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Last Modified: गुरुवार, 25 जुलाई 2024 (18:18 IST)

Sawan somwar 2024: शिव को क्यों कहते हैं आदिदेव, जानिए महादेव के 4 रहस्य

Sawan somwar 2024: आदिश्‍वर, आदिदेव, आदिगुरु और महादेव, जानिए 4 सीक्रेट

Adidev
Adidev Shiva : भगवान शिव का एक नाम है आदिश। आदिश का अर्थ प्रारंभिक ईश। यानी प्रथम ईश्‍वर। इस आदिश से ही आदेश शब्द की उत्पत्ति मानी जाती है। जितने भी शैव और नाथ संप्रदाय के लोग हैं जब वे मिलते हैं तो एक दूसरे से कहते हैं 'आदेश' नमो नारायण। भगवान शिव को आदिदेव और देवों के देव महादेव कहते हैं।ALSO READ: श्रावण मास विशेष: सावन में अवश्य पढ़ें प्राचीन शिव पंचाक्षरी स्तोत्र, कालसर्प दोष से मिलेगी मुक्ति
 
1. आदिश्वर : सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें 'आदिदेव' भी कहा जाता है। 'आदि' का अर्थ प्रारंभ। आदिनाथ होने के कारण उनका एक नाम 'आदिश' भी है। आदिश का अर्थ प्रारंभिक ईश। आदिश्‍वर अर्थात सबसे पहला ईश्वर। जगदिश्‍वर या विश्वेश्वर- जगत या सारे विश्व का ईश्वर।
 
2. आदिदेव: भारत की असुर, दानव, राक्षस, गंधर्व, यक्ष, आदिवासी और सभी वनवासियों के आराध्य देव शिव ही हैं। शैव धर्म भारत के आदिवासियों का धर्म है। सभी दसनामी, शाक्त, सिद्ध, दिगंबर, नाथ, लिंगायत, तमिल शैव, कालमुख शैव, कश्मीरी शैव, वीरशैव, नाग, लकुलीश, पाशुपत, कापालिक, कालदमन और महेश्वर सभी शैव धर्म से जुड़े हुए हैं। चंद्रवंशी, सूर्यवंशी, अग्निवंशी और नागवंशी भी शिव की ही परंपरा से ही माने जाते हैं। इसलिए भी उन्हें पशुपति नाथ और आदिदेव कहते हैं। ALSO READ: श्रावण मास में शिव जी को प्रसन्न करने के लिए कौन से शिवलिंग की पूजा करना चाहिए?
 
3. आदिगुरु : शिव के 7 शिष्य हैं जिन्हें प्रारंभिक सप्तऋषि माना गया है। इन ऋषियों ने ही शिव के ज्ञान को संपूर्ण धरती पर प्रचारित किया जिसके चलते भिन्न-भिन्न धर्म और संस्कृतियों की उत्पत्ति हुई। शिव ने ही गुरु और शिष्य परंपरा की शुरुआत की थी। शिव के शिष्य हैं- बृहस्पति, विशालाक्ष, शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज इसके अलावा 8वें गौरशिरस मुनि भी थे।
 
भगवान शंकर की परंपरा को उनके शिष्यों बृहस्पति, विशालाक्ष (शिव), शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज, अगस्त्य मुनि, गौरशिरस मुनि, नंदी, कार्तिकेय, भैरवनाथ आदि ने आगे बढ़ाया। इसके अलावा वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, बाण, रावण, जय और विजय ने भी शैवपंथ का प्रचार किया। इस परंपरा में सबसे बड़ा नाम आदिगुरु भगवान दत्तात्रेय का आता है। दत्तात्रेय के बाद आदि शंकराचार्य, मत्स्येन्द्रनाथ और गुरु गुरुगोरखनाथ का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।
 
4. महादेव : वे सभी देवों के देव हैं इसलिए उन्हें महादेव कहते हैं। आदिनाथ भगवान शिव को शंकर, महादेव, भोलेनाथ और देवाधिदेव भी कहते हैं। सभी देवी और देवता उनकी पूजा करते हैं। भगवान शिव ने हर काल में लोगों को दर्शन दिए हैं। वे सतयुग में समुद्र मंथन के समय भी थे और त्रेता में राम के समय भी। द्वापर युग की महाभारत काल में भी शिव थे और कलिकाल में विक्रमादित्य के काल में भी शिव के दर्शन होने का उल्लेख मिलता है। भविष्य पुराण के अनुसार राजा हर्षवर्धन को भगवान शिव ने मरुभूमि पर दर्शन दिए थे।ALSO READ: Lord shiv : भगवान शिव का इतिहास जानें