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नवतपा कितना तपेगा : क्या कहता है पंचांग

नवतपा कितना तपेगा : क्या कहता है पंचांग - Nava tapa
नवतपा यानी इन दिनों सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश होने से धरती का तापमान तेजी से बढ़ेगा। इस दौरान लोगों को भयानक गर्मी सहन करनी होगी।
 
पंचांग के अनुसार 11 मई से ज्येष्ठ माह शुरू होने के बाद और 9 जून तक रहेगा। इस दौरान कई योग बन रहे हैं, जो भीषण गर्मी बढ़ाएंगे। यह भी दिलचस्प तथ्य है कि पिछले 5 सालों में नवतपा 25 मई को ही आ रहा है। 4 अप्रैल को सूर्य की उच्च राशि मेष में प्रवेश के साथ ही गर्मी ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए थे। इस बार गर्मी का असर 8 जून तक ज्यादा रहेगा।
25 मई को सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश के साथ ही नौतपा शुरू हो गया है। सूर्य इस दिन रोहिणी नक्षत्र में सवेरे 8 बजकर 16 मिनट पर प्रवेश कर गए हैं। यह स्थिति 3 जून तक रहेगी। 26 मई से मंगल व शनि का समसप्तक योग बनने से धरती खूब तपेगी और अग्नि कांड का भय भी बना रहेगा। ज्योतिष मान्यता है कि नौतपा ज्यादा तपता है तो बारिश अच्छी होती है।
 
 सूर्य के वृष राशि के 10 अंश से 23 अंश 40 कला में रहने तक नौतपा की स्थिति बनती है। सूर्य 8 जून तक इस स्थिति में रहने वाला है। ऐसे में नौतपा खत्म होने के बाद भी कई दिनों तक तेज गर्मी पड़ेगी।
 
आने वाली 25-26 मई को सूर्य उदय के समय चंद्रमा पृथ्वी तत्व की राशि वृषभ में रहने के साथ ही सूर्य व मंगल की युति के कारण 2 दिनों तापमान में बढ़ोतरी होगी और दौरान लोग गर्मी से बेहाल रहेंगे। 27 व 28 मई को सूर्य उदय के समय में चंद्रमा वायु तत्व की राशि मिथुन में रहेगा। इस योग से शाम को आंधी आने की भी संभावना बन रही है। साथ ही इन दिनों में आसमान में बादल छाए रहने और कहीं-कहीं बूंदाबांदी की संभावना भी रहेगी। 29 व 30 को पूरे दिन व 31 मई को सुबह 11:13 तक चंद्रमा जल चर राशि कर्क में रहेगा, जिससे बारिश की संभावना बनेगी।
 
31 मई को 11:13 से 2 जून शाम 06:19 तक चन्द्रमा अग्नि तत्व की राशि सिंह में रहने से तापमान बढ़ेगा। इन दिन दिनों लोग गर्मी से बेहाल रहेंगे। 3 जून को चन्द्रमा पृथ्वी तत्व की राशि में रहने से तापमान में स्थिरता बनी रहेगी। मानसून का गर्भकाल नौ तपा सूर्य जब चंद्र के नक्षत्र रोहिणी में जाता है तो सूर्य की तपन कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है। रोहिणी नक्षत्र के कम से कम 9 दिन के अंतराल में बारिश ना हो तो वर्षा उस वर्ष अधिक होती है। सूर्य की गर्मी और रोहिणी के जल तत्व के कारण मानसून गर्भ में जाता है और नौ तपा ही मानसून का गर्भकाल माना जाता है।

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