तेरे ख़्याल, तेरी अंजुमन की बातें हैं
अजीब हाल है, दीवानापन की बातें हैं
करें वो प्यार तो वो उनका इश्क कहलाए
करूँ मैं प्यार तो, आवारापन की बातें हैं
फ़लक के चाँद की दिलकश किरन की बात नहीं
ग़जल में गाँव की चंचल किरन की बातें हैं
यहाँ गुलाब
दोनों विजातीय हैं, एक-दूसरे से प्रेम करते हैं और इस प्रेम की परिणिति विवाह के रूप में चाहते हैं। दोनों ने अपने परिजनों को इस बारे में जानकारी दी तो एक-दूजे के परिवार में आने-जाने तथा देखने-दिखाने के बाद दोनों की शादी तय हो गई।
कोई ऐसा नहीं है जो उसकी समस्या, उसके दुःख और उसकी परेशानी में उसके साथ खड़ा हो। दोस्त इन्हीं क्षणों के लिए होते हैं। इसलिए अगर आपका कोई दोस्त किसी समस्या से गुजर रहा है, उस पर कोई संकट आन पड़ा है तो बस उससे जाकर कह दीजिए 'मैं भी तुम्हारे साथ हूँ।' फिर
प्यार पहले भी होता था, प्यार आज भी होता है। मगर प्यार करने और प्यार का इज़हार करने के ढंग बदल चुके हैं। आज से कुछेक साल पहले का दृश्य याद करो, जब कोई लड़का लड़की को देखता, अगर वो शर्मा कर मुस्कराते हुए गुजर जाती तो समझ लिया जाता था
प्यार का दिन, प्यार के इजहार का दिन। अपने जज्बातों को शब्दों में बयाँ करने के लिए शायद इस दिन का हर धड़कते हुए दिल को बेसब्री से इंतजार होता है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं, प्यार के परवानों के दिन की, वेलेंटाइन-डे की...।
प्यार एक रूहानी रिश्ता है, मगर आज के ज्यादातर लड़के-लड़कियों ने जिस्मानी रिश्ते को प्यार की संज्ञा देकर राख से पवित्र रिश्ते को अपवित्र कर दिया। प्यार में अहसास का होना लाजमी है, जब तक अहसास है
मिताली अपनी मम्मी और छोटे भाई के साथ घूमने गई थी। ट्रेन में सफर के दौरान उसे एक अच्छा दोस्त राहुल मिल गया। सफर के दौरान उनकी आपस में काफी अच्छी बातचीत और अच्छी-खासी पहचान हो गई।
दो प्यार करने वाले दिल भी उनके पसंद और नापसंद से एक-दूसरे को जानने और समझने की कोशिश करते हैं। वहीं जिन्हें प्यार की पाठशाला में प्रवेश लेने की चाहत होती है, वो भी चाहते हैं कि ‘वो’ उनकी भावनाओं को समझेगा या फिर प्यार की गाड़ी दूर तक ले जाएगा।
हम क्यों मनाते हैं वेलेंटाइन? हमारा इससे क्या वास्ता? हमें इससे क्या लेना-देना? न तो यह हमारी संस्कृति में है और न ही हमारे देश में कभी इस दिवस का प्रचलन था। फिर क्यों कर हम इसे मनाएँ। फिर भी हम इसे मनाते हैं। हम भारतवासी हैं। हमने दुनिया को प्यार
मेरे प्यारे भाइयों फरवरी के दिन जैसे-जैसे बीतते जा रहे हैं, आप लोगों के दिल की धड़कनें बढ़ती जा रही होंगी। आखिर आप जैसे अनेक लोगों का फेस्टिवल जो आ रहा है। जैसे इंडिपेंडेस डे और रिपब्लिक डे हैं, वैसे ही 14 फरवरी और दिलवाले हैं।
शहर के रेस्टॉरेन्ट और जगह-जगह हाथों में फूल और गिफ्ट लिए हुए नवयुवकों की भीड़।
हर चौराहे पर उत्साहपूर्वक किसी का इंतजार करते लड़के-लड़कियाँ। यह नजारा होता है वेलेंटाइन डे यानी कि प्रेम दिवस का।
वेलेंटाइन-डे हमारे देश को विदेशों से मिली कई प्रथाओं में से एक है, जिसे हमारी युवा पीढ़ी ने अपनी सुविधा के अनुसार ढाल कर अपनाया है। दरअसल दुर्भाग्य की बात यह है कि हमने वेलेंटाइन-डे के पीछे छुपे उद्देश्य को समझे बिना ही इसका अनुसरण किया है।
वेलेंटाइन को ज्यादा दिन नहीं हैं और प्रेमियों के लिए तो हर दिन वेलेंटाइन है। फिर भी इस दिन की अपनी अहमियत है और बात फूलों की हो तो फिर तो क्या कहने। फूल भेंट देने का सबसे खास दिन इसे ही मानते हैं।