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Written By Author गिरीश पांडेय

10 साल में यूपी धर्मार्थ विभाग का बजट 17 हजार रुपए से बढ़कर 1000 करोड़ हुआ

10 साल में यूपी धर्मार्थ विभाग का बजट 17 हजार रुपए से बढ़कर 1000 करोड़ हुआ - In 10 years, the budget of the charitable department of UP increased from 17 thousand rupees to 1000 crores
एक संत की मूल पहचान उसके धर्म-कर्म से होती है। ऐसे में अगर प्रदेश या देश का मुखिया संत या संन्यासी हो तो धार्मिक स्थानों का कायाकल्प होना स्वाभाविक है। ऐसा होने पर संबंधित विभाग (धर्मार्थ) का भी उसी अनुरूप बजट बढ़ता है।
 
योगी आदित्यनाथ आबादी के लिहाज से सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश का मूख्यमंत्री होने के साथ देश की प्रमुख धार्मिक पीठों में शुमार गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर हैं। इस रूप में वह संत समाज का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। एक संत के रूप में उनका काम भी दिखता है। संयोग से वह जिस उत्तर प्रदेश के मुखिया हैं, वही भगवान श्रीराम एवं श्रीकृष्ण की धरती भी है। तीनों लोकों ने न्यारी आदि देव महादेव और तीनों लोकों से न्यारी काशी भी भी उसी प्रदेश में है। भगवान श्रीराम ने वनवास के दौरान जिस चित्रकूट में सर्वाधिक समय गुजरा था वह भी उत्तर प्रदेश में ही है। बौद्ध सर्किट के सभी प्रमुख स्थल कुशीनगर, सारनाथ एवं कपिलवस्तु और मां दुर्गा की प्रमुख शक्ति पीठ विंध्यधाम भी उत्तर प्रदेश में ही हैं।
 
अयोध्या, काशी, ब्रज, चित्रकूट, विंध्यधाम का कायाकल्प : योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद इन सभी स्थलों के कायाकल्प का काम जारी है। राधा और कृष्ण के लीलास्थली का वैभव लौटने के लिए सबसे पहले उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद का गठन किया। बाद में इसी उद्देश्य से विंध्यधाम तीर्थ विकास परिषद और चित्रकूट धाम तीर्थ विकास परिषद का गठन किया गया। इन परिषदों के जरिए करोड़ों रुपए से इन धर्म स्थलों के विकास का कार्य जारी है। स्वाभाविक है कि इसके नाते धर्मार्थ कार्य विभाग की भी जय हो रही है।
 
बजट 10 साल में 17 हजार रुपए से 1000 करोड़ हुआ : यू तो धर्मार्थ विभाग का गठन 1985 में ही हो गया था। 2012 में इस विभाग का बजट मात्र 17 हजार रुपए था। धार्मिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण विभाग के लिए यह बजट 'ऊंट के मुंह में जीरा' के समान था। इतने कम बजट में किसी खास काम की गुंजाइश थी ही नहीं। मार्च 2017 जब एक संन्यासी (योगी आदित्यनाथ) को प्रदेश की कमान मिली तब से इस विभाग में हर लिहाज से आमूल-चूल परिवर्तन हो गया। न केवल बजट बल्कि काम के लिहाज से भी।
 
5 साल में इस विभाग का बजट 32.52 करोड़ से बढ़कर 2022-2023 में बढ़कर 1000 करोड़ रुपए (प्रस्तवित) हो गया। लगभग 308 फीसद की यह वृद्धि किसी विभाग के लिहाज से अभूतपूर्व है। 2012 से तुलना करेंगे धर्मार्थ कार्य विभाग के बजट में 17 हजार रुपए से एक हजार करोड़ रुपए की वृद्धि किसी चमत्कार से कम नहीं है।
 
