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नात शरीफ़
रमज़ान पर विशेष
शायर : अमीन एजाज़, बुरहानपुरी 1.
यारब तसव्वुरात को इतनी रसाई दे हर शै में मुझको गुम्बदे-ख़ैज़रा दिखाई दे औरों को तख़्त-ओ-ताज दे सारी ख़ुदाई देमुझको तेरे हबीब के दर की गदाई दे यारब में लेके तख़्ते-सुलेमाँ को क्या करूँ देना है गर हुज़ूर की टूटी चटाई दे इश्क़े-नबी में दिल मेरा धड़के कुछ इस तरह धड़कन से मुझको लफ़्ज़े-मोहम्मद सुनाई देमख़सूस था जो हज़रते- हस्सान के लिएमुझको वही क़लम दे वही रोशनाई दे फिर गामज़न है राहे-जेहालत पे ये जहाँ ऎ रेहनुमा-ए-ख़िज़्र इसे रेहनुमाई दे ऎजाज़ सोज़े-हिज्र में कब तक जला करे लिल्लाह अब तो क़ैदे-अलम से रिहाई दे 2.
दिल में सरकार की उलफ़त को बसा रक्खा है इस नगीने से अँगूठी को सजा रक्खा है किस क़दर क़ुर्ब है अहमद में अहद में देखो मीम के परदे ने ये राज़ छुपा रक्खा है शम्मे-तोहीद मदीने में दरख़शाँ करकेहक़ ने कोनैन को परवाना बना रक्खा है ऎ अजल एसे में आजा तो इनायत होगीसर को सरकार की चोखट पे झुका रक्खा है नाज़ है उनकी शिफ़ाअत पे बरोज़े-मेहशरवरना एजाज़ के आमाल में क्या रक्खा है