैं। जिस राशि का जो ग्रह है उसके अनुसार पौधा रोपण : मेष-खादिर, वृष-गूलर, मिथुन-अपामार्ग, कर्क-पलाश, सिंह-आक, कन्या-दुर्वा, तुला-गूलर, वृश्चिक-खादिर, धनु-पीपल, मकर-शमी, कुंभ-शमी, मीन-कुश
1.मेष : अश्विनी के 4 चरण, भरणी के 4 चरण और कृतिका का 1 चरण रहता है।
2.वृष : कृतिका के अंतिम 3 चरण, रोहिणी के 4 चरण और मृगशिरा के प्रथम 2 चरण।
3.मिथुन : मृगशिरा के पिछले 2 चरण, आद्रा के 4 चरण और पुनर्वसु के प्रथम 3 चरण।
4.कर्क : पुनर्वसु का चौथा चरण, पुष्य के 4 चरण और आश्लेषा के 4 चरण।
5.सिंह : मघा के 4 चरण, पूर्वाफाल्गुनी के 4 चरण और उत्तराफाल्गुनी का प्रथम चरण।
6.कन्या : उत्तराफाल्गुनी के शेष 3 चरण, हस्त के 4 चरण और चित्रा के प्रथम 2 चरण।
7.तुला : चित्रा के शेष 2 चरण, स्वाति के 4 चरण और विशाखा के प्रथम 3 चरण।
8.वृश्चिक : विशाखा का चौथा चरण, अनुराधा के 4 चरण और ज्येष्ठा के 4 चरण।
9.धनु : मूल के 4 चरण, पूर्वाषाढ़ा के 4 चरण और उत्तराषाढ़ा का प्रथम चरण।
10.मकर : उत्तराषाढ़ा का प्रथम चरण छोड़कर तीनों चरण, श्रवण के 4 चरण और धनिष्ठा का पहला और दूसरा चरण।
11.कुंभ : धनिष्ठा के अंतिम 2 चरण, शतभिषा के 4 चरण और पूर्वाभाद्रपद का पहला, दूसरा और तीसरा नक्षत्र।
12. मीन : पूर्वाभाद्रपद का चौथा चरण, उत्तराभाद्रपद के 4 चरण और रेवती के 4 चरण।
उल्लेखनीय है कि अभिजित नक्षत्र 19 घटी का ही होता है अत: उत्तराषाढ़ा की आखिरी 15 घटी और श्रवण की आरंभ की 4 घटी मिलाकर माना गया, के 4 चरण मकर राशि में बताए गए हैं।