वर्षासूचक व मांगलिक होती है मेंढक की ध्वनि, पढ़ें रोचक जानकारी
धार्मिक शास्त्रों में ऐसे कई जानवरों का उल्लेख मिलता है जिनका घर के आस-पास होना शुभ माना गया है। हम सबके लिए ये ना केवल गुडलक बनते हैं बल्कि अच्छी बारिश की खबर भी लाते हैं। आइए जानें मेंढक के बारे में रोचक जानकारी...
ऋग्वेद में मेंढक (मंडूक) को मांगलिक तथा शुभ माना गया है। धेनु की भांति शब्द करने वाले मेंढकों, बकरे की भांति शब्द करने वाले मेंढकों, भूरे रंग वाले (धूम्र वर्ण) मेंढकों और हरे रंग के मेंढकों से धन देने की प्रार्थना की गई है।
* सूखे चमड़े की भांति सरोवर में सुप्त मेंढक वृष्टि होने पर बछड़े वाली धेनु की भांति शब्द करता है।
* मेंढक की ध्वनि को वर्षासूचक होने से धेनु यानी गाय के रम्भाने के समान मांगलिक माना गया है।
* इसके अतिरिक्त अतिरात्र नामक सोम यज्ञ में ऋषियों की भांति सरोवर में मेंढक की मांगलिक ध्वनि स्वीकार की गई है, जो समृद्धि के प्रतीक के रूप में मानी गई है।
* एक वर्ष का व्रत करने वाले साधकों की भांति सुप्त मेंढक बरखा के लिए प्रसन्नतादायक आवाज करते हैं।
* वर्षा ऋतु में मेंढक गणों को असंख्य गौए देने वाला, सहस्र वनस्पतियों तथा आयुध को बढ़ाने वाला माना गया है अर्थात् मेंढक की ध्वनि वर्षासूचक मांगलिक ध्वनि के रूप में हमेशा से मान्य रही है।
* इतना ही नहीं, इन्द्र देवता को मनाने के लिए लोग मिट्टी और गोबर से बने मेंढक की पूजा-अर्चना कर अच्छी बारिश की कामना भी करते हैं। अच्छी वर्षा के लिए मेंढक का यह टोटका खूब आजमाया जाता है।
* इसके अलावा सूखे से निजात पाने और अच्छी बारिश की कामना से कई स्थानों पर मेंढक और मेंढकी की पूरे विधि विधान से मंत्रोचार के साथ शादी भी करवाई जाती है।