मिलेंगे अब हमें हर सू डरावने मंज़र,हमारे साथ वो आए, जो बदहवास न होन जाने कब से लहू पी रहा है वो अपना,ख़ुदा करे कि किसी को भी ऐसी प्यास न हो।- अमीर कज़लबाश