पिता के निधन के 4 दिन बाद ही प्रजनेश टेनिस कोर्ट पर लौटे
अभिजीत देशमुख
पुणे। बुधवार को जब भारत के शीर्ष एकल टेनिस खिलाड़ी प्रजनेश गुन्नेस्वरन ने पुणे के बालेवाड़ी टेनिस स्टेडियम में कदम रखा तो वे एक भावनात्मक क्षण था। कुछ ही दिन पहले प्रजनेश के पिता एस.जी. प्रभाकरन का चेन्नई में कैंसर से लड़ते हुए निधन हो गया था।
प्रजनेश इस साल टेनिस के सभी 4 प्रमुख ग्रैंड स्लैम के एकल में खेले हैं। पिता की मौत के बाद अगर वे चाहते तो KPIT MSLTA ATP challenger से अपना नाम वापस ले सकते थे, लेकिन उनके पिता की इच्छा थी कि वह टेनिस खेलना जारी रखें।
टूर्नामेंट में प्रजनेश ने अपना पहला मुकाबला चंद्रिल सूदके खिलाफ था। शीर्ष वरीयता प्राप्त प्रजनेश 190 किमी/घंटा के गति से सर्वे कर रहे थे और देखते ही देखते केवल 20 मिनट में 6-1 से पहला सेट अपने नाम कर लिया।
दूसरे सेट में सूद ने तीन गेम जीतकर कुछ प्रतिरोध दिखाया लेकिन यह प्रजनेश को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं था। 50 मिनट से भी कम समय में प्रजनेश ने सूद को 6-1, 6-3 से हराकर प्री-क्वार्टर फाइनल मे जगह बना ली।
मैच के बाद, प्रजनेश ने कहा, 'आज अच्छी जीत थी, लेकिन मैं कलाई की चोट से जूझ रहा हूं। मैं अपने फोरहैंड का अधिक उपयोग नहीं कर रहा हूं और इससे उभरने में कुछ और समय लगेगा।'
यह पूछे जाने पर कि अपने पिता के मृत्यु के बाद टेनिस कोर्ट में कदम रखना कितना भावनात्मक था? इस पर प्रजनेश ने कहा 'मैं इस टूर्नामेंट को अपने पिता के लिए खेल रहा हूं। मेरे पिताजी चाहते थे कि मैं टेनिस खेलता रहूं और उत्कृष्टता हासिल करूं। उनका सपना मुझे बड़े स्तर पर टेनिस खेलते हुए देखना था और मैं जी-तोड़ प्रयास कर रहा हूं।
प्रजनेश कहा कि 'जब मुझे अपने पिता की बीमारी के बारे में पता चला तो मैं उनके साथ रहना चाहता था, लेकिन उन्होंने मुझे टेनिस खेलते रहने को कहा। मुझे उनकी बीमारी के बारे में बहुत देर से पता चला, क्योंकि मेरे घर वाले नहीं चाहते थे कि मेरे खेल का इस पर असर हो।'
प्रजनेश आगे 'यह मेरे जीवन का दुर्भाग्यपूर्ण और कठिन दौर है। इस समय टेनिस पर ध्यान केंद्रित करना थोड़ा मुश्किल है। उनके निधन के वजह से कभी-कभी खेलते हुए लक्ष्य से विचलित होता हूं लेकिन मैं उन्हें निराश नहीं करूंगा और अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगा। इस प्रतियोगिता का खिताब जीतकर मैं यह जीत समर्पित करना चाहता हूं।'
प्रजनेश के लिए टेनिस ही सबसे बड़ा स्तर है। दर्द में या खुशी में, प्रजनेश अपने टेनिस को प्रभावित नहीं होने देते। अपने पिता के गुजर जाने के केवल 4 दिन बाद उन्होंने टेनिस कोर्ट पर कदम रखा, यह एक दिग्गज की पहचान है।