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Last Updated : शनिवार, 12 फ़रवरी 2022 (09:14 IST)

कुंभ संक्रांति : दान और पूजा के शुभ मुहूर्त, महत्व, कथा, विधि और सरल उपाय

कुंभ संक्रांति : दान और पूजा के शुभ मुहूर्त, महत्व, कथा, विधि और सरल उपाय - Kumbh Sankranti
Kumbha sankranti 2022: सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है। 13 फरवरी 2022 को सूर्य मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेगा जिसे कुंभ संक्रांति कहते हैं। इस दिन स्नान, दान, पूजा, कथा श्रवण ( Kumbh Sankranti Puja Katha And Mahatva ) आदि का खासा महत्व होता है। आओ जानते हैं इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी।
 
दान : इस दिन अन्न दान, वस्त्र दान, घी दान, फल दान, बर्तन दान, पलंग और बिस्तर दान, मंदिर में चांदी, तांबे, कांसे या पीतल काकलश दान आदि दान का खासा महत्व होता है। कहते हैं कि इस दिन दान करने से कई गुना ज्यादा पुण्य की प्राप्ति होती है।
 
 
पूजा के शुभ मुहूर्त : वैदिक पंचांग के अनुसार, सूर्य देव का कुंभ राशि में प्रवेश 13 फरवरी को तड़के 03 बजकर 41 मिनट पर होगा। ऐसे में कुंभ संक्रांति का पुण्य काल प्रात: 07 बजकर 01 मिनट से प्रारंभ हो जाएगा, जो दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। कुंभ संक्रांति पुण्य काल का समय 05 घंटा 34 मिनट का होगा, वहीं कुंभ संक्रांति का महा पुण्य काल 07 बजकर 01 मिनट से सुबह 08 बजकर 53 मिनट तक है। महा पुण्य काल की अवधि 01 घंटा 51 मिनट की है।
 
 
महत्व : कुंभ संक्रांति में ही विश्‍वप्रसिद्ध कुंभ मेले का संगम पर आयोजन होता है। इस दिन स्नान, दान और यम एवं सूर्यपूजा का खासा महत्व होता है। इस दिन पहने हुए वस्त्र त्यागकर नए वस्त्र पहनना चाहिए। 
 
कथा : प्राचीन काल में देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया। समुद्रा से 14 रत्न उत्पन्न हुए और अंत में अमृत भरा घढ़ा निकला। अमृत बंटवारे को लेकर देवता और असुरों में संघर्ष हुआ। इस संघर्ष में चार जगहों पर अमृत की बूंदे गिरी थी। प्रयाग (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। जब सूर्य कुंभ राशि में गोचर करता है तब हरिद्वार में कुंभ मेले का आयोजन होता है। यहां पर स्नान, दान और पूजा का खास महत्व होता है।
 
 
सरल उपाय :
 
1. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सूर्य देव की उपासना, उन्‍हें अर्घ्‍य देना और आदित्‍य ह्रदय स्रोत का पाठ करने से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता की प्राप्‍ति होती है। इस दिन सूर्य को अर्घ्य देने से सूर्य दोष का निवारण होता है।
 
 
2. इस शुभ दिन सूर्य भगवान की विधि-विधान से पूजा करने पर उस घर-परिवार में किसी भी सदस्‍य के ऊपर कोई मुसीबत या रोग नहीं आता है। साथ ही भगवान आदित्‍य के आशीर्वाद से जीवन के अनेक दोष भी दूर हो जाते हैं। इससे प्रतिष्‍ठा और मान-सम्‍मान में भी वृद्धि होती है।
 
 
3. इस दिन खाद्य वस्‍तुओं, वस्‍त्रों और गरीबों को दान देने से दोगुना पुण्‍य मिलता है। इस दिन दान करने से अंत काल में उत्तम धाम की प्राप्‍ति होती है। इस उपाय से जीवन के अनेक दोष भी समाप्‍त हो जाते हैं। अनाज, कपड़े, पका हुआ भोजन, कंबल व अन्य जरूर चीजों का दान करने से पुण्‍य की प्राप्ति होती है।
 
4. मान्‍यता है कि इस दिन गंगा नदी में स्‍नान करने से मोक्ष की प्राप्‍ति होती है। इस दिन सुख-समृद्धि पाने के लिए मां गंगा का ध्‍यान करें। अगर आप कुंभ संक्रांति के अवसर पर गंगा नदी में स्‍नान नहीं कर सकते हैं तो आप यमुना, गोदावरी या अन्‍य किसी भी पवित्र नदी में स्‍नान कर पुण्‍य की प्राप्‍ति कर सकते हैं।
 
 
5. अगर इस शुभ दिन पर सूर्यदेव के बीज मंत्र का जाप किया जाए तो मनुष्‍य को अपने दुखों से छुटकारा शीघ्र मिल जाता है।
 
6. इस दिन पितरों की आत्मशांति के लिए तर्पण, पिंडदान आदि भी करना चाहिए। इससे पितरों की आशीर्वाद हमें प्राप्त होता है।
 
7. इस पर्व पर सूर्योदय से पहले उठकर घर में पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे मिलाकर नहा लेना चाहिए। इससे तीर्थ स्नान का पुण्य मिलता है।
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