आशीष मिश्रा की जमानत याचिका नामंजूर, अदालत ने कहा- गवाहों को प्रभावित कर सकता है अभियुक्त
लखनऊ। एक महत्वपूर्ण आदेश में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने लखीमपुर खीरी में हुए तिकोनिया कांड मामले के मुख्य अभियुक्त व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा 'टेनी' के बेटे आशीष मिश्रा 'मोनू' की जमानत याचिका मंगलवार को नामंजूर करते अदालत ने पूरे प्रकरण को लेकर मीडिया की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि मीडिया आजकल अधकचरी सूचना के आधार पर 'कंगारू कोर्ट' चला रहा है।
न्यायमूर्ति कृष्णा पहल की पीठ ने आशीष की जमानत याचिका नामंजूर करते हुए कहा कि अभियुक्त राजनीतिक रूप से इतना प्रभावशाली है कि वह जमानत पर रिहा होने की स्थिति में गवाहों को प्रभावित करके मुकदमे पर असर डाल सकता है।
तिकोनिया कांड मामले में उच्च न्यायालय ने 10 फरवरी को आशीष को जमानत दे दी थी लेकिन बाद में उच्चतम न्यायालय ने जमानत आदेश को निरस्त करते हुए उच्च न्यायालय को निर्देश दिए थे कि वह पीड़ित पक्ष को पर्याप्त मौका देकर जमानत याचिका पर फैसला सुनाए। जिसके बाद न्यायमूर्ति पहल ने लंबी सुनवाई की और 15 जुलाई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मामले में आशीष की संलिप्तता, गवाहों को प्रभावित किए जाने की आशंका, अपराध की गंभीरता और कानूनी व्यवस्थाओं पर गौर करते हुए उसे जमानत नहीं दी जा सकती। अदालत ने कहा कि गवाहों के बयान अनुसार घटनास्थल पर आशीष का 'थार गाड़ी' से बाहर निकलकर आना उसके खिलाफ जाता है। अदालत ने घटना पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि यदि दोनों पक्षों ने थोड़ा संयम दिखाया होता तो 8 बेशकीमती जानें न गई होतीं।
घटनास्थल पर किसानों के उग्र व्यवहार पर टिप्पणी करते हुए अदालत ने कहा कि जिला प्रशासन ने क्षेत्र में सीआरपीसी की धारा 144 लागू कर रखी थी, जो अभियुक्त मोनू, उसके साथियों के साथ-साथ पीड़ित पक्ष किसानों पर भी लागू होती थी किंतु दोनों ही पक्षों ने उसका पालन नहीं किया।
सुनवाई के दौरान आशीष मोनू व पीड़ित पक्ष ने अपनी-अपनी ओर से घटना से जुड़ीं तमाम तस्वीरें व वीडियो पेश किए थे। इन पर अदालत ने कहा कि जनहित से जुड़े मामलों को रेखांकित करना मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है, किंतु कई बार देखने में आता है कि व्यक्तिगत विचार खबर पर हावी हो जाते हैं जिससे सत्य पर विपरीत असर पड़ता है।
अदालत ने कहा कि अब तो इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया तथा खासकर टूल किट के कारण समस्या और भी बढ़ गई है। अदालत ने कहा कि देखने में आता है कि आजकल मीडिया कंगारू अदालतें चला रही है और वे न्यायिक पवित्रता की हदें लांघ रही हैं, जैसा कि उसने जेसिका लाल, इन्द्राणी मुखर्जी और आरूषि तलवार के मामले में किया था। अदालत ने इस मामले के सह अभियुक्तों लवकुश, अंकिस दास, सुमीत जायसवाल और शिशुपाल की जमानत अर्जियां पहले ही 9 मई 2022 को खारिज कर दी थीं।
पिछले साल 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया इलाके में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के गांव में एक कार्यक्रम में शिरकत करने जा रहे उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का किसानों ने विरोध किया था। इस दौरान हुई हिंसा में 4 किसानों समेत 8 लोगों की मृत्यु हो गई थी। इस मामले में आशीष मुख्य अभियुक्त है।(भाषा)