- उमेश दीक्षित
विवाह के लिए ज्योतिष का नियम है कि सातवें घर की दशा तथा नवम् घर की अंतरदशा में विवाह होता है। गुरु केंद्र में गोचर में हो या नवम् घर की दशा तथा सातवें घर के स्वामी की अंतरदशा में विवाह होता है।
इसलिए यदि इनमें से कोई ग्रह अस्त, शत्रु राशि, नीच राशि में या वक्री हो तो इनके मंत्रों का जाप करें या कराएं। दान आदि करें। यदि मांगलिक हों तो मंगल शांति करवाएं। उसके बाद मनोनुकूल उपाय करें।
विवाह के लिए सर्वमान्य दुर्गा सप्तशती के अर्गला स्तोत्र का 24वां मंत्र नित्य करें।
(1) 'पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम।।
(2) विश्वावसु गंधर्व मंत्र
ॐ विश्वावसु गंधर्व कन्यानामधिपति।
सुवर्णां सालंकारा कन्यां देहि मे देव।।
यह मंत्र जप करें तथा कवच-स्तोत्र प्राप्त कर पाठ करें।
(3) सप्तमेश का रत्न विद्वान की सलाह से धारण करें तथा हीरा धारण करें।
(4) सूर्य को अर्घ्य दें तथा सूर्य के मंत्र का जप करें।
(5) पीपल में संध्या के समय मीठा जल तथा घी का दीपक लगाएं तथा अपनी इच्छा की प्रार्थना करें।
(6) यदि कालसर्प दोष हो तो उसकी शांति करवाएं।
(7) कभी-कभी सूर्य या चन्द्र के साथ राहु होता है। ये ग्रहण दोष कहलाता है। इसकी शांति करवाएं।
(8) शिवजी को रोज दुग्ध चढ़ाएं।
(9) घर में वास्तुदोष हो तो दूर करें।
(10) दक्षिण या पूर्व की ओर सिर रखकर सोएं।