बस तीन दिन हुए हैं बड़ीबी की मौत को सठया गए हैं दोस्तो कल्लू बड़े मियाँ चर्चा ये हो रहा है के सब भूल-भाल कर इक छोकरी पे हो गए लट्टू बड़े मियाँ --------- सिर्फ़ अपने मफ़ाद की ख़ातिर खेलें दिन-रात ये निराले खेल ये हक़ीक़त है अपने भारत को रेहनुमा ख़ुद लगा रहे हैं तेल -------------
जाँच खोटे खरे की होती है अपनी क़ीमत इसी से पाते हैं वो कसोटी है ये ज़ुबाँ वाहिद जिससे इंसान परखे जाते हैं -----------
इंसान पैदा होने का उठता नहीं सवाल उजड़ी पड़ी है दोस्तो इंसानियत की कोख हर इक क़दम पे पाओगे तुम मक्र और फ़रेब ज़रख़ैज़ इस क़दर हुई शैतानियत की कोख --------- मम्मी डैडी से क्या ग़रज़ हमको भाई-बहनों से कुछ न पाया है हाँ! पढ़ेंगे वही सबक़ वाहिद हमको बेगम ने जो पढ़ाया है ---------
भीगी बिल्ली बन गया हूँ सामने बेगम तेरे डर है तेरा जिस क़दर, मुझको ख़ुदा का डर नहीं हरकतों से तेरी ये मेहसूस होता है मुझे तू मेरा शोहर है बेगम, मैं तेरा शोहर नहीं