संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने बाकू में कॉप29 सम्मेलन के दौरान, जलवायु कार्रवाई शिखर बैठक के लिए जुटे नेताओं से आग्रह किया है कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती लाने, आम लोगों की जलवायु संकट से रक्षा करने और वित्तीय संसाधनों को मुहैया कराने के लिए उन्हें तत्काल क़दम उठाने होंगे।
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने कहा कि आपको घड़ी की सुई सुनाई दे रही है. वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के ज़्यादा समय नहीं बचा है। और समय हमारे साथ नहीं है।
अज़रबैजान की राजधानी बाकू में 11-22 नवम्बर तक, यूएन का वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप29) आयोजित हो रहा है, जहां मंगलवार को जलवायु कार्रवाई के मुद्दे पर विश्व नेताओं की शिखर बैठक आरम्भ हुई।
महासचिव गुटेरेश ने चिन्ता जताई कि यह लगभग निश्चित है कि 2024, अब तक का सर्वाधिक गर्म साल साबित होगा। उनके अनुसार, कोई भी देश जलवायु विध्वंस से अछूता नहीं है। चक्रवाती तूफ़ान से लेकर उबलते सागरों, सूखे में तबाह हुई फ़सलों तक, मानव-जनित जलवायु परिवर्तन के कारण ये संकट गहराता जा रहा है।
अन्याय को टालना होगा : वैश्विक अर्थव्यवस्था में सप्लाई चेन में व्यवधान आने से क़ीमतों में उछाल आता है। बर्बाद फ़सलों के कारण खाद्य क़ीमतें नई ऊंचाइयों को छू सकती हैं, घरों के ध्वस्त होने से बीमा की क़िस्तें महंगी हो सकती हैं। यूएन प्रमुख ने कहा कि यह एक ऐसे अन्याय की कहानी है, जिसे टाला जा सकता है। “सम्पन्न की वजह से समस्या होती है, निर्धन उसकी सबसे अधिक क़ीमत चुकाते हैं”
उन्होंने ऑक्सफ़ैम नामक संगठन के एक अध्ययन का उल्लेख करते हुए कहा कि अरबपति वर्ग, डेढ़ घंटे में कार्बन उत्सर्जन की जितनी मात्रा के लिए ज़िम्मेदार हैं, एक आम व्यक्ति अपने पूरे जीवनकाल में करता है। “यदि उत्सर्जन में गिरावट और अनुकूलन में वृद्धि नहीं हुई, तो हर अर्थव्यवस्था को बड़े स्तर पर इसका दंश झेलना होगा”
आशा की किरण : महासचिव ने कहा कि आशान्वित बने रहने की भी वजह है। इस क्रम में उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात में कॉप28 सम्मेलन के दौरान लिए गए ठोस क़दमों का उल्लेख किया, जब सभी देशों ने जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल से पीछे हटने, नैट शून्य ऊर्जा प्रणालियों में तेज़ी लाने और लक्ष्य स्थापित करने पर सहमति जताई थी। साथ ही जलवायु अनुकूलन को मज़बूती देनी होगी और राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई योजनाओं को 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि तक सीमित रखने के लक्ष्य के अनुरूप बनाना होगा।
वादों को पूरे करने का समय: यूएन प्रमुख ने बताया कि 2023 में पहली बार, नवीकरणीय ऊर्जा व ग्रिड में निवेश, जीवाश्म ईंधन में निवेश की गई मात्रा से आगे निकल गया। हर क्षेत्र में सौर व पवन ऊर्जा बिजली के लिए सबसे सस्ते स्रोत हैं। एंतोनियो गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा कि जीवाश्म ईंधन पर बल देना बेतुका है। “स्वच्छ ऊर्जा क्रांति यहां है। कोई समूह, कोई व्यवसाय, और कोई सरकार इसे रोक नहीं सकती है। लेकिन आपको सुनिश्चित करना होगा कि यह निष्पक्ष हो, और वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए पर्याप्त तेज़ी से हो”
तीन महत्वपूर्ण प्राथमिकताएं: यूएन प्रमुख ने कहा कि विकासशील देशों को बाकू से ख़ाली हाथ वापिस नहीं लौटना होगा, और इसके लिए यह ज़रूरी है कि तीन क्षेत्रों पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित किया जाए।
उत्सर्जन में कटौती के लिए आपात क़दम उठाए जाएं। हर वर्ष उत्सर्जन में 9 फ़ीसदी की कमी लानी होगी और 2030 तक 2019 के स्तर की तुलना में 43 प्रतिशत गिरावट लाई जानी होगी। वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार करने के लिए यह सबसे स्पष्ट रास्ता है।
जलवायु संकट की तबाही से लोगों की रक्षा करने के लिए और अधिक उपाय किए जाने होंगे। जलवायु परिवर्तन के अनुरूप ढलने, अनुकूलन आवश्यकताओं और मौजूदा वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता में एक बड़ी खाई है, जोकि 2030 तक बढ़कर 359 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है। इस क़िल्लत की कमी का असर आम लोगों की ज़िन्दगियों, फ़सलों और विकास पर हो रहा है और इसलिए जलवायु वित्त पोषण का स्तर बढ़ाना ज़रूरी है।
वित्त पोषण के लिए एक नए लक्ष्य पर सहमति बनानी होगी, जिसमें रियायती दरों पर सार्वजनिक वित्तीय संसाधनों को बढ़ाना होगा और बहुपक्षीय विकास बैन्कों की कर्ज़ देने की क्षमता में वृद्धि करनी होगी। यह स्पष्ट करना होगा कि सार्वजनिक वित्तीय संसाधनों को किस तरह विकासशील देशों की मदद के लिए इस्तेमाल में लाया जाएगा। इस प्रक्रिया में पारदर्शिता व जवाबदेही के लिए फ़्रेमवर्क तैयार करना अहम होगा।
यूएन प्रमुख ने कहा कि जलवायु वित्त पोषण के मुद्द पर दुनिया को आगे बढ़कर क़दम उठाने होंगे, अन्यथा इसकी क़ीमत मानवता को चुकानी पड़ेगी। उन्होंने विश्व नेताओं से आग्रह किया कि एक स्पष्ट सत्य के साथ उनकी सरकारों को इस मार्ग पर चलना होगा: “जलवायु वित्त पोषण परोपकारिता नहीं है. यह एक निवेश है। जलवायु कार्रवाई वैकल्पिक नहीं है। यह अनिवार्य है”