हिंदी साहित्य यूं तो बहुत विस्तार लिए हुए है, लेकिन कुछ ऐसी कृतियां हैं जो कालजयी बन गई हैं। सालों बाद भी पाठकों पर ये कृतियां छाई हुईं हैं। बात कर रहे हैं हिंदी साहित्य की ऐसी ही क्लासिक्स किताबों की जिन्हें अपने जीवन में एक बार पढ़ा ही जाना चाहिए। आइए जानते हैं उन 10 किताबों के बारे में।
01 . गोदान (मुंशी प्रेमचंद)
हिंदी साहित्य प्रेमचंद के नाम के बगैर अधूरा है। वैसे तो प्रेमचंद की कई कालजयी कृतियां हैं, गोदान उपन्यास उनकी सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से है। यह हिंदी में 1936 में प्रकाशित हुआ और अंग्रेजी में इसका अनुवाद 1987 में हुआ। ब्रिटिश शासन के अधीन वाले भारत के समाज, परिवार और परिवेश के लिए यह उपन्यास पढ़ा जाना चाहिए।
02-मैला आंचल (फणीश्वर नाथ रेणु)
हिन्दी साहित्य में फणीश्वर नाथ रेणु और उनके उपन्यास मैला आंचल का नाम कालजयी हैं। यह उनकी सबसे लोकप्रिय किताब है। इसमें एक ऐसे डॉक्टर की कहानी है, जो पढ़ाई पूरी कर गांव में प्रैक्टिस करने लगता है। मैला आंचल उपन्यास पर दूरदर्शन पर एक टीवी सीरियल भी प्रसारित हो चुका है। मैला आचंल और इसकी भाषा आपको असली हिंदुस्तान में लेकर जाएंगे।
03 . तमस (भीष्म साहनी)
सांप्रदायिक दंगों की पृष्ठभूमि पर लिखी किताबों में भीष्म साहनी की तमस सबसे अच्छा दस्तावेज है। इसमें देश के विभाजन से पहले के परिदृश्य का भी उल्लेख मिलेगा।
04 . आषाढ़ का एक दिन (मोहन राकेश)
आषाढ़ का एक दिन एक नाटक है, जिसमें कालिदास और मल्लिका के प्रेम को दर्ज किया गया है। नाटक में प्रेम कहानियों में दिलचस्पी रखने वाले पाठकों को यह किताब जरूर पढ़ना चाहिए।
05 . राग दरबारी (श्रीलाल शुक्ल)
समाज और राजनीति पर अब तक का सबसे अच्छा सटायर है श्रीलाल शुक्ल का उपन्यास राग दरबारी। इस किताब में व्यवस्था, सरकार और व्यक्ति विशेष के स्वभाव आदि पर व्यंग्य है। श्री लाल शुक्ल को साहित्य अकादमी से सम्मानित किया गया है।
06 .गुनाहों का देवता (धर्मवीर भारती)
हिंदी किताबें पढ़ने वाले ज्यादातर पाठक अपनी पठन यात्रा धर्मवीर भारती के इसी उपन्यास से शुरू करते हैं। जिसने भी यह उपन्यास पढ़ा है वो इसके नायक और नायिका चंदर और सुधा को कभी नहीं भूल सकता। एक नाकाम मुहब्बत की ऐसी कहानी आपने कभी नहीं पढ़ी होगी।
07. कितने पाकिस्तान (कमलेश्वर)
इतिहास में हुई त्रासदी और विभाजन पर कोई किताब पढ़नी हो तो कमलेश्वर की 'कितने पाकिस्तान' पढ़ी जाना चाहिए। इस उपन्यास को साल 2003 में साहित्य एकेडमी अवॉर्ड भी मिला था।
08 . मृत्युंजय (शिवाजी सावंत)
महादानी कर्ण को जानने और समझने के लिए शिवाजी सावंत के उपन्यास मृत्युंजय से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। यह एक ऐसी किताब है जिसे पढने के बाद हम कई दिनों तक कर्ण की दुनिया और उनके जीवन में प्रवेश कर जाते हैं। भाषा, भाव और धर्म संकट का ऐसा विवरण कि इसे हम आज भी एक ग्रंथ ही मानते हैं।
09. वयं रक्षाम: के बारे में (आचार्य चतुरसेन)
'वयं रक्षामः' का मुख्य पात्र रावण है, राम नहीं। इसमें रावण के चरित्र के तमाम पक्षों कर ऐसा विवरण किया गया है कि हम एक तरह से उसी युग और काल में प्रवेश कर जाते हैं। यहां तक कि पुस्तक में रावण को राम से श्रेष्ठ बताया गया है। पुस्तक के अनुसार, रावण ने दक्षिण को उत्तर से जोड़ने के लिए एक नई संस्कृति का प्रचार किया। उस संस्कृति को रक्ष-संस्कृति का नाम दिया।
10 . वैशाली की नगरवधु (आचार्य चतुरसेन)
आचार्य चतुरसेन शास्त्री की रचना वैशाली की नगरवधू वह उपन्यास है जिसकी गिनती हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में की जाती है। इसके बारे में खुद आचार्य जी ने कहा था मैं अब तक की सारी रचनाओं को रद्द करता हूं और वैशाली की नगरवधू को अपनी एकमात्र रचना घोषित करता हूं। अंदाजा लगाइए कि जिय रचना के बारे में खुद लेखक यह बात कर रहा है वो कैसी होगी। यह उपन्यास भारतीय जीवन का जीता-जागता खाका है।
Written & Edited: By Navin Rangiyal