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ग़ज़ल- मोमिन खाँ मोमिन
रोया करेंगे आप भी बरसों इसी तरहअटका कहीं जो आपका दिल भी मेरी तरहमर चुक कहीं के तू ग़म ए हिजराँ से छूट जाएकहते तो हैं भले की वलेकिन बुरी तरहलगती हैं गालियाँ भी तेरे मुँह से क्या भलीक़ुरबान तेरे फिर मुझे कहले उसी तरहमाशूक और भी हैं बता दे जहान मेंकरता है कौन ज़ुल्म किसी पर तेरी तरहहूँ जाँबलब बुतान-ए-सितम्गर के हाथ सेक्या सब जहाँ में जीते हैं मोमिन इसी तरह