- लाइफ स्टाइल
» - उर्दू साहित्य
» - शेरो-अदब
ग़ज़ल - मीर तक़ी मीर
अपने तड़पने की मैं तदबीर पहले कर लूँतब फ़िक्र मैं करूँगा ज़ख़्मों को भी रफू कायह एैश के नहीं हैं याँ रंग और कुछ हैहर गुल है इस चमन में साग़र भरा लहू काबुलबुल ग़ज़ल सराई, आगे हमारे मत करसब हमसे सीखते हैं, अंदाज़ गुफ़्तगू का