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Last Modified: शुक्रवार, 29 जनवरी 2016 (17:15 IST)

हैवानियत का सीक्रेट, नशे में चूर होकर करते हैं आत्मघाती हमला...

हैवानियत का सीक्रेट, नशे में चूर होकर करते हैं आत्मघाती हमला... - ISIS terrorist consume heavy drugs before suicide missions
इस्लामिक स्टेट आतंकी संगठन के हमलावारों के बारे में संयुक्त राष्ट्र ने बड़ा खुलासा किया है। संरा की एक रिपोर्ट में आईएस आतंकियों की हैवानियत का टॉप सीक्रेट सामने आया है। संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट के मुताबिक आत्मघाती हमलों को अंजाम देने से पहले आतंकी भारी मात्रा प्रतिबंधित नशीली दवाइयों का सेवन कर लेते हैं।
 

नशे में चूर होकर इन आतंकियों के जेहन में केवल हिंसा और कत्लोगारत का फितूर सवार होता है। ये नशेड़ी आतंकी तय लक्ष्य पर धमाका करने के लिए खुद को उड़ाने से नहीं हिचकिचाते तो इसकी वजह है नशे की भारी डोज, जो वो पहले ही ले चुके होते हैं।



UNODC यानी यूनाइटेड नेशन्स ऑफिस ऑन ड्रग एंड क्राइम की रिपोर्ट के मुताबिक सीरिया में खुली सीमाओं से भारी मात्रा में एम्फेटामाइन्स (नशे की दवाइयां) पहुंच रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक नशे की खेपों को पहुंचाने के लिए स्थानीय आपराधिक संगठन काम कर रहे हैं। जिनमें ज्यादातर लोग देश-विद्रोही संगठनों से हैं। 
 
ब्रिटिश वेबसाइट 'द सन' में छपी खबर के मुताबिक जिहादियों का पसंदीदा नशा 'केप्टागोन' नामक दवा है। केप्टागोन को साल 1960 में दिमागी बीमारियों के इलाज के लिए ईजाद किया गया था। साल 1980 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने केप्टागोन को प्रतिबंधित दवाओं की सूची में रखा था लेकिन मध्य एशिया के देशों में इसके इस्तेमाल पर पाबंदी नहीं लगाई जा सकी। सीरिया में इसकी तस्करी जोरडन, लेबनान और तुर्की से होती है।
 
UNODC के प्रमुख हेड मसूद करीमीपौर के मुताबिक आईएस के आतंकी केपटागोन का इस्तेमाल इसलिए करते हैं ताकि वो डरे नहीं और शक्तिशाली महसूस कर सकें। उल्लेखनीय है कि पेरिस में हुए आतंकी हमले में भी संदेह था कि आतंकियों ने भरपूर नशा कर रखा था। इसी के बाद से ही इस बात की संभावना तलाशी जा रही थी कि क्या आतंकी इस्लाम में नशे मनाही ने बाद भी नशीली वस्तुओं का सेवन करते हैं।