वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या और पूर्णिमा को रखा जाता है, इस बार 3 जून 2023, शनिवार को यह व्रत रखा जा रहा है। वट सावित्री व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य और संतान की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों के अनुसार वट सावित्री व्रत में पूजन सामग्री विशेष महत्व रखता है। इन सामग्रियों के बिना व्रत अधूरा रह जाता है। अत: पूजन करते समय कौन-कौन सी चीजों का होना आवश्यक है, हम यहां आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं आवश्यक सामग्री की सूची और कथा-
वट सावित्री व्रत की पूजन सामग्री लिस्ट- Vat Savitri Vrat Puja Samgri 2023
1. सावित्री-सत्यवान की मूर्ति या तस्वीर,
2. बांस का पंखा,
3. दो बांस की टोकरी,
4. सुपारी,
5. पान,
6. नारियल,
7. लाल कपड़ा,
8. सिंदूर,
9. दूर्बा घास,
10. अक्षत,
11. जल से भरा कलश,
12. नकद रुपए,
13. लाल कलावा,
14. बरगद का फल,
15. धूप,
16. मिट्टी का दीपक,
17. घी,
18. फल (आम, लीची और अन्य फल),
19. फूल,
20. बताशे,
21. रोली (कुमकुम),
22. कपड़ा 1.25 मीटर,
23. इत्र,
24. पूड़ियां,
25. भिगोया हुआ चना,
26. स्टील या कांसे की थाली,
27. मिठाई,
28. घर में बना पकवान,
29. सुहाग का सामान,
30. कच्चा सूत आदि।
कथा-
सत्यवान-सावित्री की पौराणिक कथा (Vat Savitri Vrat Katha) के अनुसार सावित्री के पति अल्पायु थे, उसी समय देव ऋषि नारद आए और सावित्री से कहने लगे की तुम्हारा पति अल्पायु है। आप कोई दूसरा वर मांग लें। पर सावित्री ने कहा- मैं एक हिन्दू नारी हूं, पति को एक ही बार चुनती हूं। इसी समय सत्यवान के सिर में अत्यधिक पीड़ा होने लगी।
सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे अपने गोद में पति के सिर को रख उसे लेटा दिया। उसी समय सावित्री ने देखा अनेक यमदूतों के साथ यमराज आ पहुंचे है। सत्यवान के जीव को दक्षिण दिशा की ओर लेकर जा रहे हैं। यह देख सावित्री भी यमराज के पीछे-पीछे चल देती हैं।
उन्हें आता देख यमराज ने कहा कि- हे पतिव्रता नारी! पृथ्वी तक ही पत्नी अपने पति का साथ देती है। अब तुम वापस लौट जाओ। उनकी इस बात पर सावित्री ने कहा- जहां मेरे पति रहेंगे मुझे उनके साथ रहना है। यही मेरा पत्नी धर्म है। सावित्री के मुख से यह उत्तर सुन कर यमराज बड़े प्रसन्न हुए। उन्होंने सावित्री को वर मांगने को कहा और बोले- मैं तुम्हें तीन वर देता हूं। बोलो तुम कौन-कौन से तीन वर लोगी।
तब सावित्री ने सास-ससुर के लिए नेत्र ज्योति मांगी, ससुर का खोया हुआ राज्य वापस मांगा एवं अपने पति सत्यवान के सौ पुत्रों की मां बनने का वर मांगा। सावित्री के यह तीनों वरदान सुनने के बाद यमराज ने उसे आशीर्वाद दिया और कहा- तथास्तु! ऐसा ही होगा।
सावित्री पुन: उसी वट वृक्ष के पास लौट आई। जहां सत्यवान मृत पड़ा था। सत्यवान के मृत शरीर में फिर से संचार हुआ। इस प्रकार सावित्री ने अपने पतिव्रता व्रत के प्रभाव से न केवल अपने पति को पुन: जीवित करवाया बल्कि सास-ससुर को नेत्र ज्योति प्रदान करते हुए उनके ससुर को खोया राज्य फिर दिलवाया। तभी से वट सावित्री अमावस्या और वट सावित्री पूर्णिमा के दिन वट वृक्ष का पूजन-अर्चन करने का विधान है।
भारतीय धर्म में इस व्रत का बहुत महत्व है तथा यह व्रत करने से सौभाग्यवतियों का सौभाग्य अखंड रहता है और हर मनोकामना पूर्ण होती है।
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