उल्लेखनीय है कि भगवान श्री राम, श्री कृष्ण, शिव और गंगा-यमुना एवं सरस्वती के पावन संगम की पवित्र धरती तीरथराज प्रयाग की वजह से प्रदेश में इस तरह के विकास की गुंजाइश हरदम से रही। पर धर्म निरपेक्षता का लबादा ओढ़ने वाले राजनीतिक दलों ने जानबूझकर इन संभावनाओं की ओर ध्यान ही नहीं दिया। पहली बार इसकी अहमियत और संभावनाओं को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समझा। आज विभाग के नाम पर कई उपलब्धियां हैं।
 
बजट बढ़ने के साथ विभाग का काम और उसके नतीजे भी दिखने लगे। इस दौरान विभाग का सबसे प्रमुख काम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र स्थित श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण रहा। पहले चरण में इस परियोजना पर कुल 794.32 करोड़ रुपये खर्च हुए। इसमें से 345.27 करोड़ रुपए कॉरिडोर के मार्ग में आने वाले भवनों की खरीद पर खर्च हुए। बाकी 449.05 करोड़ रुपए निर्माण कार्य पर खर्च हुए। पहले चरण का लोकार्पण 31 दिसंबर 2021 को प्रधानमंत्री कर चुके हैं। दूसरे चरण की लागत जीएसटी को छोड़कर 64.24 करोड़ रुपए है। 
 
श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी : कॉरिडोर के निर्माण से काशी विश्वनाथ के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या चार से पांच गुना तक बढ़ गई। एक जनवरी 2022 और महाशिवरात्रि के दिन काशी विश्वनाथ के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या क्रमशः 7 लाख एवं 5 लाख रही। इसका लाभ वाराणसी के होटल, रेस्त्रां, हैंडीक्राफ्ट के उत्पादकों, इसे बेंचने वाले नाविकों समेत छोटे-बड़े सभी दुकानदारों को मिला।
118 करोड़ रुपए की लागत से बना कैलाश मानसरोवर भवन गाजियाबाद इंदिरानगर, 19 करोड़ रुपए की लागत से अयोध्या में भजन संध्या स्थल एवं चित्रकूट में 10 करोड़ रुपए की लागत से भजन संध्या एवं परिक्रमा स्थल का विकास, काशी हिंदू विश्वविद्यालय परिसर में वैदिक विज्ञान केन्द्र का निर्माण इसकी अन्य उपलब्धियां रहीं। इस केंद्र में वैदिक गणित, वैदिक विज्ञान, वैदिक न्यायशास्त्र आदि के पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं। 18 सितंबर 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहले चरण का लोकार्पण भी कर चुके हैं। दूसरे चरण के निर्माण के लिए प्रदेश सरकार ने 934.46 लाख रुपए मंजूर किए गए हैं। 
 
विभाग के प्रस्तावित कार्य : प्रयागराज, मथुरा, वाराणसी एवं गोरखपुर में भजन संध्या स्थल का निर्माण। अयोध्या में 35.07 करोड़ रुपए की लागत से सहादतगंज नयाघाट से सुग्रीव किला पथ होते हुए रामजन्म भूमि तक 7 किमी की लंबाई में चार लेन की जन्मभूमि पथ का निर्माण। अयोध्या मुख्य मार्ग से हनुमान गढ़ी होते हुए श्रीराम जन्मभूमि तक 850 किमी की लंबाई में 6364 करोड़ रुपये की लागत से भक्तिपथ का निर्माण। करीब 1080 करोड़ रुपए की लागत से सहादतगंज नया घाट मार्ग का चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण।
 
अगले 5 साल की कार्ययोजना : इसके अलावा विभाग ने अगले पाँच साल की जो कार्ययोजना तैयार की है। उसमें कौशलेश कुंज योजना, जलकल अमिनागंज के सामने बहुमंजिली पार्किंग, श्री राम गुलेला मंदिर (गाटा संख्या-242), अयोध्या के मोहल्ला मच्छरहट्टा टेढ़ी बाजार चौराहे पर जन सुविधाओं का विकास तथा अयोध्या में टेढ़ी बाजार के जिला पंचायत के जर्जर अतिथि गृह परिसर की जगह निर्माण आदि प्रमुख हैं। 
Edited by : Vrijendra Singh Jhala